निर्भया के दोषी पवन को SC से बड़ा झटका, फेल हुई फांसी से बचने की चाल, याचिका हुई खारिज

निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद पवन ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर दावा किया था कि दिसंबर 2012 में घटना के वक्त उसकी उम्र 18 साल से कम थी। इसको लेकर दोषी की तरफ से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई है। 

नई दिल्ली. निर्भया गैंगरेप मामले में दोषी करार दिए गए पवन कुमार गुप्ता की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस भानुमति की अगुवाई वाली 3 जजों की बेंच ने सुनवाई की। हालांकि जजों की बेंच ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। इस दौरान दोषी पवन के वकील ने दलील देते हुए कहा, घटना के दौरान पवन नाबालिग था। इस दौरान सॉलिसिटर मुकेश रोहतगी ने कहा कि घटना के दौरान दोषी बालिग था। 2.30 बजे जजों की बेंच ने अपना निर्णय सुनाते हुए याचिका को खारिज कर दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा है कि इस केस में कुछ भी नया नहीं है। 

कोर्ट ने पूछा सवाल, वकील ने दी यह दलील

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दोषी के वकील एपी सिंह ने अपनी दलील देते हुए कहाः 'दोषी पवन की जन्मतिथि 8 अक्टूबर 1996 है। हमारे पास दस्तावेज हैं। पवन अपराध के समय नाबालिग था।' वकील एपी सिंह ने गायत्री बाल स्कूल के सर्टिफिकेट का भी जिक्र किया।

सुनवाई के दौरान जस्टिस भानुमति ने कहाः जो दस्तावेज आप दे रहे हैं वह 2017 का है, जब कोर्ट ने आपको सजा सुना दी थी। 

वकील एपी सिंह की दलीलः मामले में बड़ी साजिश हुई है। पुलिस ने जानबूझकर पवन की उम्र संबंधी दस्तावेजों की जानकारी छिपाई।

कोर्ट ने वकील से पूछाः रिव्यू पिटिशन में भी आपने इस मुद्दे को उठाया था, फिर आप इस मुद्दे को अब क्यों उठा रहे? आप ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में इस मुद्दे को उठा चुके हैं। कितनी बार यही मुद्दा उठाएंगे ?

जबकि सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा की अपराध के समय पवन नाबालिग नही था।

दाखिल की थी याचिका 

पवन ने कोर्ट में अर्जी दाखिल की है कि वारदात के वक्त उसकी उम्र 18 साल से कम थी और वह नाबालिग था। हालांकि, इससे पहले दिल्ली हाई कोर्ट ने उसकी इस दलील को खारिज कर दिया है। हाई कोर्ट ने पवन के वकील पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया है।

दोषी पवन कुमार गुप्ता ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाई कोर्ट के 19 दिसंबर के उस आदेश को चुनौती दी थी, जिसमें अदालत ने फर्जी दस्तावेज जमा करने और अदालत में हाजिर नहीं होने के लिए उनके वकील की निंदा भी की थी। हालांकि, कानून के जानकारों का मानना है कि पवन को सुप्रीम कोर्ट से भी कोई राहत नहीं मिल पाएगी। 

जारी हुआ था डेथ वारंट 

निर्भया के दोषियों को फांसी की सजा सुनाए जाने के बाद पवन ने दिल्ली हाई कोर्ट में अर्जी दायर कर दावा किया था कि दिसंबर 2012 में घटना के वक्त उसकी उम्र 18 साल से कम थी। लेकिन हाईकोर्ट ने दोषी के इस याचिका को खारिज कर दिया था। जिसके बाद कोर्ट दिल्ली की पटियाला कोर्ट ने डेथ वारंट जारी किया था। जिसमें चारों दोषियों को 22 जनवरी 2020 को सुबह 7 बजे फांसी दी जानी थी। 

अब 1 फरवरी को होनी है फांसी

हाई कोर्ट ने पवन की इस याचिका को खारिज कर दिया था और उसके वकील एपी सिंह पर 25 हजार का जुर्माना भी लगाया था। उधर, दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने शुक्रवार यानी 17 जनवरी को नया डेथ वारंट जारी करते हुए 1 फरवरी को सुबह 6 बजे फांसी पर लटकाया की तारीख मुकर्रर की। जिसमें निर्भया गैंगरेप केस के चारों दोषियों मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय ठाकुर और पवन गुप्ता को फांसी दी जानी है। 

क्या है पूरा मामला ?

दक्षिणी दिल्ली के मुनिरका बस स्टॉप पर 16-17 दिसंबर 2012 की रात पैरामेडिकल की छात्रा अपने दोस्त को साथ एक प्राइवेट बस में चढ़ी। उस वक्त पहले से ही ड्राइवर सहित 6 लोग बस में सवार थे। किसी बात पर छात्रा के दोस्त और बस के स्टाफ से विवाद हुआ, जिसके बाद चलती बस में छात्रा से गैंगरेप किया गया।

जिसके बाद लोहे की रॉड से क्रूरता की सारी हदें पार कर दी गईं। छात्रा के दोस्त को भी बेरहमी से पीटा गया। बलात्कारियों ने दोनों को महिपालपुर में सड़क किनारे फेंक दिया। पीड़िता का इलाज पहले सफदरजंग अस्पताल में चला, सुधार न होने पर सिंगापुर भेजा गया। घटना के 13वें दिन 29 दिसंबर 2012 को सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल में छात्रा की मौत हो गई।

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