कैसे गलवान घाटी में झड़प के बाद IAF ने 68 हजार से ज्यादा सैनिकों को एयरलिफ्ट कर पहुंचाया लद्दाख, जानें पूरी कहानी

भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) पिछले कुछ सालों में एडवांस्ड होने के साथ ही काफी मजबूत हुई है। यही वजह है कि गलवान घाटी में चीन से हुई झड़प के बाद इंडियन एयरफोर्स ने 68 हजार से ज्यादा सैनिकों को तेजी से लद्दाख पहुंचाया। जानते हैं इसकी पूरी कहानी। 

Ganesh Mishra | Published : Aug 14, 2023 10:05 AM IST / Updated: Aug 14 2023, 03:37 PM IST

Indian Air force: भारतीय वायुसेना (Indian Airforce) पिछले कुछ सालों में एडवांस्ड होने के साथ ही काफी मजबूत हुई है। यही वजह है कि गलवान घाटी में चीन से हुई झड़प के बाद इंडियन एयरफोर्स ने 68 हजार से ज्यादा सेना के जवानों को तेजी से लद्दाख में तैनात किया। डिफेंस और सिक्योरिटी से जुड़े सूत्रों के मुताबिक, इस ऑपरेशन के तहत वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर तेजी से सैनिकों की तैनात किया गया था।

जून, 2020 में आक्रामक मोड में थी वायु सेना
अपनी क्षमताओं को बढ़ाने के लिए भारतीय वायु सेना ने दुश्मन की गतिविधियों के संबंध में निरंतर निगरानी और खुफिया जानकारी जुटाने के लिए रणनीतिक रूप से अपने Su-30 MKI और जगुआर जेट को पूर्वी लद्दाख में तैनात किया। इसके अलावा, 15 जून, 2020 को गलवान में हुई झड़प के बाद लड़ाकू विमानों के कई स्क्वाड्रन को 'ऑफेंसिव मोड' पर रखा गया था। देखा जाए तो ये कई दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य टकराव में से एक था।

LAC के दुर्गम इलाकों में IAF ने सैनिक और साजो-सामान पहुंचाया 
भारतीय वायु सेना की ट्रांसपोर्ट फ्लीट यानी परिवहन बेड़े ने एक खास ऑपरेशन के तहत LAC के दुर्गम इलाकों में सैनिकों और साजो-सामान को पहुंचाया। ये पिछले कुछ सालों में भारतीय वायुसेना की बढ़ी हुई ताकत और स्ट्रैटेजिक एयरलिफ्ट कैपेसिटी को भी दिखाता है। काफी ऊंचाई वाले और दुर्गम इलाकों में ऑपरेशन को अंजाम देना आसान नहीं था, लेकिन इंडियन एयरफोर्स ने अपना दमखम दिखाते हुए न सिर्फ 68,000 से ज्यादा सैनिकों को एयरलिफ्ट किया, बल्कि 90 से ज्यादा टैंक, 330 बीएमपी पैदल सेना के लड़ाकू वाहन, रडार सिस्टम, तोपखाने की बंदूकें और अन्य कई साजो-सामान भी पहुंचाए।

ये हैं भारतीय वायुसेना की ट्रांसपोर्ट फ्लीट के किंग 
भारतीय वायुसेना के परिवहन बेड़े में सी-130जे सुपर हरक्यूलिस और सी-17 ग्लोबमास्टर विमान शामिल थे, जिनका वजन 9,000 टन था। ये विमान भारतीय वायु सेना की बढ़ती स्ट्रैटेजिक एयरलिफ्ट कैपेसिटी को बताते हैं। चीन से हुई झड़पों के जवाब में, लड़ाकू हवाई गश्त के लिए राफेल और मिग -29 विमानों सहित लड़ाकू जेट विमानों की एक सीरिज भी तैनात की गई थी। इसके अलावा, भारतीय वायुसेना के हेलीकॉप्टर गोला-बारूद और उपकरण के पुर्जों को पहाड़ी ठिकानों तक पहुंचाने में लगे हुए थे। Su-30 MKI और जगुआर लड़ाकू विमानों ने निगरानी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिससे लगभग 50 किमी की सीमा के भीतर चीनी सेना की स्थिति और गतिविधियों की सटीक निगरानी सुनिश्चित हुई।

एयर डिफेंस कैपेबिलिटी में इजाफा 
LAC के साथ अग्रिम पंक्ति के ठिकानों पर रडार स्थापित करके और सतह से हवा में मार करने वाले हथियारों को तैनात करके एयर डिफेंस कैपेबिलिटी और युद्ध की तैयारी को बढ़ाने के लिए फौरन कार्रवाई की गई। इस व्यापक रणनीति का उद्देश्य सैन्य स्थिति को मजबूत करना, क्रेडिबल फोर्सेस को बनाए रखना और किसी भी संभावित स्थिति को प्रभावी ढंग से संभालने के लिए दुश्मन के जमावड़े की निगरानी करना था।

भारत 3,500 किमी लंबी LAC पर कर रहा फोकस
भारत सरकार ने पूर्वी लद्दाख में चीन से टकराव के बाद करीब 3,500 किमी लंबी LAC पर बुनियादी ढांचे के विकास को बढ़ाने पर फोकस किया है। इसके अलावा भारतीय सेना ने अपनी लड़ाकू क्षमताओं को मजबूत करने के लिए उपाय किए हैं, जिसमें आसानी से ट्रांसपोर्ट किए जाने वाले एम-777 अल्ट्रा-लाइट हॉवित्जर तोपों को तैनात करना और अरुणाचल प्रदेश में तैनात यूनिट्स को विभिन्न उन्नत हथियारों से लैस करना शामिल है।

LAC पर दोनों सेनाओं के 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात
बता दें कि भारतीय और चीनी सैनिक के बीच तीन साल से अधिक समय के बाद भी पूर्वी लद्दाख में गतिरोध बना हुआ है। दोनों ही देशों के इस क्षेत्र में करीब 50,000 से 60,000 सैनिक तैनात हैं। भारत और चीन के बीच उच्च स्तरीय सैन्य वार्ता का एक नया दौर सोमवार को होना है, जिसमें भारत सैनिकों की शीघ्र वापसी पर जोर देगा। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने जुलाई में जोहान्सबर्ग में ब्रिक्स बैठक के दौरान चीनी डिप्लोमेट वांग यी से मुलाकात की थी, जिसमें 5 मई, 2020 को पैंगोंग लेक वाले इलाके में उत्पन्न तनाव के समाधान की मांग की गई थी। बता दें कि इसी के चलते पूर्वी लद्दाख सीमा पर गतिरोध पैदा हुआ था।

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