हिमाचल में जारी सियासी उठापटक के बीच बीजेपी को लगा झटका! विधानसभा स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने 15 विधायक को किया सस्पेंड

हिमाचल में जारी मौजूदा सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार (28 फरवरी) को कहा कि वो एक योद्धा हैं और अपना कार्यकाल पूरा करने के लिए एक योद्धा की तरह लड़ेंगे।

हिमाचल प्रदेश। हिमाचल प्रदेश में जारी सियासी घमासान के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने अपनी सरकार बचाने के लिए जुटे हुए हैं। इसी क्रम में बुधवार (28 फरवरी) को स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने  कथित तौर पर दुर्व्यवहार करने के लिए  20 में से 15 भाजपा विधायकों को अयोग्य घोषित करार कर दिया है। इसकी वजह से सुखविंदर सिंह सुक्खू के सिर पर मंडरा रहे सरकार गिरने का खतरे को टाल गया है। 

इसके अलावा कांग्रेस को राज्य का बजट पारित करने और संघर्ष करने का समय मिल गया। हिमाचल प्रदेश में हुए राज्यसभा चुनावों के नतीजों में बीजेपी के हर्षवर्धन ने जीत हासिल की थी। इस जीत के पीछे की सबसे बड़ी वजह क्रॉस वोटिंग थी, जिसके बाद राज्य में कांग्रेस के खिलाफ फ्लोर टेस्ट की भी स्थिति पैदा हो गई थी। इसके अलावा उनके पार्टी के मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने भी पद से इस्तीफा देते हुए पार्टी की मुश्किलें और बढ़ा दी।

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हिमाचल में जारी मौजूदा सियासी उठापटक के बीच मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने बुधवार (28 फरवरी) को कहा कि वो एक योद्धा हैं और अपना कार्यकाल पूरा करने के लिए एक योद्धा की तरह लड़ेंगे। वहीं क्रॉस वोटिंग मामले को लेकर उनकी सरकार ने राज्यसभा चुनाव में पार्टी व्हिप का उल्लंघन करने वाले छह कांग्रेस विधायकों के खिलाफ दल बदल विरोधी कानून के तहत एक याचिका भी दायर की। 

हालांकि, याचिका पर स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया ने अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। राज्य में जारी अस्थिरता को संभालने के लिए कांग्रेस ने कर्नाटक के डिप्टी सीएम डीके शिवकुमार और हरियाणा के पूर्व सीएम भूपिंदर सिंह हुड्डा को पर्यवेक्षकों के रूप में नियुक्त किया। इसके बाद दोनों नेता कल शाम करीब 5 बजे पहुंचे और सुक्खू समेत अन्य मंत्रियों से मुलाकात की।

संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान प्रस्ताव पेश किया 

हिमाचल प्रदेश में बीजेपी विधायकों को सस्पेंड करने के बाद स्पीकर कुलदीप सिंह पठानिया सदन को अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दिया। वहीं इससे पहले कल विधानसभा बुलाए जाने के तुरंत बाद हंगामा मच गया, जब संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्द्धन चौहान ने कथित तौर पर अध्यक्ष का अनादर करने के लिए 15 भाजपा विधायकों को निलंबित करने का प्रस्ताव पेश किया। इसके बाद भी भाजपा सदस्य नहीं माने तो अध्यक्ष ने सदन की कार्यवाही दोपहर तक के लिए स्थगित कर दी।

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