विदेश मंत्रालय ने अमेरिका द्वारा जारी की गई धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। मंत्रालय ने कहा कि हमने US State Department द्वारा जारी 2023 की International Religious Freedom report पर गौर किया है, पहले की तरह रिपोर्ट अत्यंत biased है।
MEA condemned US report on Religious Freedom: भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने अमेरिका द्वारा जारी की गई धार्मिक स्वतंत्रता रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि हमने US State Department द्वारा जारी 2023 की International Religious Freedom report पर गौर किया है। पहले की तरह रिपोर्ट अत्यंत biased है। इसमें भारत के social fabric की समझ का अभाव है और यह स्पष्ट रूप से vote bank considerations और एक prescriptive outlook से प्रेरित है। इसलिए हम इसे ख़ारिज करते हैं।
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह प्रक्रिया अपने आप में आरोप-प्रत्यारोप, गलत बयानी, तथ्यों का चुनिंदा उपयोग, पक्षपातपूर्ण स्रोतों पर निर्भरता और मुद्दों के एकतरफा प्रोजेक्शन का मिश्रण है। यह हमारे संवैधानिक प्रावधानों और भारत के विधिवत रूप से बनाए गए कानूनों के depiction पर भी एक्सटेंड हो रहा है। इसमें pre-conceived narrative को बढ़ावा देने के लिए इंसीडेंट्स को सेलेक्टिवली चुना गया है।
कई कानूनों को भी बनाया गया निशाना
भारत ने कहा कि रिपोर्ट में कानूनों और नियमों की वैधता के साथ ही उन्हें लागू करने के legislature के अधिकार पर भी सवाल उठाया गया है। यह रिपोर्ट भारतीय न्यायालयों द्वारा दिए गए कुछ कानूनी निर्णयों की प्रामाणिकता को भी चुनौती देती प्रतीत होती है। रिपोर्ट में उन कानूनों को भी निशाना बनाया गया है जो भारत में financial flows के दुरुपयोग को मॉनिटर करते हैं। यह सजेशन देते हुए कि burden of compliance अनुचित है, यह ऐसे कानूनों की आवश्यकता पर सवाल उठाना चाहती है। वहीं, स्वयं US में और भी कड़े कानून और नियम हैं और वह निश्चित रूप से अपने लिए ऐसे समाधान नहीं प्रेसक्राइब करेंगे।
भारत में मानवाधिकार और विविधता के प्रति सम्मान
MEA ने कहा कि मानवाधिकार और विविधता के प्रति सम्मान भारत और US के बीच चर्चा का एक legitimate विषय रहा है और रहेगा। 2023 में भारत ने अमेरिका में भारतीय नागरिकों और अन्य अल्पसंख्यकों पर hate crimes, racial attacks; पूजा स्थलों पर तोड़फोड़ और निशाना बनाने; कानूनी एजेंसियों द्वारा हिंसा और दुर्व्यवहार के साथ-साथ विदेशों में उग्रवाद और आतंकवाद के advocates को political space प्रदान करने के कई मामलों को आधिकारिक तौर पर उठाया है। हालांकि, ऐसे dialogues अन्य polities में विदेशी हस्तक्षेप का लाइसेंस नहीं बनने चाहिए।
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