SBI research on Lok Sabha Election: लोकसभा चुनाव 2024 और 2019 को लेकर चुनाव आयोग की डिटेल्ड रिपोर्ट की एसबीआई ने रिसर्च किया है। सीबीआई रिसर्च में कई चौकाने वाले दावे किए गए हैं। शोध रिपोर्ट की मानें तो 2019 से 2024 के बीच महिला मतदाताओं का वोटिंग के लिए अप्रत्याशित रूझान केंद्र सरकार की महिला केंद्रित योजनाओं की वजह से है। इस रिपोर्ट में पिछले दो आम चुनावों के वोटिंग पैटर्न में बदलावों का गहराई से अध्ययन किया गया है। यह वोटर्स में आ रहे बदलाव को इंगित करता है।
रिपोर्ट के अनुसार, पिछले एक दशक में 90 मिलियन से अधिक वोटर्स ने अपने मताधिकार का उपयोग किया। इसमें लगभग 58% महिलाएं थीं यानी लगभग 5.3 करोड़ महिला मतदाताओं ने वोट किया। इस आंकड़े से यह साफ है कि महिलाओं की राजनीतिक सक्रियता में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है।
एसबीआई रिसर्च के अनुसार, वोटिंग प्रतिशत में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वर्ग में एक बड़ी वृद्धि दर्ज की गई हैं। इन जातियों में भी महिला मतदाताओं की संख्या सबसे अधिक है। रिसर्च की मानें तो यह बदलाव उन वर्गों को सशक्त बनाने के प्रयासों का नतीजा है जो सामाजिक-आर्थिक पिरामिड के निचले स्तरों पर स्थित हैं।
चुनाव आयोग ने बताया कि 2024 में महिला मतदाताओं में 1.8 करोड़ की वृद्धि हुई है जो 2019 के मुकाबले एक महत्वपूर्ण आंकड़ा है। इसके पीछे प्रमुख कारण महिला-केन्द्रित योजनाओं का कार्यान्वयन है।
एसबीआई रिसर्च के अनुसार, देश के 19 राज्यों में जहां केंद्रीय योजनाओं का लाभ मिला है, वहां महिला वोटर में 7.8 लाख की बढ़ोतरी हुई है। यह करीब 1.5 करोड़ है। जबकि जिन राज्यों में योजनाएं सही ढंग से लागू नहीं है वहां महिला मतदाताओं में केवल 2.5 लाख की वृद्धि हुई।
चुनाव आयोग ने यह भी सुझाव दिया है कि हर नागरिक को मतदान का अधिकार देने के लिए एक मजबूत एब्सेंटी वोटिंग सिस्टम की आवश्यकता है। आयोग के अनुसार, लगभग 30 करोड़ नागरिकों को मतदान का अवसर देने के लिए पोस्टल वोटिंग, प्रारंभिक मतदान, प्रॉक्सी वोटिंग और इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग जैसे विकल्पों की आवश्यकता हो सकती है ताकि लोकतंत्र के इस महापर्व में हर व्यक्ति अपनी आवाज उठा सके।
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