From The India Gate: इधर होली से पहले बिना भांग झूम रहे समर्थक, उधर पता ही नहीं चल पा रहा CM है कौन?

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 16वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 16वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

करारे जवाब की उम्मीद थी लेकिन...

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यूपी विधानसभा में बजट सत्र के दौरान जमकर हंगामा देखने को मिला। इस दौरान विपक्षी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पर पिताजी द्वारा कही गई कुछ बातों को लेकर सीएम योगी ने जो टिप्पणी की, उसके बाद माहौल गरमा गया। कयास लगाए जाने लगे कि अपनी बारी आने पर छोटे नेताजी स्वभाव के आधार पर ही करारा जवाब देंगे। हालांकि, सदन में जो कुछ हुआ उसका अंदाजा किसी को नहीं था। छोटे नेताजी ने बड़े शांत स्वभाव में भावनात्मक जवाब दिया। पार्टी सूत्रों की मानें तो नेताजी के इस जवाब की असल वजह पारिवारिक दबाव था। पिताजी पर टिप्पणी हुई तो छोटे नेताजी को घऱ में भी विरोध का सामना करना पड़ा। परिवार ने इस टिप्पणी के पीछे छोटे नेताजी के पूर्व के कृत्यों को जिम्मेदार बताया। इसके बाद उन्होंने भवानात्मक तरीके से सदन में सीएम योगी को जवाब दिया और दोबारा ऐसी टिप्पणी ना करने की गुजारिश की।

बदलते मौसम को तैयार रहिए...

यूपी के डिप्टी सीएम ने बीते दिनों एक ट्वीट किया। इस ट्वीट ने मानो समर्थकों में एक नई जान डाल दी। नेताजी ने अपनी फोटो के साथ कैप्शन में लिखा- बदलते मौसम के लिए रहें तैयार...। इस ट्वीट के बाद समर्थकों ने कयास लगाना शुरू कर दिया कि जल्द उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलने जा रही है। कुछ समर्थकों का तो ये तक कहना है कि यूपी में जल्द नेताजी को सीएम बनाया जा सकता है, तो वहीं कुछ का कहना है कि नेताजी अब 2024 के चुनाव को लेकर दिल्ली बुलाए जाएंगे। जीत के बाद उन्हें बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी। हालांकि, इन बातों में कितनी सच्चाई है यह तो आने वाले समय ही बताएगा। इसी बीच, नेताजी के घर से लेकर दफ्तर तक हर जगह उत्साह का माहौल देखने को मिल रहा है। होली से पहले ही बिना भांग के सभी खुशी से झूमते नजर आ रहे हैं।

आखिर CM है कौन..?

पुरानी तमिल फिल्म में एक सीन है, जिसमें कॉमेडियन गौंडामणि और सेंथिल एक गुमशुदा केले के लिए लड़ते हैं। जब भी सेंथिल उस गायब हुए केले के बारे में पूछता है, तो गौंडामणि जिसने उसे खाया था, बचे हुए केले का हवाला देता है। इसी तरह का कॉमिक चैप्टर मिशन घोटाला केस की जांच में भी सामने आ रहा है। दरअसल, केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के खास आदमी शिवशंकर ED की जांच का सामना कर रहे हैं। शिवशंकर और स्वप्ना सुरेश के बीच जो चैट मिली है, उसमें कई बार शॉर्ट में सीएम का नाम सामने आया है। बता दें कि स्वप्ना सुरेश तिरुवनंतपुरम में यूएई कांसुलेट के एक कर्मचारी के रूप में इस डील में शामिल थीं। इतना ही नहीं, मुख्यमंत्री कार्यालय के एक और सीनियर कर्मचारी सीएम रवींद्रन को भी ED ने तलब किया है। कई सेंसेटिव चैट में शिवशंकर दोहराते नजर आ रहे हैं कि वो सबकुछ CM की जानकारी में कर रहे हैं। इस चैट में सीएम का रिफरेंस भी है, जब स्वप्ना कहती है कि वो 'CM' से मिली थी और कई चीजों को क्लियर किया था, जो शायद उसे एक अच्छी नौकरी पाने से रोक सकते थे। कॉमेडियन सेंथिल की तरह ही ईडी के अफसर अब इस बात से हैरान हैं कि CM कौन है? इस चैट में क्या असली सीएम की बात हो रही है या फिर इशारा सीएम रवींद्रन की ओर है? यहां CM का इशारा किसकी तरफ है, ये तो अभी साफ नहीं है, लेकिन ये बात कहीं न कहीं पार्टी को जांच से बचने का एक बहाना जरूर देती है। वैसे, नेता इस घटना से ये संकेत जरूर ले सकते हैं कि अगर किसी कानूनी जांच से बचना है तो उनके पास अपने संबंधित पद के मुताबिक स्टॉफ मेंबर होना कितना फायदेमंद हो सकता है।

From The India Gate: कहीं नेताजी की जेब में लगी सेंध, तो कहीं 'बजरंग बली' को ही भेज दिया नोटिस

पैरों तले खिसकी जमीन...

