कृषि कानून पर पवार के नरम रुख का तोमर ने किया स्वागत- आपत्ति वाले मुद्दों पर विचार होगा, टिकैत भी झुके

महाराष्ट्र में शिवसेना गठबंधन के साथ सरकार चला रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) मुखिया शरद पवार के कृषि कानूनों को लेकर पड़े नरम रुख ने आंदोलन पर संशय खड़ा कर दिया है। केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पवार के बयान का स्वागत किया है।

नई दिल्ली. केंद्र सरकार के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ 26 नवंबर, 2020 से जारी किसानों के आंदोलन को लेकर पहले लगातार केंद्र सरकार को घेरते आ रहे राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (NCP) के मुखिया शरद पवार के नरम रुख का केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने स्वागत किया है। शरद पवार ने बयान दिया था कि कृषि कानूनों को पूरा बदलने की जरूरत नहीं है। इस पर तोमर ने कहा-शरद पवार ने कृषि क़ानूनों पर कहा है कि सभी क़ानून बदले जाने की आवश्यकता नहीं है। जिन बिंदुओं पर आपत्ति है उनपर विचार करके उन्हें बदला जाना चाहिए। मैं उनके वक्तव्य का स्वागत करता हूं।

तोमर ने यह भी कहा
न्यूज एजेंसी ANI से बातचीत करते हुए केंद्रीय कृषि मंत्री ने कहा-मैं उनके वक्तव्य का स्वागत करता हूं। केंद्र सरकार आपके द्वारा व्यक्त भाव से सहमत है। हमने 11 बार किसान यूनियन से इस बारे में बात की है। केंद्र सरकार बातचीत से जल्द हल निकालना चाहती है, ताकि सभी किसान आंदोलन समाप्त करके घर जाएं और ठीक से खेती करें।

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टिकैत भी नरम पड़े
शरद पवार के बयान के बाद किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत के तेवर भी नरम पड़ते दिखाई दे रहे हैं। उनका एक बयान सामने आया है। उन्होंने कहा-शरद पवार ने भारत सरकार को कहा है कि बातचीत होनी चाहिए और समाधान होना चाहिए। कुछ किसान पीछे हटें, कुछ सरकार पीछे हटे और बातचीत से इसका समाधान निकले। सरकार को बात माननी चाहिए।

शरद पवार ने यह कहा था
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि कृषि कानूनों को पूरी तरह से खारिज करने की बजाय उस हिस्से को संशोधित किया जाना चाहिए जहां किसानों को आपत्ति है। उन्होंने कहा कि सरकार और किसानों के बीच डेडलॉ बना हुआ है, सरकार को पहल कर बातचीत का रास्ता अपनाना चाहिए।
 
पवार मुंबई में एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी के कार्यक्रम में शामिल होने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे। महाविकास अघाड़ी सरकार के केंद्र के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध प्रस्ताव लाने के सवाल पर उन्होंने कहा कि सभी सहयोगियोां से बातचीत करने के बाद एक प्रस्ताव सदन में लाया जाएगा। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि दो दिन के सदन में तत्काल यह प्रस्ताव लाकर बहस करना थोड़ा मुश्किल लग रहा है। उन्होंने कहा कि महाविकास अघाड़ी सरकार के मंत्रियों का समूह इस कृषि बिल प्रस्तावों का अध्ययन कर रहा है।  शरद पवार ने आगे कहा कि राज्यों को अपने यहां इस कानून को लागू करने से पहले इसके विवादित पहलुओं पर विचार करना चाहिए। 

26 नवम्बर से किसान दिल्ली बार्डर पर हैं आंदोलित
केंद्र सरकार द्वारा पास किए गए तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली में 26 नवंबर 2020 से किसानों का प्रदर्शन चल रहा है। किसान लगातार गाजीपुर बॉर्डर, सिंघु बॉर्डर पर धरनारत हैं। हालांकि इस बीच कई किसान संगठन इस आंदोलन से दूर हट गए हैं।

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