1960 के बाद से भारतीय वायु सेना नें 870 से अधिक मिग 21 फाइटर जेट शामिल हुए हैं। इनमें से 400 से अधिक विमान हादसे का शिकार हुए हैं। अधिक हादसे होने के चलते इसे उड़ने वाला ताबूत भी कहा जाता है।
नई दिल्ली। राजस्थान के हनुमानगढ़ में सोमवार को भारतीय वायु सेना का एक MiG-21 विमान क्रैश हो गया। इस हादसे में पायलट की जान बच गई, लेकिन जमीन पर मौजूद तीन लोगों की मौत हो गई। MiG-21 के हादसे का शिकार होने की यह पहली घटना नहीं है।
1960 के दशक में इसे पहली बार भारतीय वायु सेना में शामिल किया गया था। वायु सेना में 870 से अधिक मिग-21 विमान शामिल किए गए। इनमें से 400 से अधिक विमान हादसे का शिकार हो गए। वायुसेना का कोई और विमान इतना अधिक हादसे का शिकार नहीं होता। इन हादसों के चलते सैकड़ों पायलटों की जान गई है। यही वजह है कि मिग-21 को फ्लाइंग कॉफिन यानि उड़ता हुआ ताबूत भी कहा जाता है।
इंडियन एयर फोर्स को है लड़ाकू विमानों की कमी
अब सवाल यह है कि इतने अधिक हादसे होने के बाद भी इंडियन एयर फोर्स क्यों MiG-21 विमानों का इस्तेमाल कर रही है। इसका जवाब है लड़ाकू विमानों की कमी। इंडियन एयर फोर्स को जरूरत के अनुसार नए लड़ाकू विमान नहीं मिल रहे हैं, जिसके चलते वायु सेना पुराने पड़ चुके विमानों का इस्तेमाल कर रही है।
MiG-21 विमान को वायुसेना ने अपग्रेड कर तीसरी पीढ़ी के विमान के स्तर का बनाया है, लेकिन डेल्टा विंग डिजाइन और बहुत अधिक पुराने होने के चलते ये विमान अधिक हादसे का शिकार हो रहे हैं। वर्तमान में वायुसेना द्वारा मिग-21 विमान का इस्तेमाल इंटरसेप्टर और ट्रेनी विमान के रूप में किया जा रहा है। इंटरसेप्टर का रोल निभाने वाले विमान की जिम्मेदारी हमला करने आ रहे लड़ाकू विमान को रोकने की होती है। इसके लिए विमान को सीमा के करीब स्थित एयरबेस पर तैनात किया जाता है।
इंडियन एयरफोर्स कर रही करीब 50 मिग 21 विमानों का इस्तेमाल
वर्तमान में इंडियन एयरफोर्स MiG-21 के तीन स्क्वाड्रन का इस्तेमाल कर रही है। इसमें कुल करीब 50 विमान हैं। पिछले साल वायुसेना ने तय किया था कि आने वाले तीन साल में सभी मिग-21 विमानों को सेवा से हटा दिया जाएगा। वायुसेना की योजना अगले पांच साल में Mig-29 के तीन स्क्वाड्रन को फेज आउट करने की है। इन विमानों की जगह नए और आधुनिक फाइटर प्लेन वायुसेना में शामिल किए जाने हैं।
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इंडियन एयरफोर्स को आधुनिक बनाने के लिए रक्षा मंत्रालय ने फरवरी 2021 में HAL (Hindustan Aeronautics Limited) के साथ 83 तेजस जेट्स बनाने के लिए 48,000 करोड़ रुपए का सौदा किया था। इसके साथ ही फ्रांस से 36 राफेल फाइटर प्लेन भी खरीदे गए हैं। वायुसेना 114 मल्टी रोल फाइटर प्लेन खरीदने के लिए प्रक्रिया में है।
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