कमलनाथ सरकार का कल 5 बजे फ्लोर टेस्ट, 16 विधायकों के आने पर कोई दबाव नहीं

मध्यप्रदेश में फ्लोर टेस्ट की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को कल यानी शुक्रवार की शाम 5 बजे फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि 16 विधायकों के आने पर कोई दबाव नहीं है। 

नई दिल्ली. मध्यप्रदेश में फ्लोर टेस्ट को लेकर मचे संग्राम पर सुप्रीम कोर्ट में आज गुरुवार को तीसरे दिन भी सुनवाई खत्म हो गई और सुप्रीम कोर्ट ने कमलनाथ सरकार को कल यानी शुक्रवार की शाम 5 बजे फ्लोर टेस्ट कराने का आदेश दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी साफ कर दिया है कि 16 विधायकों के आने पर कोई दबाव नहीं है। गौरतलब है कि शिवराज सिंह चौहान ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर फ्लोर टेस्ट कराए जाने का आदेश देने की मांग की थी। 

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में तीन जजों की बेंच ने सुनवाई करते हुए मंगलवार को सभी की दलीलें सुनी थी, जिसमें कांग्रेस पार्टी के द्वारा कोरोना वायरस की दलील दी गई थी। वहीं, कोर्ट ने स्पीकर से 6 विधायकों के इस्तीफे स्वीकार करने और 16 विधायकों के इस्तीफे को न स्वीकार करने पर सवाल पूछा था। सुनवाई के दौरान कमलनाथ सरकार की ओर से फ्लोर टेस्ट के लिए दो हफ्ते का समय मांगा गया। 

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'यह संवैधानिक पाप के आसपास होने का तीसरा तरीका है'

कमलनाथ सरकार की ओर से वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि दलबदल कानून के तहत 2/3 का पार्टी से अलग होना जरूरी है। अब इससे बचने के लिए नया तरीका निकाला जा रहा है। 15 लोगों के बाहर रहने से हाउस का दायरा सीमित हो जाएगा। यह संवैधानिक पाप के आसपास होने का तीसरा तरीका है। ये मेरे नहीं अदालत के शब्द हैं। सिंघवी ने कहा कि बागी विधायकों के इस्तीफे पर विचार के लिए दो हफ्ते का वक्त देना चाहिए। 

सुप्रीम कोर्ट में दी गई यह दलीलें- 

बागी विधायकों ने कहा- न आने दे कांग्रेसियों को

बेंगलुरु में ठहरे मध्यप्रदेश कांग्रेस के 22 भागी विधायकों ने कर्नाटक के पुलिस महानिदेशक को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि 'किसी भी कांग्रेसी नेता/सदस्य को उनसे मिलने की अनुमति न दी जाए जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि उनके जीवन और सुरक्षा को कोई खतरा नहीं है। 

बेंगलुरु में दिग्विजय ने डाला डेरा

कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठ नेता दिग्विजय सिंह इस्तीफा दे चुके विधायकों से मिलने के लिए बुधवार को दिग्विजय सिंह बेंगलुरु के रामदा होटल पहुंचे। जहां पुलिस ने दिग्विजय सिंह को होटल में जाने से रोक दिया। जिसके बाद दिग्विजय सिंह अपने विधायकों से मिलने के लिए बेंगलुरु में ही डेरा जमाया हुआ, आज गुरुवार को भी वह बेंगलुरु में ही है। गौरतलब है कि कल विधायकों से मिल पाने में नाकाम होने पर दिग्विजय सिंह धरने पर बैठ गए। पुलिस ने उन्हें समझाने की कोशिश की। बावजूद इसके दिग्विजय सिंह मिलने की मांग पर अड़े थे। जिसके बाद पुलिस ने दिग्विजय सिंह, सचिन यादव, कांतिलाल भूरिया, डी शिवकुमार समेत अन्य कांग्रेसी नेताओं को हिरासत में ले लिया। 

इससे पहले दिग्विजय सिंह ने कहा, 'वो लोग मुझसे बात करना चाहते हैं। उनके फोन छिन लिए गए हैं। पुलिस वाले उनसे बात भी नहीं करने दे रहे हैं मैं गांधीवादी आदमी हूं। मेरे पास ना ही बम है और ना ही पिस्टल है। आप मुझे अकेले ले जाकर मिलवा दे मुझे संतुष्टी हो जाएगी तो मैं खुद वापस आ जाऊंगा।' कर्नाटक हाईकोर्ट में दिग्विजय सिंह ने अपने विधायकों से मिलने देने के लिए याचिका दाखिल की थी। जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। 

विधायकों ने कमलनाथ पर लगाए थे समय न देने का आरोप

बेंगलुरु के होटल में ठहरे 22 विधायकों ने मंगलवार को प्रेस कांफ्रेंस कर साफ कर दिया कि वह बंधक नहीं बनाए गए हैं। वह अपनी मर्जी से होटल में ठहरे हुए हैं। साथ ही विधायकों ने सीएम कमलनाथ पर आरोप लगाया कि वह अपने मंत्री और विधायकों की बात नहीं सुनते हैं। चुनाव के दौरान वचन पत्र में किए गए वादों को पूरा करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया जा रहा है।

9 मार्च से होटल में ठहरे हैं विधायक

कांग्रेस पार्टी से बगावत के बाद मध्यप्रदेश के 22 विधायक बेंगलुरु के रामदा होटल में ठहरे हुए हैं। विधायकों ने कमलनाथ सरकार पर गंभीर आरोप लगाते हुए 10 मार्च को अपना इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को भेजा है। स्पीकर ने 6 विधायकों का इस्तीफा भी स्वीकार कर लिया है। गौरतलब है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया के कांग्रेस पार्टी छोड़ने के बाद से ही मध्यप्रेदश की कमलनाथ सरकार संकट में घिरी हुई है।

शिवराज सिंह ने दाखिल की है याचिका

भाजपा के वरिष्ठ नेता और पूर्व सीएम शिवराज सिंह चौहान ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी। याचिका में उन्होंने मांग किया है कि कमलनाथ सरकार का जल्द फ्लोर टेस्ट कराया जाए। सोमवार को विधानसभा सत्र स्थगित होने के बाद शिवराज सिंह ने यह याचिका दाखिल की है। शिवराज सिंह का कहना है कि प्रदेश की कमलनाथ सरकार अल्पमत है और उसे शक्ति परीक्षण करना चाहिए। 

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