दिव्यांग क्रिकेटरों के लिए काम कर रहीं 28 साल की गजल, बचपन में हुए एक वाकये ने बदल दी पूरी जिंदगी

दिव्यांगजनों को क्रिकेट की दुनिया में एक ऊँचाई तक ले जाने का लक्ष्य रखने वाली गजल खान भारत में दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया (DCCBI) की सीईओ हैं। गजल के मुताबिक, वो व्हीलचेयर वाले क्रिकेटरों का करियर बनाने में मदद कर रही हैं। 

नई दिल्ली। दिव्यांगजनों को क्रिकेट की दुनिया में एक मुकाम हासिल करने में मदद करने वाली गजल खान भारत में दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया (DCCBI) की सीईओ हैं। इसके साथ ही वो इंटरनेशनल काउंसिल ऑफ व्हीलचेयर क्रिकेट की वाइस चेयरपर्सन और इंटरनेशनल क्रिकेट काउंसिल फॉर द फिजिकली चैलेंज्ड की सेक्रेटरी ऑफ इंटरनेशनल अफेयर्स भी हैं। गजल का कहना है कि मुझे दूसरी जिंदगी मिली और उसे मैंने दिव्यांगों के लिए समर्पित कर दिया। खासकर व्हीलचेयर वाले क्रिकेटरों को अपना करियर बनाने में मदद की। आजकल ये लोग अच्छा खेल रहे हैं, रन बना रहे हैं।

आगरा की रहने वाली हैं गजल खान :

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28 साल की गजल खान उत्तर प्रदेश के आगरा की रहने वाली हैं। गजल खान व्हीलचेयर क्रिकेट के प्रचार में शामिल होने वाली दुनिया की सबसे कम उम्र की महिला हैं। वो व्हीलचेयर क्रिकेट की अंतरराष्ट्रीय परिषद की उपाध्यक्ष और शारीरिक रूप से विकलांगों के लिए अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (DCCBI) के अंतरराष्ट्रीय मामलों की सचिव भी हैं।

बचपन की एक घटना ने बदल दी पूरी जिंदगी :

गजल खान आज भी अपने बचपन की उस घटना को याद करती हैं, जिसने उनके जीवन की दिशा बदल दी। 21 साल की उम्र में, गजल ने मौत को मात दी थी। दरअसल 22 दिसंबर, 2015 को गजल जब एमबीए के दूसरे सेमेस्टर के एग्जाम की तैयारी कर रही थीं तो उनका ब्लड प्रेशर अचानक डाउन हो गया था। जब ये वाकया हुआ, उस वक्त गजल स्कूटर चला रही थीं। ब्लड प्रेशर घटते ही गजल बेहोश होकर गाड़ी से गिर गईं। इसके बाद उन्हें आगरा के एक अस्पताल में एडमिट किया गया, जहां 9 दिन बाद उन्हें होश आया।

20 दिन तक ICU में रहीं गजल :

गजल करीब 20 दिन तक आईसीयू में रहीं। गजल के मुताबिक, डॉक्टरों ने उसे लगभग मृत घोषित कर दिया था और उनके बचने के केवल 2% चांस थे। उस साल 24 दिसंबर को मेरे जन्मदिन पर मेरा पुनर्जन्म हुआ। मैं 9 दिनों तक कोमा में रही थी। चोट और घाव को बंद करने के लिए मेरे चेहरे को सिल दिया गया था। मैंने अपने चेहरे की सुंदरता खो दी थी। जब मैंने आईने में खुद को देखा तो मैं अपने आप को पहचान नहीं पा रही थी।

मैं सोचती थी, अल्लाह ने मुझे क्यों बचाया?

इस डरावने एक्सपीरियंस के बाद मैं सोचती थी कि डॉक्टरों द्वारा मेरी जान के 2 परसेंट बचने के चांस के बाद भी मैं जिंदा कैसे हूं? मैंने खुद से ही सवाल किया कि उसने (अल्लाह) मुझे क्यों बचाया..? इस दौरान, मुझे कई विकलांग क्रिकेटरों के फोन आए। बता दें कि गजल के पिता हारून राशिद भारतीय टीम के मशहूर तेज गेंदबाज थे। उन्हें भी एक दुर्घटना में घायल होने के बाद डॉक्टरों की सलाह पर क्रिकेट छोड़ना पड़ा।

क्रिकेटर हैं गजल के पिता :

बाद में हारून रशीद ने दिव्यांग क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ऑफ इंडिया (DCCBI) की स्थापना की, ताकि विकलांग क्रिकेटरों को अपने हितों को आगे बढ़ाने में सक्षम बनाया जा सके। वो बोर्ड के महासचिव हैं और गजल इसकी सीईओ हैं। गजल कहती हैं- मैंने 2015 में पहले एशिया कप के दौरान उनकी मदद की थी। इससे मुझे विकलांग क्रिकेटरों के साथ दोस्ताना संबंध बनाने में भी मदद मिली।

मुझे मेरे पिता से मिली प्रेरणा :

गजल खान के मुताबिक, मैंने अपने चेहरे की सुंदरता खो दी, लेकिन मेरे पिता तो शरीर के अंग खोने के बाद भी बहुत खुश थे। ऐसे में मुझे अपने बदसूरत चेहरे पर शर्म क्यों आनी चाहिए?

जब मेरे साथ चमत्कार हुआ :

एक दिन IWPL टूर्नामेंट से पहले व्हीलचेयर क्रिकेटरों के साथ खेलते हुए, एक चमत्कार हुआ। मुझे सबकुछ नॉर्मल लगा। ये मेरे परिवार के लिए सुखद अनुभव था। मैंने विकलांग क्रिकेटरों के लिए काम करने का फैसला किया। ये वो पल था, जब मुझे एहसास हुआ कि अल्लाह ने मुझे क्यों बचाया। उस दिन से अब तक मैंने अपना सारा समय और ऊर्जा दिव्यांगजनों के क्रिकेट को दिया है।

दिव्यांग क्रिकेटरों के लिए काम करना ही मेरा लक्ष्य :

गजल ने करीब चार साल पहले दिव्यांग प्रीमियर लीग डीपीएल टी-20 लॉन्च किया था। गजल का कहना है कि उनका लक्ष्य विकलांग क्रिकेटरों को ऊंचाई पर पहुंचाने का है। उनकी कोशिशों के चलते आईपीएल की तर्ज पर दुबई के शारजाह इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में 2021 में 6 टीमों के बीच दिव्यांग प्रीमियर लीग आईपीएल खेला गया।

पीएम मोदी की इस बात से प्रभावित हैं गजल :

गजल खान कहती हैं कि वो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रभावित हैं। 27 दिसंबर, 2015 को 'मन की बात' में मोदी की उस बात ने उन पर असर डाला, जिसमें उन्होंने कहा था कि शारीरिक रूप से विकलांग लोगों में एक दिव्य क्षमता होती है और इसके लिए उन्हें दिव्यांगजन कहा जाना चाहिए, विकलांग नहीं। बता दें कि गजल खान को हाल ही में राजस्थान के समर्थ सेवा संस्थान से ग्लोबल एक्सीलेंस अवार्ड मिला है। पिछले साल उन्हें आइकॉन्स ऑफ एशिया अवॉर्ड मिला था।

कंटेंट - Awaz the voice

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