घरेलू बाजार में कीमत वृद्धि रोकने के लिए भारत ने गेहूं के निर्यात (Wheat Exports) पर बैन लगा दिया है। पहले से जारी ऋण पत्र देशों को निर्यात जारी रहेगा। इसके साथ ही सरकार अन्य देशों के अनुरोध पर निर्यात की अनुमति देगी।
नई दिल्ली। घरेलू बाजार में कीमत वृद्धि पर कंट्रोल के लिए भारत ने गेहूं के निर्यात (Wheat Export) पर तत्काल प्रभाव से प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने कहा कि जिन देशों के लिए कल की नोटिफिकेशन जारी होने से पहले ऋण पत्र (letters of credit) जारी किए गए हैं सिर्फ उन्हें गेहूं निर्यात की अनुमति दी जाएगी। सरकार ने दो दिन पहले ही निर्यात को बढ़ावा देने के लिए बड़े एक्सपोर्ट टारगेट की घोषणा की थी।
विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी अधिसूचना में कहा गया है कि इसके अलावा सरकार अन्य देशों के अनुरोध पर निर्यात की अनुमति देगी। अधिसूचना में कहा गया है कि सरकार ने "देश की समग्र खाद्य सुरक्षा का प्रबंधन करने और पड़ोसी और अन्य कमजोर देशों की जरूरतों का समर्थन करने के लिए" यह निर्णय लिया है।
रूस यूक्रेन युद्ध के चलते दुनिया में बढ़ी है भारत के गेहूं की मांग
दरअसल रूस और यूक्रेन दोनों देश दुनिया के प्रमुख खाद्यान निर्यातक देश हैं। दोनों देशों से बड़ी मात्रा में गेहूं निर्यात किया जाता है। फरवरी के अंत में यूक्रेन और रूस के बीच लड़ाई शुरू होने के बाद दुनिया में गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है। ऐसे में भारत के गेहूं की मांग बढ़ी है। भारत ने रिकॉर्ड गेहूं निर्यात किया है। चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा गेहूं उत्पादक देश है।
गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने का कदम मार्च में लू के कारण फसल को भारी नुकसान के बाद उठाया गया है। सरकार पर मुद्रास्फीति पर लगाम लगाने का भी दबाव है जो अप्रैल में बढ़कर 7.79 प्रतिशत हो गई। सरकार द्वारा निर्यात को बढ़ावा देने की अपनी योजना की घोषणा के दो दिन बाद यह यू-टर्न लिया गया है।
10 मिलियन टन गेहूं निर्यात का रखा लक्ष्य
एक सरकारी बयान में गुरुवार को कहा गया कि केंद्र भारत से गेहूं के निर्यात को बढ़ावा देने की संभावनाओं की खोज के लिए मोरक्को, ट्यूनीशिया, इंडोनेशिया, फिलीपींस, थाईलैंड, वियतनाम, तुर्की, अल्जीरिया और लेबनान में व्यापार प्रतिनिधिमंडल भेजेगा।
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2022-23 वैश्विक स्तर पर अनाज की बढ़ती वैश्विक मांग के बीच भारत ने रिकॉर्ड 10 मिलियन टन गेहूं निर्यात का लक्ष्य रखा है। वैश्विक बाजार में भारतीय गेहूं की मांग में वृद्धि हुई है। किसानों, व्यापारियों और निर्यातकों को आयात करने वाले देशों के सभी गुणवत्ता मानदंडों का पालन करने की सलाह दी गई है ताकि भारत विश्व स्तर पर गेहूं के विश्वसनीय आपूर्तिकर्ता के रूप में उभर सके।
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