सार
CFI behind the Hijab row : हिजाब मामले की सुनवाई में बुधवार को सीएफआई (CFI) नामक संगठन का नाम सामने आया है। अधिवक्ता एसएस नागानंद ने कहा कि 2004 से प्रदेश में यूनिफॉर्म लागू है, लेकिन 2021 से पहले किसी ने इस मामले में विरोध नहीं किया। 2021 के अंत में इस संगठन (CFI) ने छात्राओं और उनके अभिभावकों को हिजाब के लिए भड़काया। इसके बाद से आंदोलन शुरू हुआ।
नेशनल डेस्क। हिजाब मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) नामक संगठन का नाम सामने आया है। अधिवक्ता एसएस नागानंद ने कहा कि 2004 से प्रदेश में यूनिफॉर्म लागू है, लेकिन 2021 से पहले किसी ने इस मामले में विरोध नहीं किया। 2021 के अंत में इस संगठन (CFI) ने छात्राओं और उनके अभिभावकों को हिजाब के लिए भड़काया। इसके बाद से आंदोलन शुरू हुआ। इन आरोपों पर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रितुराज अवस्थी ने भी पूछा कि आखिर यह संगठन है क्या… तो जानते हैं कि यह संगठन क्या और क्या करता है।
2009 में हुआ गठन, इस्लामिक कट्टरपंथ फैलाने के आरोप
सीएफआई (Campus front of India) सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी ऑफ इंडिया (SDPI) समर्थित एक संगठन है। इस संगठन पर अक्सर कट्टरपंथ फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। सीएफआई 7 नवंबर 2009 को पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया ( Popular Front of India ) के मार्गदर्शन में शुरू किया गया था। तमिलनाडु के मोहम्मद यूसुफ इसके पहले अध्यक्ष थे। दावा था कि यह संगठन साम्राज्यवाद और फासीवाद के खिलाफ संघर्ष करेगा, लेकिन इस पर धार्मिक कट्टरपंथ फैलाने के आरोप लगते रहे हैं। कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया ने एंटी सीएए जैसे प्रदर्शनों में भी बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।
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इन प्रदर्शनों में शामिल रहा कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया
दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रदर्शन
कैंपस फ्रंट ने दिल्ली यूनिवर्सिटी में प्रस्तावित चार वर्षीय ग्रेजुएशन प्रोग्राम (FYUP) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया। 20 जून 2013 को इसने देश के 20 विश्वविद्यालयों के 100 से अधिक कॉलेजों में एक हस्ताक्षर अभियान चलाया।
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बुरके पर बैन का विरोध
2016 में इस संगठन का नाम एआईपीएमटी (AIPMT) में सामने आया, जब इसने परीक्षा हॉल में हिजाब और बुर्का को प्रतिबंधित वस्तुओं की सूची में शामिल करने के खिलाफ प्रदर्शन किया। दरअसल, एआईपीएमटी आयोजित करने वाले सीबीएसई ने 2015 में परीक्षा में सिर ढकने पर प्रतिबंध लगा दिया था। उस समय केरल की एक नन को इसी नियम के तहत परीक्षा में नहीं बैठने दिया गया था।
रोहिंग्या बचाओ आंदोलन
सीएफआई का नाम रोहिंग्या बचाओ अभियान से भी जुड़ा। इस संगठन ने रोहिंग्या लोगों के खिलाफ म्यांमार सरकार के अत्याचारों के विरोध में म्यांमार दूतावास में एक मार्च का आयोजन किया था। हालांकि, दिल्ली पुलिस ने उन्हें वहां तक नहीं पहुंचने दिया था।
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CAA के खिलाफ प्रदर्शन
कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया एंटी सीएए (Anti CAA) प्रदर्शनों में भी शामिल रहा। दिसंबर 2019 में मंगलुरु में कलेक्टर गेट रोड पर जाम लगाने के आरोप में इसके 38 सदस्यों को गिरफ्तार किया गया था। एंटी सीएए आंदोलनों के दौरान] जामिया मिल्लिया इस्लामिया और अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (AMU) के छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के विरोध में भी इन छात्रों ने प्रदर्शन किए। कई राज्यों में इस संगठन पर बैन लगाने की मांग हो चुकी है।
हिजाब विवाद में भी संगठन की बड़ी भूमिका के आरोप
कर्नाटक हिजाब विवाद (Hijab Row) के बाद यह संगठन एक बार फिर चर्चा में आया है। इस्लामिक कट्टरपंथी संस्था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया की ही एक विंग कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया (CFI) ने कर्नाटक में हिजाब के मुद्दे पर बवाल कर रहा है।
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लव जिहाद के मामलों से लेकर ISIS तक लिंक
सीएफआई के मूल संगठन पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) को लेकर कई सनसनीखेज खुलासे भी हो चुके हैं। इस संगठन के केरल के कुछ सदस्यों के Isis में शामिल होने की बात सामने आई थी, जिसके बाद एनआई ने इसके ISIS से लिंक की भी जांच की थी। 2019 में इसके कई दफ्तरों पर छापे मारे गए थे। उस वक्त भी सुरक्षा एजेंसियों को तमाम लिंक हाथ लगे थे। इस संगठन का नाम लव जिहाद में भी आने की खबरें हैं। बताया जाता है कि 2017 में केरल पुलिस ने NIA को लव जिहाद के 94 मामले सौंपे थे। इन मामलों के पीछे पीएफआई के 4 सदस्यों का हाथ सामने आया था।