
नई दिल्ली। केंद्र सरकार ने दिसंबर माह से दो ऐसे अहम नियम लागू कर दिए हैं, जिनका सीधा असर पान मसाला बनाने वाली कंपनियों और देशभर की मेडिकल दुकानों पर पड़ेगा। ये बदलाव भले अलग-अलग क्षेत्रों से जुड़े हों, लेकिन इनका उद्देश्य एक ही है-उपभोक्ताओं को पारदर्शी जानकारी देना और गलत प्रैक्टिस पर रोक लगाना।
सरकार का कहना है कि वर्षों से बाज़ार में पान मसाला के छोटे पैकेटों पर कीमत और अन्य जरूरी जानकारी स्पष्ट रूप से नहीं दी जाती थी। खासकर 10 ग्राम से कम वजन वाले पैकों को घोषणा संबंधी कई छूट मिली हुई थीं। कंपनियां इसी का फायदा उठाती थीं और उपभोक्ता सही कीमत का अंदाजा नहीं लगा पाते थे। नए नियम के बाद अब किसी भी पान मसाला पैक चाहे उसका वजन कितना भी कम क्यों न हो-पर एमआरपी, नेट वजन और अन्य अनिवार्य जानकारियां लिखना जरूरी होगा।
सरकार का मानना है कि इससे भ्रामक कीमतों और गुमराह करने वाली पैकिंग पर रोक लगेगी। साथ ही उपभोक्ता अब आसानी से अलग-अलग ब्रांडों के पाउच की वास्तविक कीमतों की तुलना कर सकेंगे। इस कदम से न सिर्फ पारदर्शिता बढ़ेगी बल्कि बाजार में छिपी अनियमितताओं पर भी नियंत्रण लगाया जा सकेगा।
दूसरी बड़ी घोषणा चिकित्सा क्षेत्र से जुड़ी है। ड्रग कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के ड्रग लाइसेंसिंग विभागों को निर्देश दिया है कि देशभर की सभी रिटेल और व्होलसेल दवा दुकानों में अनिवार्य रूप से एक क्यूआर कोड और टोल-फ्री नंबर 1800-180-3024 प्रदर्शित किया जाए।
सरकार ने इसे दवाओं की सुरक्षा बढ़ाने के लिए अनिवार्य किया है ताकि:
कई विशेषज्ञ मानते हैं कि:
इन दोनों निर्देशों का मूल उद्देश्य लोगों को सही जानकारी देना और उनके स्वास्थ्य को सुरक्षित रखना है। सरकार का कहना है कि यह कदम दवा सुरक्षा मानकों को मजबूत करेगा और गलत दवा, नकली दवा या साइड-इफेक्ट वाले बैच को जल्दी चिन्हित करने में मदद करेगा। फार्मेसी दुकानों को यह निर्देश तुरंत लागू करने होंगे, अन्यथा लाइसेंस संबंधी कार्रवाई संभव है।
दोनों ही नियम उपभोक्ताओं के सीधे हित से जुड़े हैं। जहां पहला फैसला रोजाना दुकानों पर बिकने वाले करोड़ों पान मसाला पैकेटों को प्रभावित करेगा, वहीं दूसरा कदम देशभर के स्वास्थ्य ढांचे को सुरक्षित बनाने की दिशा में बड़ा बदलाव माना जा रहा है। सवाल अब यह है कि क्या कंपनियां और दुकान मालिक इस बदलाव का स्वागत करेंगे या आने वाले दिनों में विरोध की आवाजें उठेंगी?