गोधरा से राफेल तक, बुरे वक्त में मोदी-शाह के संकट मोचक थे अरुण जेटली

पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अरुण जेटली का शनिवार दोपहर निधन हो गया। वे 66 साल के थे। 9 अगस्त को एम्स में चेकअप कराने पहुंचे थे, जिसके बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया। जेटली का सॉफ्ट टिश्यू कैंसर का इलाज चल रहा था। 

नई दिल्ली. पूर्व केंद्रीय मंत्री और भाजपा नेता अरुण जेटली का शनिवार दोपहर निधन हो गया। वे 66 साल के थे। 9 अगस्त को एम्स में चेकअप कराने पहुंचे थे, जिसके बाद उन्हें भर्ती कर लिया गया। जेटली का सॉफ्ट टिश्यू कैंसर का इलाज चल रहा था। 

अरुण जेटली प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के काफी करीबी माने जाते थे। इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि 2014 में लोकसभा चुनाव हारने के बावजूद उन्हें वित्त और रक्षा जैसे दो महत्वपूर्ण मंत्रालय दिए गए। जेटली मुश्किल वक्त में मोदी-शाह के संकट मोचक भी रहे हैं। 

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गोधरा, सोहराबुद्दीन शेख एनकाउंटर में मोदी-शाह को उबारा
2002 में जब गोधरा कांड हुआ, उस वक्त भाजपा और तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी मोदी पर कार्रवाई की सोच रहे थे। उसी वक्त शीर्ष नेताओं में सबसे पहले अरुण जेटली ने ही मोदी का समर्थन किया था। उन्होंने आडवाणी से भी अनुरोध किया। इसके बाद कई बड़े नेता मोदी के पक्ष में खड़े हो गए। 

2005 में गुजरात में चर्चित सोहराबुद्दीन शेख फेक एनकाउंटर मामले में जेटली हमेशा अमित शाह के पक्ष में खड़े रहे। इस मामले में ना केवल उन्होंने शाह की कानूनी तौर पर मदद की। बल्कि उस वक्त शाह को डिफेंड करते हुए खूब समर्थन किया। 2002 से 2013 के बीच में गोधरा, सोहराबुद्दीन शेख, इशरत जहां, हरेन पांड्या जैसे मामलों में मोदी-शाह के समर्थन में जेटली के खूब बयान छपे। 

गुजरात छोड़ने पर जब शाह मजबूर हुए, तब उन्हें जेटली ही याद आए थे
2010 में सोहराबुद्दीन एनकाउंटर मामले में सीबीआई ने शाह को गिरफ्तार किया था। इसके बाद उन्हें गुजरात हाईकोर्ट से जमानत मिल गई। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद जब उन्हें गुजरात छोड़ना पड़ा तब वे सबसे पहले दिल्ली में अरुण जेटली के घर पहुंचे थे। अमित शाह को जेटली ने पूरी कानूनी मदद दिलाई। इसके अलावा राम जेठमलानी के साथ उन्होंने भी कानूनी तौर पर शाह की मदद की।

मोदी ने संभालकर रखा है जेटली का 6 साल पुराना पत्र
अरुण जेटली ने 27 सितंबर 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखा था। इसमें उन्होंने यूपीए सरकार पर जांच एजेंसियों का दुरुपयोग करने का आरोप लगाया था। इस पत्र में उन्होंने सोहराबुद्दीन, इशरत जहां, हरेन पांड्या जैसे मामलों का जिक्र किया था। इस पत्र को नरेंद्र मोदी ने आज भी अपनी वेबसाइट पर संभालकर रखा है। 

लोकसभा चुनाव में बिहार में गठबंधन में अहम बने जेटली
2019 लोकसभा चुनाव के पहले बिहार में एनडीए के गठबंधन को लेकर पेंच फंसा था। रामविलास पासवान की लोजपा और नीतीश कुमार की जदयू के बीच सीटों का मामला अटक रहा था। ऐसे में मोदी-शाह ने इस मामले को निपटाने की जिम्मेदारी जेटली को सौपी। जेटली उस वक्त भी भाजपा के लिए संकटमोचक बने। उनके प्रयास से तीनों पार्टियों के बीच गठबंधन हो सका।

राफेल पर संभाला मोर्चा 
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और राहुल गांधी ने राफेल को लेकर मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। इस दौरान जब तत्कालीन रक्षामंत्री सीतारमण कमजोर दिखती पड़ीं तो जेटली ने मोर्चा संभाला। जेटली ने इंटरव्यू दिए, प्रेस कॉन्फ्रेंस की। लंबे लंबे ब्लॉग लिखे। सरकार की तरफ से पक्ष रखा। यहां तक कि उन्होंने राहुल को भी बचकाना हरकत करने वाला कह दिया।

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