सांस लेने और खांसी की आवाज से हो सकेगी कोरोना की टेस्टिंग, भारत में हो रही है रिसर्च

सांस लेने और खांसने के दौरान पैदा होने वाली ध्वनि तरंगों से आधार पर कोरोना वायरस के टेस्टिंग का एक उपकरण बनाया जा रहा है। बेंगलुरु की भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में शोधकर्ताओं की एक टीम इसपर काम कर रही है। 

Asianet News Hindi | Published : Apr 15, 2020 2:08 PM IST / Updated: Apr 15 2020, 07:40 PM IST

नई दिल्ली. सांस लेने और खांसने के दौरान पैदा होने वाली ध्वनि तरंगों से आधार पर कोरोना वायरस की टेस्टिंग के लिए एक उपकरण बनाया जा रहा है। बेंगलुरु की भारतीय विज्ञान संस्थान (आईआईएससी) में शोधकर्ताओं की एक टीम इसपर काम कर रही है। इस उपकरण को मंजूरी मिलने के बाद इससे जांच की जा सकेगी, जिसमें स्वास्थ्यकर्मियों को कम खतरा होगा और मौजूदा जांच विधि की तुलना में जल्द परिणाम सामने आ सकते हैं।

आठ लोगों की टीम कर रही काम
इस प्रोजेक्ट पर आठ लोगों की टीम काम कर रही है। टीम के अनुसार, महामारी के मामलों की संख्या बढ़ रही है और संक्रमण की सरल, किफायती और जल्द  जांच किया जाना बहुत जरूरी है। कोरोना वायरस के प्रमुख लक्षणों में सांस संबंधी समस्याएं शामिल हैं। जो उपकरण बनाया जा रहा है, उसका उद्देश्य इन श्वसन तरंगों (सांस लेने के दौरान पैदा होने वाली आवाज) में बीमारी के बायोमार्कर का पता लगाना और उनकी मात्रा का निर्धारण करना है। बायोमार्कर या बायोलॉजिकल मार्कर किसी बीमारी का एक इंडीकेटर होता है।

सिर्फ 5 मिनट का समय लगेगा
टीन ने कहा, इस प्रोजेक्ट में सांस लेने की आवाज, खांसी की आवाज से पौदा होने वाली ध्वनि तरंगों को रिकॉर्ड करने की जरूरत होती है। इस पूरी प्रक्रिया में सिर्फ 5 मिनट का समय लगता है। 

भारत में कोरोना के 11933 केस
भारत में कोरोना के 11,933 संक्रमित मरीज हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया कि इसमें 10,197 एक्टिव मामले, 1,344 ठीक और 392 लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं यूपी में पहले चरण के 15 जिलों के 173 हॉटस्पॉट्स में 10,43,182 लोगों की पहचान की गई। इनमें से करीबन 500 कोरोना पॉजिटिव केस आए हैं। दूसरे चरण के जिलों में 29 हॉटस्पॉट्स में 119 कोरोना पॉजिटिव केस आए हैं। 

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