मानसून सत्र: अंदर-बाहर हंगामा; राहुल बोले-पेगासस एक इजरायली हथियार है, शांतनु सेन पूरे सत्र के लिए निलंबित

संसद के मानसून सत्र का शुक्रवार को चौथा दिन है। पहले तीन दिन पेगासस जासूसी कांड और कृषि कानून जैसे मुद्दों की भेंट चढ गए थे। आज भी विपक्ष ने हंगामा किया।
 

नई दिल्ली. संसद का मानसून सत्र विपक्ष के हंगामे की भेंट चढ़ता जा रहा है। आज इसका चौथा दिन था। कांग्रेस ने आज भी इन सब मुद्दों पर सरकार को घेरा। कांग्रेस सांसद मनिकम टैगोर ने पेगासस जासूसी के मामले पर लोकसभा में स्थगन प्रस्ताव नोटिस दिया था। लोकसभा की कार्यवाही सोमवार 26 जुलाई तक के लिए स्थगित हो गई है। इधर, मानसून सत्र के दौरान किसान आंदोलन का दूसरा दिन है। 

टीएमसी सांसद शांतनु सेन पूरे सत्र के लिए निलंबित
इस बीच राज्यसभा के सभापति एम वेकेंया नायडू ने सांसद शांतनु सेन को इस सत्र के लिए निलंबित कर दिया गया है। राज्यसभा में सदन के नेता पीयूष गोयल, उपनेता मुख्तार अब्बास नकवी और संसदीय मामलों के राज्य मंत्री वी. मुरलीधरन कल टीएमसी सांसद शांतनु सेन के आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव के हाथों से पेपर छीन कर उसे फाड़ देने की घटना को लेकर सभापति एम.वेंकैया नायडू से मिले थे।इसी मामले में IT मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने मीडिया से कहा-TMC की बंगाल में हिंसा की संस्कृति है और वो ही संस्कृति वो संसद में लाने की कोशिश कर रहे हैं। तृणमूल कांग्रेस ने बंगाल में भाजपा के कार्यक​र्ताओं पर जिस तरह की हिंसा की है, उसी संस्कृति को आज वो संसद में ला रहे हैं। केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा-विपक्ष सड़क पर सिर फोड़ता है और सदन में कागज फाड़ता है। सवाल उठाते हैं लेकिन जवाब सुनने को तैयार नहीं होते। कल की घटना लोकतंत्र को शर्मसार करती है। विपक्ष चर्चा से क्यों भाग रहा है?

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लोकसभा में वैक्सीनेशन बोले स्वास्थ्य मंत्री
लोकसभा में राज्य स्वास्थ्य मंत्री डॉ. भारती प्रवीण पवार ने वैक्सीनेशन को लेकर पूछे गए सवाल पर बताया कि COVID19 टीकाकरण कार्यक्रम पर अब तक कुल 9725.15 करोड़ रुपये खर्च किए गए हैं। इसमें टीकों की खरीदी और ट्रांसपोर्ट खर्चा शामिल है।अगस्त 2021 से दिसंबर 2021 के बीच वैक्सीन की कुल 135 करोड़ खुराक उपलब्ध होने की उम्मीद है। वहीं, स्वास्थ्य मंत्री मनसुख मंडाविया ने बताया कि भारत सरकार का एक विशेषज्ञ समूह अभी भी फाइजर के साथ COVID वैक्सीन आपूर्ति पर बातचीत कर रहा है।

कांग्रेस ने दिया धरना
पेगासस जासूसी मामले में राहुल गांधी ने कहा-पेगासस एक हथियार है। इजरायली सरकार इसे हथियार मानती है। ये हथियार आतंकवादियों और अपराधियों के खिलाफ इस्तेमाल किया जाता है। प्रधानमंत्री और गृहमंत्री ने इस हथियार को हिंदुस्तान की संस्थाओं और लोकतंत्र के खिलाफ प्रयोग किया है। मेरा फोन टैप किया। उन्होंने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से इस्तीफा मांगा है। राहुल गांधी ने कहा-यह सिर्फ मेरी निजता का मामला नहीं है, जनता की आवाज पर आक्रमण है। सुप्रीम कोर्ट और राफेल की जांच को रोकने के लिए पेगासस का प्रयोग किया गया। गृहमंत्री को इस्तीफा देना चाहिए और नरेंद्र मोदी पर न्यायिक जांच होनी चाहिए क्योंकि इसका ऑथराइजेशन PM और गृहमंत्री ही कर सकते हैं।

