काबुल के कई प्रतिभागी पाठ्यक्रम में भाग ले रहे हैं क्योंकि यह ऑनलाइन है और उन्हें भारत की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं होगी।
Immersing with Indian thoughts: आईआईएम द्वारा आयोजित किए जा रहे चार दिवसीय पाठ्यक्रम "इमर्सिंग विद इंडियन थॉट्स" में अफगानिस्तान में शासन कर रहे तालिबान शासन के प्रतिनिधि भी भाग लेंगे। विदेश मंत्रालय ने यह आमंत्रण भेजा है। माना जा रहा है कि बिना अफगानिस्तान में तालिबान शासन को मान्यता दिए भारत आगे के संबंधों को जारी रख रहा है। हालांकि, कई अन्य देशों के प्रतिनिधि भी ऑनलाइन पाठ्यक्रम में भाग ले रहे हैं।
आईआईएम कोझिकोड के माध्यम से विदेश मंत्रालय ने भेजा न्योता
भारतीय प्रबंधन संस्थान कोझिकोड के माध्यम से भारत के विदेश मंत्रालय ने इस कोर्स की पेशकश की है। पाठ्यक्रम के लिए भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम के सभी भागीदार देशों को आमंत्रित किया गया था।
क्या है कोर्स में?
आईआईएम कोझिकोड के चार दिवसीय कोर्स, भारत की विशिष्टता इसकी विविधता में एकता में निहित है। बाहरी लोगों को इस देश की विविधता बेहद आश्चर्यजनक लगती है। यह कार्यक्रम उन लोगों को देश की समझ विकसित करने के लिए और उसके बारे में जानने के बारे में है। आयोजकों ने यह भी कहा कि प्रतिभागियों को भारत के आर्थिक वातावरण, सांस्कृतिक विरासत, सामाजिक पृष्ठभूमि को अनुभव करने और सीखने का अवसर मिलेगा। सिनॉप्सिस के अनुसार "यह कोर्स प्रतिभागियों को भारत के आर्थिक वातावरण, रेगुलेटर्स इको सिस्टम, लीडरशिप, सामाजिक और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि, सांस्कृतिक विरासत, कानूनी और पर्यावरणीय परिदृश्य, उपभोक्ता मानसिकता और व्यावसायिक जोखिमों के बारे में अनुभव करने और सीखने का अवसर प्रदान करता है।"
अधिकतम 30 प्रतिभागी होंगे
आईटीईसी वेबसाइट पर विवरण के अनुसार, अधिकतम 30 प्रतिभागी होंगे जिसमें सरकारी अधिकारियों, व्यापारिक नेताओं, अधिकारियों और उद्यमियों को शामिल किया गया है।
क्यों शामिल हो रहे हैं तालिबान प्रतिनिधि?
काबुल के कई प्रतिभागी पाठ्यक्रम में भाग ले रहे हैं क्योंकि यह ऑनलाइन है और उन्हें भारत की यात्रा करने की आवश्यकता नहीं होगी। जानकार लोगों ने कहा कि तालिबान शासन को अलग-थलग करने के बजाय शिक्षित करना बेहतर है। तालिबान के सत्ता में आने के 10 महीने बाद भारत ने जुलाई 2022 में काबुल में अपना दूतावास फिर से खोला जिसे उसने तकनीकी टीम कहा था। विदेश मंत्रालय ने कहा कि इसका उद्देश्य मानवीय सहायता की बारीकी से निगरानी और समन्वय करना था।