'द ग्रेट पीपल्स फॉरेस्ट' प्रोजेक्ट लॉन्च, 10 लाख हेक्टेयर जमीन पर लगाए जाएंगे एक अरब पेड़

भारत की G20 अध्यक्षता के दौरान 'द ग्रेट पीपल्स फॉरेस्ट ऑफ द ईस्टर्न हिमालय' नाम की परियोजना शुरू की गई है। इसके द्वारा पूर्वी हिमालय में एक अरब पेड़ लगाए जाएंगे। इससे दस लाख हेक्टेयर जमीन पर फिर से जंगल होगा। 

 

नई दिल्ली। बालीपारा फाउंडेशन ने कंजर्वेशन इंटरनेशनल के साथ साझेदारी कर 'द ग्रेट पीपल्स फॉरेस्ट ऑफ द ईस्टर्न हिमालयाज' नाम की परियोजना शुरू की है। इस परियोजना द्वारा पूर्वोत्तर भारत, भूटान, बांग्लादेश और नेपाल के पूर्वी हिमालय में एक अरब पेड़ लगाए जाएंगे। इससे 10 लाख हेक्टेयर जमीन पर फिर से जंगल लोगा। इस परियोजना के लिए 1 अरब डॉलर की धनराशि जुटाई जा रही है।

यह परियोजना भारत की जी20 प्रेसीडेंसी की थीम 'एक पृथ्वी, एक परिवार, एक भविष्य' के अनुरूप है। परियोजना की लॉन्चिंग इवेंट में जी20 के लिए भारत के शेरपा अमिताभ कांत और पर्यावरण मंत्रालय की सचिव लीना नंदन मौजूद रहीं।

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लॉन्चिंग इवेंट में बालीपारा फाउंडेशन के अध्यक्ष रंजीत बारठाकुर ने कहा कि इस प्रोजेक्ट से पूर्वी हिमालय क्षेत्र में रहने वाले और यहां के जंगल पर सीधे तौर पर निर्भर एक अरब लोगों को लाभ होगा। इस क्षेत्र को वैश्विक संरक्षण एजेंडे में शामिल किया जाएगा। ग्रेट पीपुल्स फॉरेस्ट उस क्षेत्र की सुरक्षा के लिए हमारी प्रतिबद्धता है जिसे हम अपना घर कहते हैं।

जी20 के लिए भारत के शेरपा अमिताभ कांत ने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन की मेजबानी के लिए भारत का दृष्टिकोण खास है। हमने समावेशिता पर जोर दिया है। यही कारण है कि सभी 27 राज्यों और 9 केंद्र शासित प्रदेशों में बैठकें आयोजित की गईं। अमिताभ कांत ने कहा, "हमने जी20 की अध्यक्षता को जनता की अध्यक्षता में बदला है। जी20 की गतिविधियों में पूरे देश को शामिल किया गया। 60 से अधिक शहरों में कार्यक्रम आयोजित किए गए। 'द ग्रेट पीपल्स फॉरेस्ट ऑफ द ईस्टर्न हिमालयाज'को लेकर अमिताभ कांत ने कहा, "इस तरह के उल्लेखनीय पहल जलवायु परिवर्तन जैसी चुनौतियों का सामना करने में भारत की स्थायी भावना का उदाहरण हैं।"

बेहद खास है पूर्वी हिमालय का पारिस्थितिकी तंत्र

गौरतलब है कि पूर्वी हिमालय का पारिस्थितिकी तंत्र बेहद खास है। यहां की जैव विविधता बेहद समृद्ध है। यह इलाका दुनिया के 12 फीसदी जीव-जंतुओं और पौधों का घर है। हर साल इस क्षेत्र में 1 लाख हेक्टेयर वृक्ष क्षेत्र का नुकसान होता है। इसे रोकने के लिए वैश्विक जागरूकता और कार्रवाई जरूरी है।

कंजर्वेशन इंटरनेशनल-एशिया पैसिफिक के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डॉ. रिचर्ड जियो ने कहा, "अमेजन और कांगो बेसिन की दुर्दशा पर सही ढंग से प्रकाश डाला गया है, लेकिन पूर्वी हिमालय को लेकर वैसा काम नहीं हुआ है। पूर्वी हिमालय हमारे ग्रह पर सबसे अधिक जलवायु-संवेदनशील क्षेत्र है। यहां के लोग ग्लेशियरों के पिघलने, समुद्र के बढ़ते स्तर और लगातार और अधिक हिंसक तूफानों से खतरे का सामना कर रहे हैं।"

रिचर्ड जियो ने कहा कि पूर्वी हिमालय के इकोसिस्टम को बचाने के लिए हमने द ग्रेट पीपुल्स फॉरेस्ट प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह ऐतिहासिक पहल है। 'प्लैनेट इंडिया', जलवायु और प्रकृति संकट को संबोधित करने में भारत के योगदान को दिखाएगा। इसे G20 के दौरान प्रदर्शित किया जाएगा। कार्यक्रम के दौरान 'प्लैनेट इंडिया' अभियान भी शुरू किया जाएगा। इस अभियान का प्रीमियर 5 सितंबर 2023 को बीकानेर हाउस में जी20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर किया जाएगा।

'प्लैनेट इंडिया' बताएगा कैसे जलवायु परिवर्तन को लेकर हो रहा काम

'प्लैनेट इंडिया' द्वारा बताया जाएगा कि भारत किस तरह जलवायु परिवर्तन को लेकर काम कर रहा है। इसमें हिमाचल प्रदेश के पहाड़, नई दिल्ली की सड़कें, असम के हरे-भरे जंगल और बेंगलुरु की शांत झीलें दिखाई जाएंगी और बताया जाएगा कि भारत किस तरह नए दृष्टिकोणों के साथ जलवायु संकट से निपटने का प्रयास कर रहा है।

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'प्लैनेट इंडिया' का प्रतिनिधित्व करने वाले तमसील हुसैन ने इस पहल के बारे में कहा, "मैं 'प्लैनेट इंडिया' को पेश करने के लिए उत्साहित हूं। इसमें अक्सर अनदेखी की गई कहानियों पर प्रकाश डाला गया है जो जमीनी स्तर पर वैश्विक चुनौतियों का समाधान कर रहे हैं। इस अभियान में भारत के 20 बेहतरीन रचनाकारों का योगदान शामिल है। इसमें 'दिस इज प्लैनेट इंडिया' नामक एक फिल्म भी शामिल है। इसमें जैकी श्रॉफ ने काम किया है। इसका प्रसारण जियो सिनेमा पर किया जाएगा।”

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