From The India Gate: सरकारी फाइलों पर आत्माओं का बसेरा, माफिया डिक्शनरी में सेल के कितने मायने? कैसी है तीसरे मोर्चे की ममता

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 18वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

 

From The India Gate. सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 18वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

आत्माएं बनी देरी का कारण

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शक्तिसौधा में इन दिनों सरकारी फाइलें कछुए की चाल की तरह रेंग रही हैं। कई परियोजनाएं धीमी चल रही हैं और कई तो अटक गई हैं लेकिन अधिकारीगण इसका कोई क्लियर कारण नहीं बताते। यही वजह है कि कुछ लोगों ने उन कारणों को जानने की कोशिश की जिसकी वजह से यह सब हो रहा है। तब विधान सौधा में ज्योतिषी से संपर्क किया गया। फिर ज्योतिषी ने कहा वह ज्यादा चौंकाने वाला रहा। सितारों की गणना बताती है कि फाइलों पर निराश लोग बैठ गए हैं जिसकी वजह से रुकावटें पैदा हो रही हैं। ज्योतिषी की बात समझ नहीं आई तो उसकी झोली में कुछ करेंसी डाली गई तो सितारों की गणना और सटीक हुई। इसके बाद ज्योतिषी बुदबुदाया कि- इस पहेली को समझना है तो जेडीएस विधायक सा रा रमेश का वह कथन याद करो, जो उन्होंने कुछ समय पहले कही थी। दरअसल, महेश ने कर्नाटक विधानसभा के पिछले सत्र में उन नेताओं की अंसतुष्ट आत्मा का जिक्र किया था, जो अपनी इच्छाएं पूरी नहीं कर पाए। वे लोकतंत्र के मंदिर को कभी नहीं छोड़ेंगे। एक पंचायत सदस्य जिला पंचायत सदस्य बनना चाहता है। फिर वह विधायक बनना चाहता है। विधायक बनने के बाद स्वाभाविक तौर पर मुख्यमंत्री या फिर मंत्री बनने के सपने पालता है। इस प्रयास में कई लोगों की जीवनलीला समाप्त हो जाती है। ऐसे ही नेताओं की असंतुष्ट आत्माएं फाइलों पर बैठकर घूमती हैं। यह देखने वाली बात यह होगी कि क्या इन आत्माओं से पिंड छुड़ाने की कोशिश होगी।

राजस्थान में कड़वी दवा

राजस्थान के इतिहास में सबसे बड़े रिश्वत कांड में 11,500 पेज की चार्जशीट पेश की गई है। इसमें एक निलंबित आरपीएस अधिकारी का भी नाम शामिल है। इन पर आरोप है कि हरिद्वार के एक मेडिकल डीलर को फर्जी शिकायत से बचने में मदद के लिए 2 करोड़ की रिश्वत मांगने का आरोप है। जब इसमें दिव्या मित्तल को गिरफ्तार किया गया तो उन्होंने मीडिया से कहा यह से 'ऊपर वाले' के लिए किया था। इसके बाद दिव्या मित्तल का कोई बयान सामने नहीं आया। सवाल यह है कि आखिर उस 'ऊपर वाले' का क्या हुआ, जिसका जिक्र चार्जशीट में किया गया। इस पर सभी ने चुप्पी साध रखी है। गिरफ्तारी के तुरंत बाद दिव्या को सस्पेंड कर दिया गया। उनके एक रिसॉर्ट को भी तोड़ दिया गया। लेकिन उन वरिष्ठ अधिकारियों को किसी ने टच नहीं किया, जिसकी तरफ इशारा किया गया था। भ्रष्टाचार के अन्य आरोपियों की तरह से 'ऊपर वाले' भी हमेशा पर्दे के पीछे ही छिपे रहेंगे।

सेल तेरे कितने नाम

जरायम (माफिया) की दुनिया में सेल के कई नामकरण किए जाते हैं। जैसे सेल (कैडर), सेल (जेल) और सेल यानी (फोन) कहा जाता है। अंडरवर्ल्ड में यह एक बार फिर सामने आ सकता है जब यूपी के प्रयागराज में राजू पाल हत्याकांड के आरोपी पुलिस के सामने सरेंडर करेंगे। अभी तक के एक्शन से साफ हो गया है कि पुलिस कोई बड़ी कार्रवाई नहीं कर पाएगी। हालांकि मुख्यमंत्री ने खुद इस हत्याकांड के जरिए डॉन के दो बेटों का 'शिकार' करने की भरसक कोशिश की है। पाल हत्याकांड के दो आरोपियों का एनकाउंटर हो चुका है। लेकिन मामले के आका जल्द ही सरेंडर करेंगे फिर उन्हें किसी सेल में रखा जाएगा, जहां से उनका ऑपरेशन बदस्तूर जारी रहेगा। शायद यह उनके खून में ही है क्योंकि उनके पिता भी जेल जाने के बावजूद अपना साम्राज्य चलाते रहे हैं।

