Hijab Row : अगले हफ्ते आ सकता है हिजाब पर अंतिम फैसला, कल बहस खत्म होने के बाद फैसला सुरक्षित रखेगा हाईकोर्ट

Hijab Row Hearing in karnataka High court : दसवें दिन की सुनवाई में छात्राओं के वकील देवदत्त कामत ने शासनादेश को अवैध ठहराया। उन्होंने इसके लिए कुछ तर्क दिए, हालांकि कोर्ट ने उनके तर्कों को इस सवाल से खत्म कर दिया कि आप उस संस्थान में हिजाब किस अधिकार से पहनने की जिद कर रहे हैं, जहां यूनिफॉर्म लागू है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों से दो से तीन दिन में पेश होने को कहा। चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी (CJ Rituraj Awasthi) ने कहा– कल इस मामले की बहस पूरी होगी और हाईकोर्ट अपना फैसला सुरक्षत कर लेगा। 

बेंगलुरू। कर्नाटक हाईकोर्ट में हिजाब बैन (Hijab ban in Karnataka) के मुद्दे को लेकर दसवें दिन करीब तीन घंटे तक बहस चली। सुनवाई शुरू होते ही एडवोकेट जनरल (AG) प्रभुलिंग नवदगी ने कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) पर वरिष्ठ अधिवक्ता एसएस नागानंद के तर्कों और शिक्षकों की शिकायतों का उल्लेख किया। एजी ने कहा कि उन्होंने सीलबंद लिफाफे में इस संबंध में कुछ जानकारी कोर्ट को दी है। हालांकि कोर्ट ने कहा कि वह सुनवाई के अंत में इस पर विचार करेगी।

इसके बाद याचिकाकर्ताओं की तरफ से एडवोकेट कृष्ण कुमार ने दलीलें शुरू कीं। कोर्ट में एक बार फिर हिजाब के अनिवार्य धार्मिक प्रथा होने के मुद्दे पर बहस हुई। छात्राओं के वकील देवदत्त कामत ने शासनादेश को अवैध ठहराया। उन्होंने इसके लिए कुछ तर्क दिए, हालांकि कोर्ट ने उनके तर्कों को इस सवाल से खत्म कर दिया कि आप उस संस्थान में हिजाब किस अधिकार से पहनने की जिद कर रहे हैं, जहां यूनिफॉर्म लागू है। हाईकोर्ट ने सभी पक्षों से दो से तीन दिन में पेश होने को कहा। चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी (CJ Rituraj Awasthi) ने कहा– कल इस मामले की बहस पूरी होगी और हाईकोर्ट अपना फैसला सुरक्षत कर लेगा। 

शासनादेश को भूल जाएं, बताएं यूनिफॉर्म वाले स्कूल में हिजाब की जिद क्यों : सीजे 
छात्राओं की तरफ से पेश हुए अधिवक्ता देवदत्त कामत गुरुवार की बहस में शामिल हुए। उन्होंने कहा कि हिजाब को लेकर दिए गए मेरी चुनौती शासनादेश को है। चीफ जस्टिस ने कामत से कहा कि आप शासनादेश को भूल जाएं। पहले ये बताएं कि किस मौलिक अधिकार के तहत आप उस संस्थान में हिजाब की अनुमति मांग रहे हैं, जहां यूनिफॉर्म लागू है। इस पर कामत ने अनुच्छेद 25(1) का हवाला देते हुए कहा कि यह मेरी आस्था है। इसे प्रतिबंधित करने का इरादा बहुत ही स्पष्ट होना चाहिए। बताना चाहिए कि यह किन वजहों से अनुकूल नहीं है, क्योंकि प्रतिबंध का वस्तु से सीधा संबंध होना चाहिए। 

Latest Videos

जो शासनादेश प्रतिबंध लगा रहा वह अवैध 
कामत ने कहा कि हिजाब को भारत समेत 196 देशों में मान्यता मिली है। इस पर चीफ जस्टिस ने कहा कि पहले अपना स्टैंड स्पष्ट करें कि क्या आप यह कहना चाहते हैं कि यह एक आवश्यक धार्मिक प्रथा है, या आप यह कहना चाहते हैं कि अनुच्छेद 25 के तहत यह आवश्यक नहीं है कि इसका अनिवार्य धार्मिक प्रथा होना जरूरी है। इस पर कामत ने कहा कि इसमें कोई शक नहीं कि यह एक अनिवार्य धार्मिक प्रथा है। लेकिन मैं यह भी कह रहा हूं कि जो शासनादेश प्रतिबंध लगाता है वह अवैध है। 

यूनिफॉर्म का उद्देश्य जाति--धर्म को पूरी तरह से खत्म करना 
सुनवाई की शुरुआत में अधिवक्ता कृष्णकुमार ने कहा कि यूनिफॉर्म का उद्देश्य ही छात्र की पृष्ठभूमि को पूरी तरह से हटाना है। उसकी जाति, रंग, पंथ, धर्म क्या है पूरी तरह से मिटा दिया जाता है। कोई छात्र जैसे ही किसी शिक्षण संस्थान में आता है और धर्मनिरपेक्ष शिक्षा में भाग लेता है, तो उस पर अनुच्छेद 25 के आधार पर सवाल नहीं उठाया जा सकता है। 

यह भी पढ़ें विध्वंसक और कट्‌टरपंथी घटनाओं में PFI की सीधी भागीदारी, असम के सीएम हिमंत बिस्वा ने की बैन करने की मांग

