From the india gate: कहीं नेताजी के कदमों में बिछे दलबदलू, तो कहीं चरितार्थ हुई 'पर उपदेश कुशल बहुतेरे' वाली कहावत

सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ घटता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' का 41वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है पॉलिटिक्स की दुनिया के कुछ ऐसे ही चटपटे और मजेदार किस्से।

Contributor Asianet | Published : Sep 17, 2023 3:56 PM IST

From The India Gate: सियासी गलियारों में परदे के पीछे बहुत कुछ होता है- ओपिनियन, साजिश, सत्ता का खेल और राजनीतिक क्षेत्र में आंतरिक तकरार। एशियानेट न्यूज का व्यापक नेटवर्क जमीनी स्तर पर देश भर में राजनीति और नौकरशाही की नब्ज टटोलता है। अंदरखाने कई बार ऐसी चीजें निकलकर आती हैं, जो वाकई बेहद रोचक और मजेदार होती हैं। पेश है 'फ्रॉम द इंडिया गेट' (From The India Gate) का 41वां एपिसोड, जो आपके लिए लाया है, सत्ता के गलियारों से कुछ ऐसे ही मजेदार और रोचक किस्से।

राजनीति में कोई स्थायी दुश्मन नहीं...

राजनीति में अक्सर दुश्मन का दुश्मन दोस्त बन जाता है। इस वैश्विक सच्चाई को कर्नाटक JDS ने एक बार फिर स्थापित किया है। कर्नाटक विधानसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद से ही अपने अस्तित्व को बचाने के लिए जद्दोजहद कर रही जेडीएस 2024 के लोकसभा चुनाव में अब अपनी ताकत दिखाने को बेताब नजर आ रही है। लाइफलाइन की तलाश में जेडीएस नेता एचडी देवेगौड़ा बीजेपी के टॉप लीडर्स से मिलने दिल्ली पहुंचे। यहां तक कि देवेगौड़ा अपनी पार्टी का बीजेपी में विलय करने को भी तैयार थे, लेकिन उनके बेटे एचडी कुमारस्वामी ने इस प्रस्ताव को खारिज कर दिया। जेपी नड्डा और अमित शाह से देवगौड़ा की मुलाकात के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी उनसे चर्चा की। हालांकि, बावजूद इसके दोनों दलों के बीच राजनीतिक गठजोड़ की संभावना कम ही नजर आ रही है। लेकिन बीजेपी अस्थायी रूप से 4 लोकसभा सीटें हसन, तुमकुर, कोलार और बेंगलुरु ग्रामीण JDS को देने पर सहमत हो गई है। अगर जीत का ये फॉर्मूला कामयाब रहता है, तो भविष्य में कर्नाटक में एक नया गठबंधन फलता-फूलता दिखेगा।

राजनीति में 'तूफान'

खगोलविदों का कहना है कि एक सौर तूफान सभी नेटवर्क के साथ ही जीवन को भी अस्त-व्यस्त कर सकता है। केरल की राजनीति में इन दिनों एक ऐसा ही 'सौर तूफान' चल रहा है, जो राजनीतिक समीकरणों को अस्थिर करता दिख रहा है। हाल ही में हुए एक नए खुलासे ने केरल में कांग्रेस और LDF दोनों को बैकफुट पर ला दिया है। सौर घोटाला मामले में CBI द्वारा दायर एक जांच रिपोर्ट में कहा गया है कि दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चांडी के खिलाफ सौर घोटाले के आरोपियों द्वारा दायर यौन शोषण के आरोप जानबूझकर लगाए गए थे। चांडी का नाम जानबूझकर उन नेताओं की सूची में जोड़ा गया, जिन्होंने पीड़िता के साथ दुर्व्यवहार किया। अपने जीवन के अंतिम कुछ वर्षों के दौरान चांडी को न्यायिक जांच का सामना करना पड़ा और अपनी बेगुनाही साबित करने के लिए वो एक ही दिन में 7 घंटे तक आयोग के सामने बैठे रहे। अब पता चला है कि इस साजिश में एक बिचौलिया (दलाल) शामिल था। उसने पीड़ित से 'चिट्ठी' खरीदी थी और इसका इस्तेमाल CPM नेताओं ने विधानसभा चुनावों के दौरान चांडी और UDF को अस्थिर करने के लिए किया था। लेकिन इस पूरे ड्रामे का एंटीक्लाइमेक्स सबसे अप्रत्याशित था। कांग्रेस ने इस मुद्दे को विधानसभा में उठाया और मुख्यमंत्री ने सभी आरोपों का जवाब दिया। लेकिन विपक्ष चांडी को फंसाने के लिए रची गई साजिश की जांच चाहता था। हालांकि, जिस बात ने कांग्रेस को चौंका दिया वो उस 'दलाल' की प्रेस कॉन्फ्रेंस थी, जिसमें उसने खुले तौर पर स्वीकार किया कि कांग्रेस के दो नेता, जो पूर्व गृह मंत्री थे उन्होंने चिट्ठी का इस्तेमाल करके चांडी को किनारे करने की साजिश रची थी। इसके बाद तो कांग्रेस नेताओं के मुंह पर जैसे ताला लग गया हो।

