अशोक गहलोत के 'निकम्मा-नाकारा-गद्दार' कहने पर पायलट ने बड़ी चतुराई से कूल होकर दिया ये रिप्लाई

अशोक गहलोत ने गुरुवार को कहा कि सचिन पायलट एक 'गद्दार' (देशद्रोही) हैं और उनकी जगह नहीं ले सकते। इसके जवाब में पायलट ने कहा कि उनके जैसे अनुभवी व्यक्ति के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता है। 2018 में कांग्रेस के राजस्थान चुनाव जीतने के बाद से ही मुख्यमंत्री पद को लेकरदोनों आपस में भिड़े हुए हैं।

Amitabh Budholiya | Published : Nov 25, 2022 2:51 AM IST / Updated: Nov 25 2022, 09:38 AM IST

जयपुर. राहुल गांधी की महत्वाकांक्षी भारत जोड़ो यात्रा-Bharat Jodo Yatra दिसंबर के पहले हफ्ते में राजस्थान में एंट्री करेगी, लेकिन इससे पहले ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और सचिन पायलट एक बार फिर आपस में भिड़ गए हैं। 2018 में कांग्रेस के राजस्थान चुनाव जीतने के बाद से ही गहलोत और पायलट मुख्यमंत्री पद को लेकर आपस में भिड़े हुए हैं। अशोक गहलोत ने गुरुवार को कहा कि सचिन पायलट एक 'गद्दार' (देशद्रोही) हैं और उनकी जगह नहीं ले सकते। इसके जवाब में पायलट ने कहा कि उनके जैसे अनुभवी व्यक्ति के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता है। प्राथमिकता यह होनी चाहिए कि बीजेपी को हराने के लिए एकजुट होकर लड़ें और साथ ही राहुल गांधी का हाथ भी मजबूत करें।

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1. राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ‘देशद्रोही’ वाले बयान पर पलटवार करते हुए सचिन पायलट ने गुरुवार को कहा कि उनके जैसे अनुभवी व्यक्ति के लिए इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना शोभा नहीं देता है। 

2. पायलट ने कहा कि गहलोत उन्हें 'निकम्मा, नाकारा, गद्दार वगैरह' कहते रहे हैं, लेकिन इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना उनकी परवरिश का हिस्सा नहीं था।

3. राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा, 'अभद्र भाषा, कीचड़ उछालना और आरोप-प्रत्यारोप का जो दौर चल रहा है, उससे कोई उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है।''

4. राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कन्याकुमारी-से-कश्मीर यात्रा के राजस्थान में प्रवेश करने से कुछ दिन पहले, गहलोत ने पायलट पर तीखा हमला करते हुए उन्हें "गद्दार" (देशद्रोही) करार दिया और कहा कि उन्हें कभी भी राज्य का मुख्यमंत्री नहीं बनाया जा सकता है। इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए पायलट ने कहा, 'मैंने अशोक गहलोत जी के बयानों को मेरे खिलाफ देखा है। कोई ऐसा व्यक्ति जो इतना अनुभवी है, सीनियर है और जिसे पार्टी ने इतना कुछ दिया है, इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना, इस तरह झूठे और निराधार आरोप लगाना किसी ऐसे अनुभव वाले व्यक्ति के लिए शोभा नहीं देता है।"

5. पूर्व केंद्रीय मंत्री ने कहा, "इसका कोई मतलब नहीं है, जब हमें एकजुट होकर बीजेपी से लड़ना है। पहले भी अशोक गहलोत जी लंबे समय से मुझ पर इस तरह के आरोप लगाते रहे हैं।"

6. पायलट ने कहा-"अभी प्राथमिकता गुजरात में विधानसभा चुनाव जीतना है, जहां अशोक गहलोत पार्टी के सीनियर आब्जर्वर हैं और राहुल गांधी का हाथ मजबूत करना भी महत्वपूर्ण है, जिन्होंने पिछले तीन महीने विभाजनकारी ताकतों और उस पार्टी को चुनौती देने भारत जोड़ो यात्रा में 2,000 किमी पैदल चलकर बिताए हैं।"

7. पायलट ने कहा-"यह हमारे लिए भाजपा को हराने के लिए एक साथ काम करने का समय है, क्योंकि केवल कांग्रेस ही भाजपा को हरा सकती है। मुझे लगता है कि यह अभद्र भाषा, कीचड़ उछालने और आरोप-प्रत्यारोप से कोई उद्देश्य पूरा नहीं हो रहा है।"

