
Gokarna Cave Mystery: गोकर्णा के रमतिर्था पहाड़ियों में एक गुफा में रह रही रूसी महिला नीना कुटीना (Nina Kutina) और उनकी दो बेटियों को लेकर सामने आया मामला अब एक नए मोड़ पर है। गुरुवार को नीना के पति Dror अपनी पत्नी और दोनों बेटियों से मिलने तुमाकुरु डिटेंशन सेंटर पहुंचे लेकिन बिना FRRO (Foreigners Regional Registration Office) की लिखित अनुमति के मिलने की इजाजत नहीं दी गई। अब Dror को FRRO कार्यालय में जाकर औपचारिक अनुमति लेनी होगी जिसके बाद ही उन्हें अपनी पत्नी और बच्चियों से मिलने की इजाजत मिल सकती है। इस मामले की अगली सुनवाई और संभावित डिपोर्टेशन की प्रक्रिया पर सभी की नजरें टिकी हैं।
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Dror ने न्यूज एजेंसी को बताया कि मैं बेंगलुरु से तीन घंटे का सफर तय करके तुमकुरी पहुंचा। ऑफिस पहुंचने पर मुझे इंतजार करने को कहा गया। करीब एक घंटे बाद मैनेजर आई और बताया कि FRRO से कागज़ी अनुमति के बिना मैं अंदर नहीं जा सकता।
9 जुलाई को Gokarna Police को गश्त के दौरान रमतिर्था हिल की एक गुफा में विदेशी महिला और दो बच्चियों के रहने की सूचना मिली। जब पुलिस ने छानबीन की तो पाया कि रूसी मूल की नीना कुटीना (40 वर्ष) अपने दो बच्चों कुमारी प्रेमा (6 वर्ष 7 महीने) और कुमारी अमा (4 वर्ष) के साथ उस गुफा में रह रही थीं। जांच में सामने आया कि महिला ने भारत में अपने वीज़ा की अवधि आठ साल पहले पार कर दी थी।
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पूछताछ में नीना कुटीना ने बताया कि वह गोवा से गोकर्णा इसलिए आई थीं ताकि जंगल में रहकर ईश्वर की उपासना और ध्यान कर सकें। हालांकि, पुलिस और FRRO अधिकारियों ने बच्चों की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए उन्हें बचाकर तुमकुरु स्थित डिटेंशन सेंटर भेजा।
मीडिया में आई रिपोर्टों पर प्रतिक्रिया देते हुए नीना कुटीना ने सफाई दी कि आपने पहले से ही बहुत झूठी जानकारी दी है। हम जंगल में मर नहीं रहे थे। मेरी बेटियां बहुत खुश थीं, झरने में तैरती थीं, मिट्टी से कला बनाती थीं, हमने अच्छा खाना खाया, गैस से पकाया।
इस पूरे मामले ने भारत में विदेशी नागरिकों की सुरक्षा, बच्चों के अधिकार और वीज़ा नियमों के पालन को लेकर गंभीर बहस छेड़ दी है। क्या आध्यात्मिक साधना के नाम पर बच्चों को खतरनाक जंगल में रखना उचित था? क्या लंबे समय से वीज़ा उल्लंघन करने वाले विदेशियों पर कड़ी निगरानी जरूरी है?