गगनयान के लिए तैयार किए पायलटों में कई दांत के चलते बाहर, 60 में से सिर्फ 12 हुए शॉर्टलिस्ट

भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए 12 पायलट शॉर्टलिस्ट हुए हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन के विशेषज्ञों ने 3 महीने में भारतीय वायुसेना के 60 पायलटों का टेस्ट लिया था। 

Asianet News Hindi | Published : Nov 16, 2019 8:50 AM IST / Updated: Nov 16 2019, 02:59 PM IST

बेंगलुरु. भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयान के लिए 12 पायलट शॉर्टलिस्ट हुए हैं। इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन के विशेषज्ञों ने 3 महीने में भारतीय वायुसेना के 60 पायलटों का टेस्ट लिया था। इसमें से 12 ही मिशन के लिए चुने गए। इस दौरान कई पायलटों को दांतों की समस्या के चलते इससे बाहर कर दिया गया।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, रूस के स्टार सिटी के यूरी गागरिन कॉस्मोनॉट ट्रेनिंग सेंटर में रूसी विशेषज्ञों की देखरेख में 45 दिनों में 60 पायलटों को ट्रेनिंग दी गई। ये पायलट जल्द ही भारत लौटेंगे। इन पायलटों में से ही 2022 में गगनयान मिशन पर अंतरिक्ष में भेजा जाएगा। 

1984 में रूसी मिशन पर अंतरिक्ष में गतए थे भारत के पायलट
इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन के विशेषज्ञों ने दावा किया है कि स्क्रीनिंग में पता चला है कि ज्यादातर उम्मीदवारों को दांत से जुड़ी परेशानी है। इससे पहले भारत के राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा 1984 में रूसी सोयूज टी-11 मिशन के तहत अंतरिक्ष में जा चुके हैं।  इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन ने तभी से भारतीय अंतरिक्षयात्रियों को चुनने की प्रक्रिया जारी रखी है। 

इंस्टीट्यूट ऑफ एयरोस्पेस मेडिसिन ने 24 पायलटों में से 16 पायलटों का चुनाव किया था। लेकिन रूस की टीम ने दांतों की समस्या को देखते इनमें से कई पायलटों को अनफिट घोषित कर दिया। दरअसल, आईएएम ने न्यूनतम शारीरिक परिस्थिति को नजरअंदाज किया था। 

रूस की टीम ने 560 दिन अंतरिक्ष में बिताए
आईएएम के चीफ सेलेक्शन ऑफिसर ग्रुप कैप्टन एमएस नटरास ने बताया, रूसी विशेषज्ञ दांतों को लेकर काफी सतर्क थे। उन्होंने जब मूल्यांकन किया तो हमें अपनी गलती के बारे में जानकारी हुई। रूस की विशषज्ञों की टीम काफी अनुभवि है, उन्होंने सामुहिक रूप से 560 दिन अंतरिक्ष में बिताए हैं।

अंतरिक्ष यात्रियों के लिए अच्छे दांत क्यों हैं जरूरी?  
स्‍पेस फ्लाइट के दौरान एक्‍सीलरेशन और वाइब्रेशन काफी अधिक होता है। अगर दांतों की फिलिंग में थोड़ी भी दिक्कत होती है तो वे निकल सकते हैं। कैविटीज के चलते स्‍पेस फ्लाइट के दौरान एक्‍सीलरेशन और वाइब्रेशन दांत में दर्द भी हो सकता है। 1978 में रूस के एक मिशन के दौरान कमांडर यूरी रोमानेनको को दो दिन तक दांतों का दर्द झेलना पड़ा था।

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