8.पायलट गुरुवार को मध्य प्रदेश में भारत जोड़ो यात्रा में राहुल गांधी और प्रियंका गांधी वाड्रा के साथ चले। बता दें कि एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में गहलोत ने आरोप लगाया कि केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह पायलट के विद्रोह में शामिल थे, जब उनके(पायलट) प्रति वफादार कुछ कांग्रेस विधायक एक महीने से अधिक समय तक गुरुग्राम के एक रिसॉर्ट में छिपे हुए थे। वहां केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने दौरा किया। वे अक्सर दावा करते हैं कि उनके पास इस बात का सबूत है कि पायलट सहित उन सभी विधायकों को 10 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया था।

9. हालांकि गहलोत यह भी कहते रहे हैं कि पायलट को कांग्रेस के अधिकांश विधायकों का समर्थन हासिल नहीं है। वहीं, पायलट खेमा दावा करता रहा है कि विधायक नेतृत्व में बदलाव चाहते हैं।

10. इस बीच पायलट ने बुधवार को गुर्जर संगठन द्वारा भारत जोड़ो यात्रा को बाधित करने की धमकी से खुद को दूर कर लिया था। इसमें कहा गया था कि अगर पायलट को राजस्थान का मुख्यमंत्री बनाने की मांग नहीं मानी जाती है।, और इसके बजाय भाजपा पर "गड़बड़ी" पैदा करने की कोशिश करने का आरोप लगाया था।


राजस्थान भाजपा अध्यक्ष सतीश पूनिया ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के उन आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया कि 2020 में सचिन पायलट के नेतृत्व में कांग्रेस विधायकों के एक ग्रुप द्वारा विद्रोह करने में उनकी पार्टी की भूमिका थी।  पूनिया ने यह भी कहा कि भाजपा का राजस्थान कांग्रेस के भीतर मौजूदा संकट से कोई लेना-देना नहीं है। पूनिया ने 24 नवंबर को मीडिया से कहा,"गहलोत पिछले चार साल से ये आरोप लगा रहे हैं और इन आरोपों का कोई आधार नहीं है। भाजपा का इस मामले से कोई लेना-देना नहीं है।"

एक टीवी चैनल को दिए इंटरव्यू में गहलोत ने आरोप लगाया कि पायलट के विद्रोह में केंद्रीय गृह मंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता अमित शाह शामिल थे, जब उनके(पायलट) के प्रति वफादार कुछ कांग्रेस विधायक एक महीने से अधिक समय तक गुरुग्राम के एक रिसॉर्ट में छिपे हुए थे। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि केंद्रीय मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने अक्सर बागी विधायकों से मुलाकात की और दावा किया कि उनके पास इस बात के सबूत हैं कि पायलट सहित उन सभी विधायकों को 10 करोड़ रुपये की राशि का भुगतान किया गया था। गहलोत ने यह भी कहा कि पायलट एक 'गद्दार' (देशद्रोही) हैं और उनकी जगह नहीं ले सकते, क्योंकि उन्होंने 2020 में कांग्रेस के खिलाफ विद्रोह किया था और राज्य सरकार को गिराने की कोशिश की थी। गहलोत की टिप्पणी ने उनके और पायलट के बीच वाकयुद्ध शुरू कर दिया, जो राजस्थान में सत्तारूढ़ पार्टी में व्यापक दरार का संकेत था। 

विधानसभा में विपक्ष के उप नेता राजेंद्र राठौड़ ने कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए कहा कि राजस्थान में राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के आगमन से पहले ही गहलोत ने "कांग्रेस तोड़ो यात्रा" शुरू कर दी है। राठौर ने एक ट्वीट में कहा, 'मुख्यमंत्री की कुर्सी के लिए चार साल से चली आ रही लड़ाई सरकार के जाने के साथ खत्म हो जाएगी।'

इस बीच, राजस्थान के सैनिक कल्याण मंत्री राजेंद्र गुढा, जिन्होंने पायलट को मुख्यमंत्री बनाने के आह्वान का समर्थन किया है, ने कहा कि पार्टी आलाकमान को प्रत्येक विधायक से बात करनी चाहिए। गुढा ने कहा, " पार्टी आलाकमान प्रत्येक विधायक से बात करें। मैं कह रहा हूं कि अगर 80 फीसदी विधायक सचिन पायलट के साथ नहीं हैं, तो वह अपना दावा छोड़ देंगे।" 
 

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