बहुत ज्यादा अमीर

इंडिया गेट ने पिछले हफ्ते भाई-भतीजावाद और भ्रष्टाचार के गंदे निशानों का जिक्र किया था। अब इसका रिजल्ट यह आया कि केरल की वाणिज्यिक राजधानी कोच्चि में 'धूम्रपान' हुआ है। जहरीले धुएं के धीरे-धीरे साफ होने से ब्रह्मपुरम के कचरे के ढेर के पीछे से धोखाधड़ी की कहानियां और स्पष्ट होती जा रही हैं। इसमें वे राजनेता और ब्यूरोक्रेट भी शामिल हैं जो पैसे के लिए कचरे के डिब्बे में हाथ डालने से भी परहेज नहीं करते हैं। मजे की बात यह है कि कुछ कांट्रैक्ट हुए भी नहीं लेकिन उनका अग्रिम भुगतान किया जाने लगा। अब पता चला है कि नोडल एजेंसी केएसआईडीसी ने जोंटा इंफ्राटेक को कचरे से बिजली बनाने का प्रोजेक्ट दिया था। साथ ब्रह्मपुरम में 20 एकड़ जमीन की लीज भी सौंप दी गई। फिर इसे फंड जुटाने के लिए गिरवी रखने की प्लानिंग हुई। अब चूंकि मामले की जांच के आदेश दे दिए गए हैं तो इस कचरे से जल्द ही ज्यादा बदबू सामने आएगी।

तीसरे मोर्चा की ममता

देश में जब भी चुनावी मौसम आता तो कुछ समय पहले ही नए तरह के तीसरे मोर्चे की सुगबुगाहट भी होने लगती है। हाली ही में सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव ने पश्चिम बंगाल की सीएम ममता बनर्जी से मुलाकात की है। जिसने तीसरे मोर्चे की अटकलों को हवा दे दी है। हालांकि टीएमसी ने तीसरे मोर्चे की संभावन को स्वीकार नहीं किया है। यह पार्टी कांग्रेस और बीजेपी से बराबर की दूरी और दूर की निकटता बनाए रखना चाहती है। सियासी गलियारों में यह चर्चा तेज है कि क्या 2021 और 2022 के चुनावों की तरह टीएमसी और सपा एक-दूसरे से हाथ मिलाएंगे। सभी की निगाहें अब 23 मार्च को ममता के ओडिशा दौरे पर टिकी हैं, जब वे बीजेडी प्रमुख नवीन पटनायक से मुलाकात करेंगी। माना जा रहा है कि इस बैठक में तीसरे मोर्चे की कुछ तस्वीर साफ हो सकती है।

मतदाता के कितने अवतार

कर्नाटक में कुल चार तरह के मतदाता पाए जाते हैं। पहले वे जो विशुद्ध रूप से हिंदुत्व के मुद्दे पर वोट देते हैं। दूसरे वे जो कैंडिडेट के काम के लिए वोट देते हैं। तीसरे वे जो जाति के लिए वोट डालते हैं और चौथे वे जो पीएम नरेंद्र मोदी की छवि के लिए वोटिंग करते हैं। हालांकि इन समूहों में भी कई सब कैटेगरी है। जैसे मोदी के प्रशंसक लिंगायतों के विरोध के डर से घूसखोरी के आरोपी विधायक मदालू के खिलाफ कार्रवाई न होने से नाखुश हैं। वहीं मंगलुरू में प्रवीण नेतरू की हत्या के बाद हिंदुत्व के मतदाता भाजपा के साथ और मजबूती से जुड़े हैं। बीजेपी यह भी महसूस कर रही है कि नई पीढ़ी पर दांव लगाया जाए तो मोदी में भविष्य देखते हैं। लेकिन जो नए वोटर मोदी की छवि देखते हैं और बीजेपी को वोट देते हैं वो हर 5 साल में बिना किसी उम्मीद के पोलिंग बूथ पर आ जाते हैं। अगर ये वोटर वोटिंग के दिन घर बैठ गए और सोच लिया कि इस बार प्रदेश में बीजेपी के लिए मुश्किल है, तो जरूर मुश्किल होगी।

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