कीर्ति सिंह की याचिका नियमों के अनुरूप न होने पर खारिज 
इस बीच अधिवक्ता कीर्ति सिंह ने अपनी याचिका सामने रखी। उन्होंने बताया -  दिल्ली हाईकोर्ट में हम वर्तमान में मैरिटल रेप के मामलों में याचिका पर बहस कर रहे हैं। कर्नाटक मामले में सभी धर्मों और पंथों की 1 लाख महिलाएं हैं, हिंदू, मुस्लिम ईसाई विशेष रूप से अनुसूचित जाति,जनजाति की महिलाएं हाशिए पर हैं। एजी नवदगी ने कहा कि याचिका में यह खुलासा नहीं किया गया है कि याचिकाकर्ता संघ किस कानून के तहत पंजीकृत है? इस पर चीफ जस्टिस अवस्थी ने पूछा-- क्या आप रजिस्टर्ड हैं? कीर्ति सिंह ने कहा, नहीं! हम महिलाओं का एक सामूहिक संगठन हैं, जिसका प्रतिनिधित्व हमारे वाइस प्रेसिडेंट कर रहे हैं। हमने कई जनहित याचिकाएं लड़ी हैं। हालांकि, कोर्ट ने राज्य के नियमों के तहत नहीं होने की बात कहकर उनकी याचिका खरिज कर दी। 

यह भी पढ़ें हिजाब विवाद में सामने आया कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया का नाम, जानें क्या है CFI और किन विवादों में आया इसका नाम


डार ने गलत जानकारी से की शुरुआत, फिर कुरान से लेकर पैगंबर साहब की पत्नी तक का जिक्र 
पैगंबर मोहम्मद की पत्नियां भी पहनती हैं हिजाब : 
सुनवाई के दौरान छात्राओं की तरफ से अधिवक्ता एम डार पेश हुए। इस पर चीफ जस्टिस ने उनसे पूछा कि क्या आपका मामला सरकारी स्कूल का है। इस पर उन्होंने हां में जवाब दिया। इसी बीच एजी ने टोकते हुए कहा यह प्राइवेट कॉलेज का मामला है। मैं भी वहीं पढ़ा हूं। अपनी बात शुरू करते हुए डार ने कुरान के हवाले से हिजाब को अनिवार्य बताया। कहा-- यहां तक कि पैगंबर की पत्नियों को भी हिजाब पहनना अनिवार्य है। 

कुरान में लिखा: बाल, चेहरा और छाती ढंकना चाहिए : डार ने कुरान पढ़कर बताया- शील और गोपनीयता की रक्षा के लिए बाल, चेहरे और छाती को ढंकना चाहिए। विश्वास करने वाली महिलाओं को खिमार पहनना चाहिए और छाती को ढंकना चाहिए। हम सिर्फ सिर, बाल और छाती ढकना चाहते हैं। हम यह नहीं कह रहे हैं कि हम बुर्का पहनेंगे। यह एक छोटा सा हिस्सा है जिसे हम कवर कर रहे हैं। तीनों कमजोर हिस्से - सिर, बाल और छाती। ये महिलाओं के शरीर के संवेदनशील अंग होते हैं। उन्हें ढकना चाहिए, ताकि लोग महिलाओं की ओर न देखें। 

सिद्धांतों की बात .. ऐसे तो शिक्षा छोड़नी पड़ेगी : डार ने तर्क दिया, हम एक लोकतांत्रिक देश हैं। इतने बड़े देश में हिजाब बहुत छोटी सी बात है। इससे कानून व्यवस्था का कोई मुद्दा नहीं खड़ा होता। यह बस सिर ढंकने की बात है। डार ने कहा- जहां तक ​​शिक्षा का सवाल है तो यह हमारी अपनी गलती के कारण हाशिए पर रहने वाला समुदाय है। कृपया हमारी लड़कियों को अपना सिर ढकने दें। यह हिंदू राष्ट्र या इस्लामी गणतंत्र नहीं है। यह एक लोकतांत्रिक संप्रभु धर्मनिरपेक्ष गणराज्य है जहां कानून का शासन होना चाहिए। यह वह समुदाय है, जिसने कलाम सर को जन्म दिया, जो भारत के मिसाइल मैन हैं। अंतरिम आदेश असंवैधानिक है, क्योंकि यह मौलिक अधिकारों को निलंबित करता है। यह जीवन और मृत्यु का प्रश्न है। हमें अपनी शिक्षा छोड़नी पड़ेगी, क्योंकि हम इन सिद्धांतों से समझौता नहीं कर सकते।

यह भी पढ़ें नहीं थम रहा हिजाब विवाद, बजरंग दल कार्यकर्ता की हत्या के बाद बागपत में हुआ विरोध प्रदर्शन
 

Share this article
click me!

Latest Videos

Rescue Video: आफत में फंसे भालू के लिए देवदूत बने जवान, दिल को छू जाएगा यह वीडियो
'गौतम अडानी गिरफ्तार हों' Rahul Gandhi ने PM Modi पर लगाया एक और बड़ा आरोप
Jharkhand Election Exit Poll: कौन सी हैं वो 59 सीट जहां JMM ने किया जीत का दावा, निकाली पूरी लिस्ट
कानूनी प्रक्रिया: अमेरिकी न्याय विभाग से गिरफ्तारी का वारंट, अब अडानी केस में आगे क्या होगा?
जेल से बाहर क्यों है Adani? Rahul Gandhi ने सवाल का दे दिया जवाब #Shorts