राजनीति और क्रिकेट में कुछ भी सामान्य नहीं हो सकता है। लेकिन चुनावों के दौरान 'नम्मा' चिक्कमंगलूर में क्रिकेट टूर्नामेंटों का तेजी से बढ़ना एक अजीब तालमेल की कहानी बयां करता है। क्षेत्र के युवाओं को पता है कि अगर उन्हें अपने इलाके में क्रिकेट को बढ़ावा देने के साथ ही टूर्नामेंट करवाने हैं तो चुनावी मौसम से बेहतर मौका नहीं मिल सकता। ऐसे में यहां के युवा उन लोकल लीडर्स से संपर्क कर रहे हैं, जो क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के साथ ही खुद भी टिकट पाने की ख्वाहिश रखते हैं। जैसे ही नेता क्रिकेट टूर्नामेंट का उद्घाटन करने के लिए हामी भरते हैं, युवा उन्हें एक लिस्ट थमा देता है, जिसमें टूर्नामेंट के लिए जरूरी बल्ले, गेंद, हेलमेट की डिमांड की जाती है। बदले में युवा नेताजी को भरोसा दिलाते हैं कि वे टूर्नामेंट के दौरान उनका प्रचार करने में अपनी पूरी ताकत झोंक देंगे। हालांकि, मामला उस वक्त बिगड़ गया, जब एक बड़े टूर्नांमेंट का खर्च उठाने वाले नेताजी के मंच पर विपक्षी पार्टी का लीडर भी पहुंच गया। मामला बिगड़ता देख युवाओं ने इसे बैलेंस करने के लिए दोनों के ही पक्ष में जोरदार नारेबाजी की। अपने-अपने पक्ष में नारे सुनकर भले ही कुछ पल के लिए दोनों को संतोष हो गया हो, लेकिन एक-दूसरे के साथ मंच साझा करते हुए दोनों में से कोई भी खुश नहीं था।

भरोसे ने लगाया चूना...

नेताओं के करीबी सहयोगियों के फर्श से अर्श पर पहुंचने की कहानियां भरी पड़ी हैं। वैसे, अंदरूनी लोग जानते हैं कि सारा मामला एक हाथ से देने और दूसरे से लेने का होता है, जिसकी जड़ें भरोसे पर टिकी रहती हैं। हालांकि, बेंगलुरु के मगदी रोड स्थित एक नेताजी को अपने करीबी पर भरोसा करना भारी पड़ गया है। इन नेताजी ने अपने सबसे भरोसेमंद ट्रांसपोर्टर को ढेर सारा कैश और ज्वैलरी सौंपी थी। लेकिन यह ट्रांसपोर्टर नकदी और सोना लेकर गायब हो गया। इसके बाद नेताजी के लोगों ने उस लापता ट्रांसपोर्टर की खोज में दिन-रात एक कर दिए लेकिन उसका कहीं पता नहीं चला। संकट ये था कि इस मामले की शिकायत पुलिस में भी नहीं की जा सकती थी, क्योंकि सौदा कहीं से भी ब्लैक एंड व्हाइट नहीं था। हालांकि, बाद में जोखिम उठाते हुए पुलिस में शिकायत की गई। पुलिस ने ट्रांसपोर्टर को जल्द ही धर दबोचा, लेकिन तब तक काफी देर हो चुकी थी। दरअसल, ट्रांसपोर्टर ने कैश में से एक बड़ा हिस्सा गायब कर दिया था। इस मामले को देखकर तो यही लगता है कि अपने किसी करीबी या सगे संबंधी को कीमती सामान भेजने के लिए अब एक नई रणनीति बनाने की जरूरत है।

कुकर की दहशत...

चुनाव के दौरान मुफ्त कुकर बांटने की परंपरा कोई नई बात नहीं है। लेकिन जब इनमें से कई गिफ्ट आग के साथ अपने पहले ही संपर्क में फूटने लगें, तो आश्चर्य होना स्वाभाविक है। कुकर फटने की इन घटनाओं ने वोटर्स के बीच आतंक की लहर पैदा कर दी है। दरअसल, वोटर्स को लुभाने के लिए आरके नगर के एक नेताजी ने बड़े पैमाने पर कहीं से सस्ते कुकर खरीद लिए। कुकर बेचने वाले का दावा था कि हमारे कुकर एक ब्रांडेड कंपनी द्वारा उन्नत तकनीक के इस्तेमाल से बनाए गए हैं। इसके अलावा ये 5 साल की गारंटी और ISI मार्क के साथ आते हैं। गूगल पर भी इसकी रेटिंग सबसे अच्छी है वगैरह..वगैरह। हालांकि, ये कुकर आग के संपर्क में आते ही फटने लगे। कई शिकायतों के बाद अब नेताजी एक बार फिर वोटर्स के विश्वास को हासिल करने में जुट गए हैं। लेकिन उनका कुकर वितरण अब भी जारी है।

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