Hathras Case: हाथरस जा रहे केरल के पत्रकार समेत 4 हिरासत में, यूपी पुलिस का आरोप- PFI के सदस्य हैं

उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित गैंगरेप के मामले में पुलिस ने तमाम बड़े खुलासे किए हैं। उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस का कहना है कि हाथरस में जातीय आधार पर दंगा भड़काने की कोशिश की जा रही थी। इस मामले में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी। 

Asianet News Hindi | Published : Oct 6, 2020 9:12 AM IST / Updated: Oct 06 2020, 02:47 PM IST

नई दिल्ली. उत्तर प्रदेश के हाथरस में कथित गैंगरेप के मामले में पुलिस ने तमाम बड़े खुलासे किए। उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस का कहना है कि हाथरस में जातीय आधार पर दंगा भड़काने की कोशिश की जा रही थी। इस मामले में पुलिस ने अज्ञात लोगों के खिलाफ एफआईआर भी दर्ज की थी। पुलिस ने अब इस मामले में चार लोगों को हिरासत में लिया है। इनमें एक केरल का पत्रकार भी शामिल है। 

पुलिस ने चारों को मथुरा से गिरफ्तार किया। ये चारों हाथरस जा रहे थे। हिरासत में लिया गया पत्रकार सादिक कप्पन केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जर्नलिस्ट दिल्ली यूनिट का सचिव है। पुलिस का कहना है कि उन्हें कार में संदिग्ध होने की सूचना मिली थी। इसके बाद सादिक कप्पन, अतीक उर रहमान, मसूद अहमद और आलम को रोका गया। पुलिस ने चारों के लैपटॉप और मोबाइल जब्त कर लिए हैं। पुलिस का कहना है कि ये लोग पीएफआई से जुड़े हैं।

पत्रकार संग ने की छोड़ने की मांग
वहीं केरल यूनियन ऑफ वर्किंग जॉर्नलिस्ट ने सादिक कप्पन नाम के गिरफ्तार पत्रकार को छोड़ने के लिए सीएम योगी को पत्र लिखा है। यूनियन ने कहा कि कप्पन हाथरस में मौजूदा हालात की रिपोर्टिंग के लिए गए थे। साथ ही यूनियन ने यह साफ कर दिया है कि वह यूनियन की दिल्ली यूनिट से जुड़ा है। 

Hathras case, UP police arrested 4 PFI cadres from Mathura, accused of spreading riots in UP
पुलिस ने इस चारों को मथुरा के टोल प्लाजा से हिरासत में लिया।

यूपी को जलाने की थी साजिश
इससे पहले पुलिस ने दावा किया था कि हाथरस के बहाने यूपी को जलाने की साजिश रची जा रही थी। इतना ही नहीं मुख्‍यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने भी कहा था कि देश और प्रदेश में जातीय और सांप्रदायिक दंगे फैलाने की साजिश रची जा रही है। इसके लिए विदेश से फंडिंग भी हो रही है। इस हिंसा के पीछे पुलिस ने पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया यानी पीएफआई का हाथ बताया है। फरवरी में नागरिकता कानून के विरोध में हुए दंगों के पीछे भी इसी संगठन का हाथ था।

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