Hydroxychloroquine दवा कब और क्यों बनी, इसे पाने के लिए ट्रम्प भी परेशान हैं, भारत को धमकी तक दे रहे हैं

Published : Apr 07, 2020, 02:20 PM ISTUpdated : Apr 09, 2020, 01:25 PM IST
Hydroxychloroquine दवा कब और क्यों बनी, इसे पाने के लिए ट्रम्प भी परेशान हैं, भारत को धमकी तक दे रहे हैं

सार

डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि अगर भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) पर निर्यात से प्रतिबंध नहीं हटाया तो जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस दवा में ऐसा क्या है कि अमेरिका के राष्ट्रपति को यह दवा पाने के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना पड़ रहा है? 

नई दिल्ली. कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए दुनिया के किसी भी देश को दवा बनाने में सफलता नहीं है। इस बीच मलेरिया के उपचार में इस्तेमाल होने वाली दवा हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) एक बार फिर से चर्चा में है। डोनाल्ड ट्रम्प ने कहा कि अगर भारत ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) पर निर्यात से प्रतिबंध नहीं हटाया तो जवाबी कार्रवाई कर सकते हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर इस दवा में ऐसा क्या है कि अमेरिका के राष्ट्रपति को यह दवा पाने के लिए ऐसी भाषा का इस्तेमाल करना पड़ रहा है? 

क्या है हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) दवा?
1955 में संयुक्त राज्य अमेरिका में चिकित्सीय उपयोग के लिए हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) को मंजूरी दी गई थी। यह विश्व स्वास्थ्य संगठन की आवश्यक दवाओं की सूची में है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल मलेरिया के इलाज में किया जाता है। इस दवा की खोज सेकंड वर्ल्ड वॉर के वक्त की गई थी। उस वक्त सैनिकों के सामने मलेरिया एक बड़ी समस्या थी। जॉन्स हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी ल्यूपस सेंटर के अनुसार, हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन का इस्तेमाल मांसपेशियों और जोड़ों के दर्द, त्वचा पर चकत्ते, दिल की सूजन और फेफड़ों की लाइनिंग, थकान और बुखार जैसे लक्षणों को ठीक करने में किया जाता है। हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन नाम की यह दवा प्लाक्वेनिल ब्रांड के तहत बेची जाती है और यह जेनेरिक के रूप में उपलब्ध है। हेल्थ मिनस्टरी में संयुक्त सचिव लव अग्रवाल ने हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन दवा पर कहा, इस दवा के कोरोना पर असर को लेकर कोई पुख्ता सबूत नहीं है। जो हेल्थ वर्कर कोविड-19 मरीजों के बीच काम कर रहे हैं उन्हें ही यह दवा दी जा रही है।  

 

क्या इसका उपयोग सुरक्षित है?
इंडियन काउंसिल फॉर मेडिकल रिसर्च के महानिदेशक बलराम भार्गव ने कोरोना वायरस संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे हेल्थ वर्कर्स के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की सिफारिश की है। भारत में इस दवा का इस्तेमाल सिर्फ उनके लिए किया जा रहा है, जो लोग कोरोना संक्रमित मरीजों के इलाज में लगे हुए हैं या फिर उन मरीजों के संपर्क में हैं। 

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन (Hydroxychloroquine) के साइड इफेक्ट्स भी हैं?
हां। दवा के साइड इफेक्ट्स भी है। जैसे कि दवा से हार्ट ब्लॉक, हार्ट रिदम डिस्टर्बेंस, चक्कर आना, जी मिचलाना, मतली, उल्टी और दस्त हो सकते हैं। मार्च की बात है, एरिजोना में एक व्यक्ति ने क्लोरोक्विन फॉस्फेट ले लिया था, जिससे उसकी मौत हो गई। इसका इस्तेमाल मछली के टैंकों को साफ करने के लिए किया जाता है। 

हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्विन से कोरोनो वायरस का इलाज हो सकता है?
फ्रांस में 40 कोरोनो वायरस रोगियों को हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन दिया गया था। उनमें से आधे से अधिक तीन से छह दिनों में अच्छा फील करने लगे।  अध्ययन ने सुझाव दिया कि मलेरिया रोधी दवा Sars-CoV-2 से संक्रमण को धीमा कर सकती है। यह वायरस को शरीर में प्रवेश करने से रोकता है। Severe acute respiratory syndrome coronavirus 2 (SARS-CoV-2) को  कोरोनो वायरस के रूप में जाना जाता है। 

चीन में दवा के बुरे परिणाम भी आए हैं
गार्जियन की रिपोर्ट के मुताबिक, चीन में एक मरीज को यह दवा दी गई, जिससे उसकी तबीयत और खराब हो गई। वहीं चार रोगियों में दस्त होने की शिकायत मिली। यूरोपीय दवा एजेंसी के अनुसार, कोरोना वायरस के रोगियों को हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वाइननहीं दिया जाना चाहिए, जब तक कि कोई इमरजेंसी न हो।

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