भारत बायोटेक की वैक्सीन को दूसरी बड़ी सफलता, अब 12 साल से ज्यादा उम्र के बच्चों पर भी ट्रायल की मंजूरी मिली

भारत बायोटेक की वैक्सीन 'कोवैक्सीन' को भारत के केंद्रीय ड्रग प्राधिकरण ने रविवार को आपातकालीन स्वीकृति दी। लेकिन अब ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों पर भी इसका परीक्षण करने की अनुमति दे दी है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोरोनावायरस वैक्सीन 'कोविशील्ड' को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित किया गया है, जिसे भारत बायोटेक वैक्सीन के साथ-साथ आपातकालीन स्वीकृति मिली है। लेकिन यह अनुमति 18 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए ही है। 

Asianet News Hindi | Published : Jan 4, 2021 8:07 AM IST

नई दिल्ली. भारत बायोटेक की वैक्सीन 'कोवैक्सीन' को भारत के केंद्रीय ड्रग प्राधिकरण ने रविवार को आपातकालीन स्वीकृति दी। लेकिन अब ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया (DCGI) ने 12 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों पर भी इसका परीक्षण करने की अनुमति दे दी है। ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका कोरोनावायरस वैक्सीन 'कोविशील्ड' को पुणे स्थित सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) द्वारा निर्मित किया गया है, जिसे भारत बायोटेक वैक्सीन के साथ-साथ आपातकालीन स्वीकृति मिली है। लेकिन यह अनुमति 18 वर्ष से अधिक उम्र के बच्चों के लिए ही है। 

डीसीजीआई के मुताबिक, भारत बायोटेक की कोवैक्सिन और सीरम इंस्टीट्यूट की कोविशील्ड को आपातकालीन स्थितियों में ही इस्तेमाल की अनुमति दी गई है। दोनों टीकों की दो खुराक दी जाएगी।

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कोवैक्सिन को लेकर क्यों उठ रहे हैं सवाल
दरअसल, 'कोवैक्सिन' के तीसरे चरण के ट्रायल का डेटा अब तक जारी नहीं किया गया है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर डेटा सामने आने से पहले ही वैक्सीन को मंजूरी क्यों दे दी गई? 
 
कोविशील्ड : कोविशील्ड कोरोना वैक्सीन को ऑक्सफोर्ड और एस्ट्राजेनेका ने बनाया है। ब्रिटेन, अर्जेंटीना और स्लावाडोर के बाद भारत चौथा देश है, जिसने कोविशील्ड के इमरजेंसी इस्तेमाल की मंजूरी दी है। कोविशील्ड को भारत की कंपनी सीरम इंस्टीट्यूट ने बनाया है। सीरम का दावा है कि कंपनी पहले ही 5 करोड़ डोज बना चुकी है। वहीं, कंपनी के 5-6 करोड़ वैक्सीन हर महीने बनाने की क्षमता है।

कोवैक्सिन : कोवैक्सिन को हैदराबाद की कंपनी भारत बायोटेक और आईसीएमआर ने तैयार किया है। कोवैक्सिन को कोरोनोवायरस के कणों का इस्तेमाल करके बनाया गया है, जो उन्हें संक्रमित या दोहराने में असमर्थ बनाते हैं। इन कणों की विशेष खुराक इंजेक्ट करने से शरीर में मृत वायरस के खिलाफ एंटीबॉडी बनाने में मदद करके इम्यून का निर्माण होता है।

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