सीनियर आईपीएस अफसर सतीश चंद्र वर्मा की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय केा 19 सितंबर तक बर्खास्तगी को लागू नहीं करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने अपने स्टे में साफ कहा है कि इस दौरान वर्मा राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे।
नई दिल्ली। इशरत जहां एनकाउंटर की जांच करने वाले आईपीएस अधिकारी सतीश चंद्र वर्मा ने अपनी बर्खास्ती के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। गृह मंत्रालय ने सीनियर आईपीएस को उनके रिटायरमेंट के एक महीना पहले बर्खास्त कर दिया गया है। वर्मा 1986 बैच के गुजरात कैडर के आईपीएस अधिकारी हैं। आईपीएस अधिकारी वर्मा की बर्खास्तगी पर दिल्ली हाईकोर्ट ने 19 सितंबर तक रोक लगा दी है। स्टे के बाद वह सुप्रीम कोर्ट में अपनी सेवा बर्खास्तगी के खिलाफ अपील दायर कर दिए हैं।
इसी महीने रिटायर हो रहे हैं आईपीएस वर्मा
गुजरात में इशरत जहां के कथित फेक एनकाउंटर की जांच में सीबीआई की भी सहायता सीनियर आईपीएस अधिकारी वर्मा ने की थी। वह 30 सितंबर को रिटायर हो रहे थे लेकिन उसके पहले ही गृह मंत्रालय ने 30 अगस्त को ही उनकी बर्खास्तगी का आदेश जारी कर दिया।
दिल्ली हाईकोर्ट ने 19 सिंतबर तक का दिया बर्खास्तगी पर स्टे
सीनियर आईपीएस अफसर सतीश चंद्र वर्मा की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने सुनवाई करते हुए केंद्रीय गृह मंत्रालय केा 19 सितंबर तक बर्खास्तगी को लागू नहीं करने का आदेश दिया है। न्यायालय ने अपने स्टे में साफ कहा है कि इस दौरान वर्मा राहत पाने के लिए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकेंगे। बता दें कि बर्खास्तगी आदेश के प्रभावी होने के बाद सतीश चंद्र वर्मा पेंशन और अन्य लाभ नहीं पा सकेंगे। वह तमिलनाडु में सीआरपीएफ महानिरीक्षण के रूप में आखिरी बार तैनात थे।
गृह मंत्रालय ने किन आरोपों के लिए किया बर्खास्त
वर्मा पर सीवीसी रहते मीडिया से बात करने सहित कई आरोप है। केंद्रीय गृह मंत्रालय की जांच कमेटी के अनुसार जब वह नॉर्थ ईस्टर्न इलेक्ट्रिक पावर कॉरपोरेशन (नीपको) के मुख्य सतर्कता अधिकारी (सीवीओ) थे तो उन्होंने सार्वजनिक मीडिया के साथ बातचीत की और उसके लिए नीपको परिसर का दुरुपयोग किया। इसके अलावा वर्मा पर इशरत जहां के कथित फेक एनकाउंटर में जांच अधिकारी के रूप में सबूतों के साथ छेड़छाड़ का आरोप है। आरोप है कि एसआईटी सदस्य के रूप में वर्मा ने इशरत जहां एनकाउंटर की जांच की थी, उस दौरान उन्होंने कथित तौर पर मुठभेड़ से जुड़े कई सबूत छिपाने में मदद की थी। हालांकि, राज्य सरकार ने फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला (एफएसएल) से एक हार्ड डिस्क को जब्त करने के लिए उनके खिलाफ जांच शुरू की थी, जिसमें कथित तौर पर मुठभेड़ से संबंधित सबूत थे।
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