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पर उपदेश कुशल बहुतेरे...

राजस्थान में जब टिकट बंटवारे को लेकर बातचीत चल रही है तो इसके लिए अलग-अलग संयोजनों पर मंथन भी किया जा रहा है। कांग्रेस नेताओं का कहना है कि सीनियर लीडर्स को टिकट नहीं दिया जाएगा। सभी को हैरान करते हुए एक सीनियर लीडर और मंत्री ने लीडरशिप की सेकेंड लाइन डेवलप करने की बात पर जोर दिया है। उन्होंने कहा- हमें अपने बच्चों को राजनीति में नहीं धकेलना चाहिए। कोई जरूरत नहीं। वे खुद-ब-खुद आगे बढ़ जायेंगे। हम योग्य कार्यकर्ताओं को टिकट देंगे और जनता की सेवा करेंगे। नेताजी की बात पर जमकर तालियां बजीं। लेकिन तालियों की गूंज थमने से पहले ही कार्यकर्ताओं को पता चल गया कि नेता जी अपने बेटे को टिकट दिलाने के बाद यहां उपदेश दे रहे हैं।

कदमों में बिछ गए दलबदलू...

हम सभी ने रील लाइफ में कई बार विलेन्स को कॉमेडी करते हुए देखा है। लेकिन केरल में एक एक्टर रियल लाइफ में इतने हास्यास्पद तरीके से राजनीतिक खेल खेल रहा है कि आए दिन मजाक बन रहा है। 400 से ज्यादा फिल्मों में एक्टिंग कर चुके मसलमैन भीमन रघु ने हाल ही में कॉमेडी रोल्स के लिए अपना कौशल साबित किया है। लेकिन असल जिंदगी में उनकी कलाबाजी इन फिल्मी किरदारों को शर्मसार कर देगी। भीमन रघु , जो भाजपा में शामिल हो गए थे और 2016 के विधानसभा क्षेत्र में पथनपुरम निर्वाचन क्षेत्र से मैदान में उतरे थे, उन्होंने अचानक रंग बदल लिया। वो CPM में शामिल हो गए और सार्वजनिक रूप से ऐलान किया कि वो मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन जैसे 'साहसी' नेता के प्रशंसक थे। अब इसे चाटुकारिता की पराकाष्ठा ही कहेंगे कि हाल ही में राज्य फिल्म पुरस्कार समारोह में जब पिनाराई विजयन ने अपना भाषण शुरू किया तो रघु बिल्कुल यूं खड़े हो गए, जैसे राष्ट्रगान को सम्मान देने के लिए खड़े हुए हों। इतना ही नहीं, रघु सावधान की मुद्रा में तब तक खड़े रहे, जब तक विजयन ने अपना भाषण खत्म नहीं कर लिया। बाद में चमचमाती पीली शर्ट पहने सावधान की मुद्रा में खड़े रघु की फोटो वायरल हो गई। इस पर उन्होंने सफाई देते हुए कहा- इसकी पहले से कोई प्लानिंग नहीं थी। मैंन पिनराई विजयन का सम्मान करता हूं। वो मेरे लिए पिता से भी बढ़कर हैं। जब उन्होंने अपना संबोधन शुरू किया तो मुझे उनके प्रति वही सम्मान महसूस हुआ, जैसे मैं अपने पिता के लिए करता हूं। कोई अपने पिता के लिए महसूस करता है। रघु ने कहा- ये मेरा उनके प्रति सम्मान दिखाने का तरीका था।

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