
Gulf of Mannar Mining Project: भाषा विवाद, डी-लिमिटेशन सहित अन्य मुद्दों पर तमिलनाडु की डीएमके और केंद्र सरकार के बीच विवाद के बीच अब गल्फ ऑफ मन्नार को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। डीएमके सरकार ने गल्फ ऑफ मन्नार में केंद्र सरकार की खनन परियोजनाओं का विरोध करते हुए इससे होने वाले पर्यावरणीय नुकसान और मछुआरों की आजीविका का संकट उत्पन्न होने की बात कही है। सीएम एमके स्टालिन ने पीएम नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) को पत्र लिखकर गल्फ ऑफ मन्नार (Gulf of Mannar) में प्रस्तावित पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस खनन परियोजना को लेकर कड़ी आपत्ति जताई है। उन्होंने इस परियोजना को समुद्री पारिस्थितिकी तंत्र (Marine Ecosystem) के लिए विनाशकारी बताते हुए इसे तत्काल रद्द करने की मांग की।
स्टालिन ने अपने पत्र में चेतावनी दी कि यह परियोजना कोरल रीफ (Coral Reef), समुद्री घास (Seagrass) और मैंग्रोव जंगलों (Mangrove Forests) को गंभीर नुकसान पहुंचाएगी जो तटीय पारिस्थितिकी के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसके अलावा, यह डुगोंग रिजर्व (Dugong Reserve) के अस्तित्व के लिए भी खतरा पैदा कर सकती है जो पहले ही विलुप्ति के कगार पर है।
सीएम स्टालिन ने इस खनन परियोजना से मछुआरों की आजीविका (Fishermen Livelihood) पर गंभीर असर पड़ने की आशंका भी जताई। उन्होंने लिखा: खनन गतिविधियों से उत्पन्न तलछट प्लूम, जहरीले अपशिष्ट और समुद्री आवासों के विनाश का खतरा अतिशयोक्ति नहीं है। इससे लाखों तमिल मछुआरों की आजीविका खतरे में पड़ जाएगी और तटीय समुदायों में गहरी चिंता व्याप्त है। उन्होंने केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि इस परियोजना को मंजूरी देने से पहले तमिलनाडु सरकार से कोई परामर्श नहीं किया गया, जिससे राज्य की संप्रभुता और अधिकारों का हनन हुआ है।
यह मामला ऐसे समय में सामने आया है जब तमिलनाडु की सत्ताधारी द्रमुक (DMK) और केंद्र की भाजपा सरकार (BJP Government) कई मुद्दों पर आमने-सामने हैं।
स्टालिन ने प्रधानमंत्री से आग्रह किया कि वह इस खनन परियोजना को तुरंत रद्द करें और सभी संवेदनशील पर्यावरणीय क्षेत्रों और जैव विविधता हॉटस्पॉट (Biodiversity Hotspots) को पेट्रोलियम मंत्रालय के ओपन एकरेज लाइसेंसिंग प्रोग्राम (OALP) से हटाने का निर्देश दें।
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