भारतीय कफ सीरप के क्वालिटी को लेकर पूरी दुनिया में सवाल उठ रहे हैं। बीते साल गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत भारतीय कफ सीरप की वजह हो गई। इसके अलावा उजबेकिस्तान में भी भारत में निर्मित कफ सीरप ने 18 बच्चों की जान ले ली।
Guidelines for Indian Cough syrup export: भारत से बाहर कफ सीरप एक्सपोर्ट करने के लिए अब भारतीय फार्मा कंपनियों को सख्त टेस्टिंग प्रक्रिया से गुजरनी होगी। दुनिया के कई देशों में भारतीय फार्मा कंपनियों द्वारा किरकिरी कराए जाने के बाद भारत सरकार ने यह कदम उठाया है। सरकार ने विदेशों में कफ सीरप या दवा एक्सपोर्ट करने के पहले कुछ प्रॉसेस फॉलो करने के लिए गाइडलाइन जारी किया है। गाइडलाइन का पालन किए बिना दवाइयों को एक्सपोर्ट नहीं किया जा सकेगा।
सैंपल की जांच अनिवार्य रूप से गवर्नमेंट लैब्स में
फॉरेन ट्रेड के महानिदेशालय ने कफ सीरप बनाने वाली भारतीय कंपनियों के लिए आदेश जारी किया है। डीजीएफटी ने साफ तौर पर निर्देश दिया है कि एक्सपोर्ट के पहले प्रोडक्ट सैंपल को लैब टेस्ट कराना होगा। लैब रिपोर्ट आने के बाद ही कफ सीरप के एक्सपोर्ट की अनुमति दी जाएगी। महानिदेशालय ने निर्देश दिया है कि पहली जून से हर फार्मा कंपनी को एक्सपोर्ट के पहले कफ सीरप का अनिवार्य रूप से लैब टेस्टिंग कराना अनिवार्य होगा। यह टेस्टिंग सरकारी लैब में या सरकार के निर्धारित लैब में ही किया जाएगा। डीजीएफटी के शासनादेश में बताया गया कि खांसी की दवा के सैंपल की जांच अनिवार्य रूप से गवर्नमेंट लैब्स में होगी। लैब टेस्ट से रिपोर्ट मिलने के बाद किसी भी कंपनी को कफ सीरप एक्सपोर्ट करने की अनुमति दी जाएगी। कई शहरों में स्थित क्षेत्रीय दवा परीक्षण प्रयोगशाला, कोलकत्ता के सेंट्रल ड्रग्स लेबोरेटरी और केंद्रीय ड्रग टेस्ट लैब्स नमूनों का परीक्षण किया जाएगा। इसके अलावा राज्य सरकारों द्वारा मान्यता प्राप्त दवा परीक्षण प्रयोगशालाओं में भी सैंपल्स की जांच की जा सकेगी।
दुनिया के देशों में भारतीय कफ सीरप का बड़ा मार्केट
भारतीय कफ सीरप के क्वालिटी को लेकर पूरी दुनिया में सवाल उठ रहे हैं। बीते साल गाम्बिया में 66 बच्चों की मौत भारतीय कफ सीरप की वजह हो गई। इसके अलावा उजबेकिस्तान में भी भारत में निर्मित कफ सीरप ने 18 बच्चों की जान ले ली। इन घटनाओं की जांच में कफ सीरप में कई जानलेवा चीज होने की पुष्टि हुई थी। भारत का दुनिया में कफ सीरप एक्सपोर्ट बाजार 2021-22 में 17 अरब डॉलर का है जोकि अगले साल ही बढ़कर 17.6 अरब डॉलर पहुंच चुका है।
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