चिक्कमगलुरु शहर की सड़क पर खड़े होकर गधी का दूध निकालकर वहीं लोगों को पिलाना पिछले दो दिनों से आम बात हो गई है. शहर के हाउसिंग बोर्ड, कोटे बडावाणे के आसपास झुग्गियां बनाकर 40 से ज्यादा गधों के साथ करीब 15 लोगों का एक दल डेरा डाले हुए है.
चिक्कमगलुरु: शहर में गधी के दूध की भारी मांग देखी जा रही है. चिक्कमगलुरु में फिलहाल गधी का दूध जमकर बिक रहा है. शहर की गली-गली में खड़े होकर गधी का दूध निकालकर वहीं लोगों को पिलाना पिछले दो दिनों से आम बात हो गई है. शहर के हाउसिंग बोर्ड, कोटे बडावाणे के आसपास झुग्गियां बनाकर 40 से ज्यादा गधों के साथ करीब 15 लोगों का एक दल डेरा डाले हुए है.
50 रुपये प्रति लीटर बिक्री :
रोज सुबह अलग-अलग बस्तियों में जाकर गधी का दूध कहकर बेचते हैं. खासकर बच्चों को तीन दिन तक इसे पिलाने से सर्दी, खांसी ठीक हो जाती है. साथ ही पाचन शक्ति भी बढ़ती है, ऐसा दावा तमिलनाडु का यह दल कर रहा है. हजारों रुपये कमा रहे हैं और गधी के दूध का कारोबार धड़ल्ले से कर रहे हैं. एक गिलास गधी के दूध को 50 रुपये प्रति गिलास के हिसाब से बेच रहे हैं.
गधी के दूध में औषधीय गुण !
कई दिनों से जगह-जगह गधी का दूध बच्चों को पिला रहे ज्यादातर लोग आज खुलेआम बिक्री होते देख खरीदने के लिए आगे आ रहे हैं. साथ ही कुछ लोग एक बार टेस्ट करने के लिए मौके पर ही दूध का सेवन कर रहे हैं. वहीं कुछ लोग बच्चों के लिए अच्छी दवा मानकर आंध्र प्रदेश, तमिलनाडु के दल के लोगों से खरीद रहे हैं. यहां तक कि बुजुर्ग, गर्भवती महिलाएं भी गधी का दूध खरीदकर पी रही हैं. मलनाडु में मलनाडु की बौनी गाय की नस्ल के दूध से भी गधी का दूध श्रेष्ठ है, यह प्रचारित करने में यह दल आगे है या नहीं, यह संदेह भी पैदा होता है. कुल मिलाकर गधी के दूध में औषधीय गुण होने की मान्यता के चलते लोग दूध खरीदकर पी रहे हैं. इससे यह भी कहा जा सकता है कि गधे का भी शुक्र ग्रह आ गया है। रिपोर्ट: आलदूर किरण, एशियानेट न्यूज़, चिक्कमगलुरु