गुरूवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra singh tomar) ने कांग्रेस पर किसानों को भ्रमित करने के आरोप में हमला बोला है। कृषि मंत्री ने कहा कि यदि कांग्रेस को लगता है कि इन बिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नहीं है तो उन्होंने 50 साल सत्ता में रहते हुए इसपर कानून बनाना आवश्यक क्यों नहीं समझा। MSP भारत सरकार का प्रशासकीय निर्णय है, जो आने वाले समय में भी लागू रहेगा।
नई दिल्ली. कृषि बिलों को लेकर देशभर में कई किसान संगठन और विपक्षी दल विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं। इसी बीच गुरूवार को केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर (Narendra singh tomar) ने कांग्रेस पर किसानों को भ्रमित करने के आरोप में हमला बोला है। कृषि मंत्री ने कहा कि यदि कांग्रेस को लगता है कि इन बिलों में न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) नहीं है तो उन्होंने 50 साल सत्ता में रहते हुए इसपर कानून बनाना आवश्यक क्यों नहीं समझा। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल इन बिलों में एमएसपी की गारंटी की बेवजह मांग कर रहे हैं क्योंकि इन बिलों में एमएसपी को हटाया ही नहीं गया है। MSP भारत सरकार का प्रशासकीय निर्णय है, जो आने वाले समय में भी लागू रहेगा।
गुरूवार सुबह न्यूज एजेंसी एएनआई को दिए एक इंटरव्यू में भी कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि ये कृषि बिल किसान हितैषी हैं और इससे उनकी आय में इससे इजाफा होगा। यह बिल किसानों को मंडियों के बाहर किसी भी स्थान से किसी भी स्थान पर अपनी मर्जी के भाव पर अपना उत्पाद बेचने की स्वतंत्रता देते है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस समेत कुछ विपक्षी राजनीतिक पार्टियां अपने निजी स्वार्थ के लिए देश में किसानों के बीच झूठ फैलाने का काम कर रही हैं। दरअसल केंद्र सरकार ने बीते रविवार को ही कृषि से जुड़े बिलों संसद के उच्च सदन राज्यसभा से पास कराया था। इसे लोकसभा से पहले ही पास करवाया जा चुका है।
कांग्रेस के नेतृत्व को बौना बताया
संसद में इस बिल का विरोध कर रही मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस पर सवाल पूछे जाने पर मंत्री तोमर ने कहा कि कांग्रेस पार्टी इन बिलों पर देश के किसानों के बीच भ्रम फैलाना चाहती हैं। कांग्रेस का कोई भी नेता चाहे वो केंद्र का हो या राज्य का हो उसे पहले ये बताना चाहिए कि उन्होंने जो घोषणा अपने घोषणापत्र में की थी अब हम उससे पलट रहे हैं तो मैं उनका आर्ग्युमेंट सुनने को तैयार हूं । कांग्रेस का नेतृत्व बौना हो गया है। कांग्रेस में जो अच्छे लोग हैं उनकी पहचान अब समाप्त हो गई है। जिन लोगों के हाथ में नेतृत्व है उनकी देश में कोई हैसियत बची ही नहीं है इसलिए मैं किसानों से कहना चाहता हूं कि इन बिलों को एक बार कार्यान्वित होने दीजिए । निश्चित रूप से किसानों के जीवन में इन बिलों के माध्यम से क्रांतिकारी बदलाव आएगा।