इसरो (ISRO) द्वारा शनिवार को व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) का पहला फ्लाइट टेस्ट किया जाएगा। इसके लिए शुक्रवार सुबह 8 बजे काउंटडाउन शुरू हुआ।
बेंगलुरु। भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) अपने गगनयान मिशन पर तेजी से काम कर रही है। यह पहला मिशन है जब इसरो द्वारा इंसान को अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। इसरो द्वारा शनिवार को व्हीकल अबॉर्ट मिशन-1 (TV-D1) का पहला फ्लाइट टेस्ट किया जाएगा। इसके लिए शुक्रवार सुबह 8 बजे काउंटडाउन शुरू हुआ।
भारत की योजना 2025 में अंतरिक्ष में अपने रॉकेट से इंसान भेजने की है। इस अंतरिक्ष यान के क्रू एस्केप सिस्टम का टेस्ट शनिवार सुबह आठ बजे किया जाएगा। आपात स्थिति में यह अंतरिक्ष यात्रियों को जान बचाने का मौका देगा। इसरो के चेयरमैन एस. सोमनाथ ने बताया है कि चार टेस्ट किए जाएंगे। शनिवार को पहला टेस्ट होगा।
टेस्ट के दौरान क्रू मॉड्यूल में नहीं होगा इंसान
इसरो के अनुसार शनिवार को रॉकेट के उड़ान भरने और उसके सभी सिस्टम के सही से काम करने की जांच की जाएगी। देखा जाएगा कि रॉकेट से क्रू मॉड्यूल किस तरह अलग होता है और यह नीचे किस तरह आता है। टेस्ट के दौरान क्रू मॉड्यूल में कोई इंसान नहीं होगा। गगनयान के लॉन्च होने पर इस क्रू मेंबर में अंतरिक्षयात्री रहेंगे।
44 टन है टेस्ट रॉकेट का वजन
टेस्ट रॉकेट 44 टन वजनी है। इसमें मोडिफाइड विकास इंजन लगाया गया है। यह तरल इंधन का इस्तेमाल करता है। रॉकेट से सबसे अगले हिस्से में क्रू मॉड्यूल लगा है। पूरा टेस्ट 531 सेकंड या करीब 9 मिनट में पूरा होगा। क्रू मॉड्यूल का वजन 4520 किलो है। टेस्ट के लिए एक लेयर के दीवार वाले एल्युमीनियम ढांचे का क्रू मॉड्यूल बनाया गया है। इसमें हवा का दबाव नहीं होगा। जिस क्रू मॉड्यूल में इंसान को भेजा जाएगा उसमें विमान की तरह हवा का दबाव बनाने की जरूरत होगी।
समुद्र में उतरेगा क्रू एस्केप सिस्टम
टेस्ट के दौरान पहले 60 सेकंड में रॉकेट 17 किलोमीटर की ऊंचाई तक जाएगा। इसके बाद क्रू मॉड्यूल रॉकेट से अलग होगा। इसके 91 सेकंड पर क्रू मॉड्यूल से क्रू एस्केप सिस्टम अलग होगा। इसके बाद क्रू एस्केप सिस्टम के पैराशूट खुलेंगे और यह समुद्र में उतरेगा। यहां से नाव की मदद से इसे जमीन पर लाया जाएगा। सबकुछ ठीक रहा तो क्रू एस्केप सिस्टम श्रीहरिकोटा के समुद्र तट से 10 किलोमीटर दूर समुद्र में उतरेगा।