पूर्व PM मनमोहन सिंह की सुरक्षा से हटाई गई एसपीजी, अब सिर्फ देश में 4 लोगों के पास होगा ये कवच

केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सुरक्षा में तैनात स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) को हटा दिया है। हालांकि, सरकार ने साफ कर दिया है कि पूर्व प्रधानमंत्री की जेड प्लस सुरक्षा बनी रहेगी। एसपीजी हटाने का फैसला विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के रिव्यू के बाद किया गया। 

नई दिल्ली. केंद्र सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सुरक्षा में तैनात स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) को हटा दिया है। हालांकि, सरकार ने साफ कर दिया है कि पूर्व प्रधानमंत्री की जेड प्लस सुरक्षा बनी रहेगी। एसपीजी हटाने का फैसला विभिन्न सुरक्षा एजेंसियों के रिव्यू के बाद लिया गया। 

गृह मंत्रालय के अफसरों ने बताया कि मनमोहन सिंह की जेड प्लस सुरक्षा में सीएपीएफ और सीआरपीएफ तैनात रहेगी। 2004 से 2014 तक देश के प्रधानमंत्री रहे मनमोहन सिंह को सरकार ने इस फैसले के बारे में जानकारी दे दी है। जैसे ही उनके आवास पर सीएपीएफ काफिला पहुंच जाता है, एसपीजी सुरक्षा वापस ले ली जाएगी। 

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तीन महीने की समीक्षा के बाद हुआ फैसला
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, वर्तमान सुरक्षा की समीक्षा समय-समय पर होती है। यह खतरे की धारणा पर आधारित होती है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा इसे नियमित तौर पर किया जाता है। मनमोहन सिंह के पास जेड प्लस सुरक्षा बनी रहेगी। अधिकारियों ने बताया, एसपीजी को वापस लेने का फैसला सुरक्षा एजेंसियों के इनपुट पर तीन महीने की समीक्षा के बाद लिया गया। इसमें कैबिनेट सचिवालय और गृह मंत्रालय भी शामिल थे।

देश में सिर्फ चार लोगों के पास है एसपीजी सुरक्षा
मनमोहन सिंह की सुरक्षा से एसपीजी को हटाने के बाद देश में सिर्फ चार लोगों के पास यह सुरक्षा कवज है। इनमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी शामिल हैं। एसपीजी एक्ट 1998 के मुताबिक, मनमोहन सिंह 2014 में प्रधानमंत्री पद से हटने के सिर्फ एक साल बाद तक एसपीजी सुरक्षा के हकदार थे। हालांकि, हर साल सुरक्षा समीक्षा के बाद एसपीजी को तैनात रखने का फैसला किया गया। उनके अलावा पत्नी गुरसरण कौर और उनकी बेटियों को भी एसपीजी कवर में रखा गया। 

इंदिरा की मौत के बाद प्रधानमंत्रियों को मिली थी एसपीजी सुरक्षा
इंदिरा गांधी की मौत के बाद 1985 में एसपीजी की शुरुआत की गई। 1998 में संसद में एसपीजी एक्ट पास हुआ। इसके तहत केवल प्रधानमंत्री को एसपीजी सुरक्षा मिली। उस वक्त पूर्व प्रधानमंत्रियों को एक्ट में शामिल नहीं किया गया था। लेकिन जब 1989 में वीपी सिंह सरकार में आए तो उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की एसपीजी सुरक्षा को हटा दिया। राजीव गांधी की मौत के बाद 1991 में एक्ट में बदलाव किया गया। इसके तहत सभी पूर्व प्रधानमंत्रियों और उनके परिवारों को 10 साल तक एसपीजी सुरक्षा मुहैया कराई जाने लगी।

अटल सरकार ने एक्ट में किया बदलाव
अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में सुरक्षा समीक्षा के बाद पूर्व प्रधानमंत्री नरसिम्हा राव, एचडी देवगौड़ा, आईके गुजराल की सुरक्षा में तैनात एसपीजी को हटा दिया गया। 2003 में वाजपेयी सरकार ने इस एक्ट में दोबारा बदलाव किए और 10 साल की सीमा को घटाकर एक साल कर दिया। अब प्रधानमंत्रियों को पद से हटने के एक साल बाद तक ही सुरक्षा का प्रावधान किया गया। इस एक साल के बाद सुरक्षा समीक्षा के बाद सरकार इसे फिर बढ़ा सकती है। 

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