IMF ने भारत के कृषि कानूनों की तारीफ की, कहा-किसानों का मुनाफा बढ़ेगा, दिया एक सुझाव

अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत के नए कृषि  कानूनों की तारीफ की है। आईएमएफ ने कहा कि इससे भारत के ग्रामीण विकास के मदद मिलेगी। आईएमएफ ने सुझाव देते हुए कहा, भारत सरकार को उन लोगों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनानी चाहिए जिन पर इन कानूनों से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

नई दिल्ली. अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) ने भारत के नए कृषि  कानूनों की तारीफ की है। आईएमएफ ने कहा कि इससे भारत के ग्रामीण विकास के मदद मिलेगी। आईएमएफ ने सुझाव देते हुए कहा, भारत सरकार को उन लोगों की सामाजिक सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए नीतियां बनानी चाहिए जिन पर इन कानूनों से प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

"ग्रामीण विकास में मदद मिलेगी"

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आईएमएफ की कम्यूनिकेशन डायरेक्टर गेरी राइस ने कहा, हम मानते हैं कि भारत में कृषि सुधारों के लिए नए कृषि कानून महत्वपूर्ण कदम हैं। ये किसानों को विक्रेताओं के साथ सीधे जोड़ने में सक्षम बनाएगा। इससे ग्रामीण विकास को मदद मिलेगी।

आईएमएफ का यह बयान ऐसे समय में आया है जब कृषि कानूनों को लेकर किसानों और सरकार के बीच 10वें दौर की बातचीत है।

किसान-सरकार के बीच 9 बार बात हुई

किसानों और सरकार के बीच कृषि कानूनों को लेकर 9बार बातचीत हो चुकी है। 9वें दौर की बैठक 3 घंटे चली थी। बैठक के बाद कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने कहा था, किसान यूनियन के साथ तीनों कृषि कानूनों पर चर्चा होती रही परन्तु कोई समाधान नहीं निकला। सरकार की तरफ से कहा गया कि कानूनों को वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प दिया जाए, लेकिन कोई विकल्प नहीं मिला। सरकार ने बार-बार कहा है कि किसान यूनियन अगर कानून वापिस लेने के अलावा कोई विकल्प देंगी तो हम बात करने को तैयार हैं। आंदोलन कर रहे लोगों का मानना है कि इन कानूनों को वापिस लिया जाए। लेकिन देश में बहुत से लोग इन कानूनों के पक्ष में हैं।

बातचीत में किन मुद्दों पर नहीं बन रही बात

दो ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर बात नहीं बन पा रही है। पहला, किसानों की मांग है कि तीनों कानून रद्द किए जाएं। दूसरा, एमएसपी पर कानून बने। इससे पहले दो और मुद्दे थे जिनपर 30 दिसंबर को हुई बैठक में सहमति बन गई। पहला मुद्दा था कि पराली जलाने पर केस दर्ज नहीं होंगे। अभी 1 करोड़ रुपए जुर्माना और 5 साल की कैद का प्रावधान है। सरकार ने इसे हटाने पर हामी भर दी है। दूसरा था, बिजली अधिनियम में बदलाव नहीं किया जाएगा। किसानों का आशंका है कि इस कानून से बिजली सब्सिडी बंद हो जाएगी। अब यह कानून नहीं बनेगा।

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