चीन लगातार भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में खटास लाने की कोशिश कर रहा है। अब चीन भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में अहम भूमिका निभाने वाली गोरखा रेजिमेंट के बारे में जानकारी जुटाने में लग गया है। दरअसल, नेपाली युवाओं के भारतीय सेना में शामिल होने से चीन परेशान है।
नई दिल्ली. चीन लगातार भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में खटास लाने की कोशिश कर रहा है। अब चीन भारत और नेपाल के बीच रिश्तों में अहम भूमिका निभाने वाली गोरखा रेजिमेंट के बारे में जानकारी जुटाने में लग गया है। दरअसल, नेपाली युवाओं के भारतीय सेना में शामिल होने से चीन परेशान है। चीन यह पता लगाना चाहता है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में गोरखा समुदाय के युवा भारतीय सेना में क्यों शामिल होते हैं।
भारत में मौजूदा वक्त में 7 गोरखा रेजिमेंट्स हैं। रेजिमेंट्स की कुल 39 बटालियन में करीब 28 हजार नेपाली नागरिक हैं। पहले 11 गोरखा रेजिमेंट्स थीं, इसमें से चार आजादी के बाद ब्रिटिश शासन में चली गईं।
पैसे खर्च कर जानकारी जुटा रहा चीन
भारतीय सेना में बड़ी संख्या में नेपालियों के शामिल होने से परेशान चीन ने एक एनजीओ को 12.7 लाख नेपाली रुपए का फंड दिया है। यह पैसा इसलिए दिया गया है,ताकि चीन यह पता लगा सके कि गोरखा समुदाय के युवा भारतीय सेना में क्यों शामिल होना चाहते हैं।
इसके पीछे चीन की राजदूत होउ यानकी की साजिश
नेपाल में चीन की राजदूत होउ यानकी काफी सक्रिय हैं। हाल ही में होउ यानकी ने ही प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली की कुर्सी को बचाने में अहम भूमिका निभाई। अब बताया जा रहा कि जून के पहले हफ्ते में होउ यानकी ने एक नेपाली एनजीओ चाइना स्टडी सेंटर को फंड दिया। ताकि यह पता चल सके कि भारतीय सेना में नेपाली युवा क्यों शामिल होते हैं, किन इलाकों से सबसे ज्यादा युवा भारतीय सेना में हैं।
भारत और नेपाल में चल रहा विवाद
2 नवंबर 2019 को भारत ने अपना नया राजनीतिक नक्शा जारी किया था। इस पर नेपाल ने आपत्ति जताई थी। इसके बाद नेपाल ने 18 मई 2020 को नया नक्शा जारी कर भारत के तीन हिस्सों कालापानी, लिंपियाधुरा और लिपुलेख को इसमें दिखाया था। यह नक्शा नेपाल के दोनों सदनों में पास भी हो चुका है। इसके बाद से दोनों देशों में विवाद शुरू हो गया। यहां तक की नेपाल के पीएम केपी शर्मा ओली ने यह तक आरोप लगा दिया था कि भारत में उनकी सरकार गिराने की साजिश रची जा रही है।
नेपाल में चलाए जा रहे भारत विरोधी अभियान
इसके अलावा नेपाल में भारत विरोधी अभियान चलाए जा रहे हैं। ताकि नेपाल के युवाओं को गोरखा रेजिमेंट्स में शामिल होने से रोका जा सके। यहां भारत विरोधी नुक्कड़ नाटक, लोक नृत्य और अन्य सांस्कृतिक कार्यक्रम भी चलाए जा रहे हैं। इन सबके पीछे नेपाल की कम्युनिस्ट पार्टी-बिप्लब की कल्चरल विंग का हाथ बताया जा रहा है।