नरेंद्र मोदी ने नफरत भरे भाषणों से गिराई PM पद की गरिमा, करते हैं समाज बांटने वाली बातें: मनमोहन सिंह

Published : May 30, 2024, 03:50 PM ISTUpdated : May 30, 2024, 03:54 PM IST
Manmohan Singh

सार

कांग्रेस नेता और पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पत्र लिखकर पीएम नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि नरेंद्र मोदी पहले पीएम हैं, जिन्होंने अपने नफरत भरे भाषणों से पीएम पद की गरिमा गिरा दी। 

नई दिल्ली। लोकसभा चुनाव 2024 के आखिरी चरण में पंजाब में 1 जून को मतदान होगा। इससे पहले गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पंजाब के होशियारपुर में रैली की। इस बीच कांग्रेस नेता और पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने पंजाब के मतदाताओं के नाम पत्र लिखकर पीएम नरेंद्र मोदी पर बड़ा हमला बोला है। मनमोहन ने कहा कि नरेंद्र मोदी पहले पीएम हैं, जिन्होंने अपने नफरत भरे भाषणों से पीएम पद की गरिमा गिरा दी।

मनमोहन सिंह ने आरोप लगाया कि नरेंद्र मोदी नफरत भरे भाषण दे रहे हैं। वे समाज को बांटने वाली बातें कर रहे हैं। वह एक खास समुदाय या विपक्ष को निशाना बनाने के लिए "घृणास्पद और असंसदीय" भाषण दे रहे हैं, जिससे प्रधानमंत्री कार्यालय की गरिमा कम हुई है।

बता दें कि नरेंद्र मोदी ने अप्रैल में राजस्थान में एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए मनमोहन सिंह के बयान का जिक्र किया था। उन्होंने आरोप लगाया था कि कांग्रेस सत्ता में आई तो देश की संपत्ति उन लोगों में बांट देगी जिनके ज्यादा बच्चे हैं। पीएम ने मनमोहन सिंह के उस बयान का भी जिक्र किया था, जिसमें मनमोहन ने कहा था कि देश की संपत्ति पर पहला अधिकार मुसलमानों का है।

भाजपा के पास है एक समुदाय को दूसरे से अलग करने का कॉपीराइट

पंजाब के लोगों के नाम लिखे पत्र में मनमोहन सिंह ने कहा, "नरेंद्र मोदी ने सबसे क्रूर प्रकार के घृणास्पद भाषण दिए हैं। ये पूरी तरह से विभाजनकारी प्रकृति के हैं। उन्होंने मुझ पर कुछ झूठे बयान भी थोपे हैं। मैंने अपने जीवन में कभी भी एक समुदाय को दूसरे से अलग नहीं किया। इसका कॉपीराइट सिर्फ भाजपा के पास है।"

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नरेंद्र मोदी की नीतियों ने खत्म कर दी किसानों की आय

2022 तक किसानों की आय दोगुनी करने के नरेंद्र मोदी के वादे पर मनमोहन सिंह ने कहा कि उनकी नीतियों ने पिछले 10 वर्षों में किसानों की आय खत्म कर दी है। उन्होंने कहा, “किसानों की राष्ट्रीय औसत मासिक आय मात्र 27 रुपए प्रतिदिन है, जबकि प्रति किसान औसत कर्ज 27,000 रुपए (NSSO) है। ईंधन और उर्वरकों सहित खेती की लागत बहुत अधिक हो गई है। कम से कम 35 कृषि-संबंधित उपकरणों पर जीएसटी लिया जा रहा है। कृषि निर्यात और आयात पर मनमाने फैसले लिए जा रहे हैं। इससे हमारे किसान परिवारों की बचत खत्म हो गई है। वे समाज के हाशिये पर आ गए हैं।”

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