उधर, इसी मामले में कांग्रेस ने सदन के बाहर गांधी प्रतिमा के सामने धरन दिया। यहां कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-अपने आप जो चाहें बोलकर चले जाना। लोकतंत्र में चर्चा होती है फिर लोग बोलते हैं। सदस्यों का सुनकर उसके बाद अगर वे कोई स्टेटमेंट देते तो उसका कोई मूल्य है। वे सभी चीजों को दबाना चाहते हैं और अलोकतांत्रिक तरीके से चलाना चाहते हैं।

अधीर रंजन चौधरी ने कहा-हमें न्यायिक जांच चाहिए। सरकार घोषणा करे कि न्यायिक जांच होगी। जो जासूसी किए हैं उसमें नई-नई चीजें उजागर हो रही हैं। इस हालात में क्या चर्चा करेंगे। वे आज चर्चा करेंगे कल एक दूसरा नाम आ जाएगा।

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किसानों का मुद्दा गर्माया

किसान आंदोलन का मुद्दा भी मानसून सत्र में गर्माया हुआ है। कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा-हमने नरेंद्र सिंह तोमर को बताया कि 3 कानूनों में क्या कमियां हैं। एक ही मकसद है कि तीनों कानून वापस लेकर, सबसे चर्चा करके किस ढ़ंग से कौन से कानून ला सकते हैं। उस समय ईस्ट इंडिया कंपनी शोषण करती थी आज अदानी, अंबानी जैसे बड़े लोग जमींदार बनकर बैठेंगे।

 शिरोमणी अकाली दल नेता सुखबीर सिंह बादल ने कहा-शिरोमणी अकाली दल और बसपा का एक ही एजेंडा है कि किसानों की आवाज सुनी जाए और कानून वापस लिया जाए। जब तक ये कानून रद्द नहीं होते हम दोनो पार्टी सदन के अंदर और बाहर लगातार प्रदर्शन करेंगे और करते रहेंगे।

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर का तर्क
सरकार किसानों के प्रति पूरी तरह प्रतिबद्ध है। जहां तक किसान यूनियन का सवाल है। उनकी आपत्ति है। पूरे देश के बहुसंख्यक किसान इस सुधार के साथ खड़े हैं। इसके बावजूद भी यूनियन के प्रति भारत सरकार पूरी तरह संवेदनशील है। हमने उनसे लगातार बात की है। अपना प्रस्ताव भी दिया है। उन्होंने उस प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया तो हमने कहा है कि आपका क्या प्रस्ताव है? आप लेकर आएं तो चर्चा करेंगे। बात किस पर करनी है? बात का विषय होगा तो चर्चा होगी न?

भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने कहा- कल के आंदोलन में10 राज्यों के लोग इसमें थे, उन्होंने अपने-अपने राज्यों और तीन कृषि कानूनों व इससे होने वाले नुकसानों के बारे में बताया। जब तक सरकार हमारी बात नहीं मानेगी, तब तक हम बॉर्डर नहीं छोड़ेंगे। टिकैत ने कहा कि सरकार नरम नहीं पड़ रही। यह धोखा है। दिल्ली चुप है, इसलिए गांववालों को तैयार रहना होगा। जो मीठा होता है, वो कुर्सी से चिपक जाता है। जैसे कि ततैया। जब शेर दुबक जाता है, तो हिरणों को सतर्क हो जाना चाहिए, क्योंकि वो कभी भी नई चाल चल सकता है।

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