अगले 15 सालों में 10 लाख नौकरियां आएगी भारत, 100 अरब डॉलर का होगा निवेश, जानें इसके पीछे की कहानी

Published : Mar 10, 2024, 02:50 PM ISTUpdated : Mar 10, 2024, 03:00 PM IST
TRADE DEAL

सार

भारत और चार यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) देशों, जिसमें आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शामिल है. उन्होंने एक व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर किया है।

भारत और EFTA। भारत और चार यूरोपीय मुक्त व्यापार संघ (EFTA) देशों, जिसमें आइसलैंड, लिकटेंस्टीन, नॉर्वे और स्विट्जरलैंड शामिल है. उन्होंने एक व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) पर हस्ताक्षर किया है। भारत और EFTA के बीच व्यापार और आर्थिक साझेदारी समझौते (TEPA) पर किए गए हस्ताक्षर के साथ, भारत को अगले 15 वर्षों में EFTA देशों से 100 अरब डॉलर का निवेश मिलने की उम्मीद है और दस लाख नौकरियां पैदा होने की उम्मीद है।

केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल ने इस समझौते को विकसित पश्चिमी दुनिया और यूरोपीय देशों के साथ भारत का पहला समझौता बताया। उन्होंने यह भी कहा कि 16 साल की बातचीत के बाद एक न्यायसंगत और संतुलित समझौता संपन्न हुआ है। गोयल के अनुसार TEPA, IPAR, पर्यावरण, व्यापार और लिंग जैसे आधुनिक मुद्दों को शामिल करता है और एक उभरते भारत को भी दर्शाता है।

भारत EFTA सदस्य देश कर रहा था बात

भारत और EFTA सदस्य देश 2008 से TEPA पर बातचीत कर रहे थे। बातचीत के हिस्से के रूप में भारत ने स्विस कंपनियों द्वारा घरेलू विनिर्माण और निवेश को सक्षम करने के उद्देश्य से सौदे के हिस्से के रूप में सेवाओं को शामिल करने की मांग की थी। जबकि स्विट्जरलैंड ने पहले से ही अपने लगभग सभी सामानों पर जीरो ड्यूटी टैक्स लगाया है. इसको लेकर भारत ने निवेश पर प्रतिबद्धता मांगी थी ताकि वस्तुओं पर जीरो ड्यूटी टैक्स को संतुलित किया जा सके और सौदेबाजी में भारत के हितों की रक्षा की जा सके।

भारत का EFTA देशों से बढ़ा निर्यात

TEPA पर हस्ताक्षर होने से पहले  EFTA समूह के पास 35 से अधिक भागीदार देशों के साथ 29 मुक्त व्यापार समझौते (FTA) थे। EFTA देश यूरोपीय संघ का हिस्सा नहीं हैं और वर्तमान में भारत के साथ अनुकूल व्यापार कर रहे हैं. जहां वित्तीय वर्ष 2022-23 में EFTA देशों को भारत के साथ 1.92 अरब डॉलर की निर्यात था, वहीं वित्तीय वर्ष 2022-23 में भारत ने EFTA देशों से 16.74 अरब डॉलर की वस्तुओं  का निर्यात किया था। भारत और EFTA ने वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR), निवेश प्रोत्साहन और सहयोग, उत्पत्ति के नियम, व्यापार सुविधा और व्यापार और सतत विकास सहित कई अध्यायों पर बातचीत की है।

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