भारत और चीन के बीच 6 नवंबर को 8वें दौर की कमांडर स्तर की वार्ता होगी, विवाद को सुलझाने पर होगा फोकस

भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 6 नवंबर को 8वें दौर की सैन्य वार्ता होगी। इस वार्ता में मुख्य तौर पर यह पक्ष रखा जाएगा कि दोनों सेनाएं एक साथ मई 2020 से पहले वाली स्थिति में जाने की शुरुआत करें। हालांकि, भारत और चीन के बीच अभी तक 7 स्तर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन इनमें कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है।

नई दिल्ली. भारत और चीन के बीच सीमा विवाद को सुलझाने के लिए 6 नवंबर को 8वें दौर की सैन्य वार्ता होगी। इस वार्ता में मुख्य तौर पर यह पक्ष रखा जाएगा कि दोनों सेनाएं एक साथ मई 2020 से पहले वाली स्थिति में जाने की शुरुआत करें। हालांकि, भारत और चीन के बीच अभी तक 7 स्तर की बातचीत हो चुकी है। लेकिन इनमें कोई निष्कर्ष नहीं निकल पाया है। 

पूरे लद्दाख में तापमान शून्य से नीचे जा चुका है। ऐसे में एलएसी पर भारत और चीन अपनी सेनाएं वापस लेगा या वहीं डटी रहेंगी, इसका फैसला इस वार्ता में हो सकता है। वहीं, इस बैठक में 6वें और 7वें दौर की बातचीत में जिन बिंदुओं पर सहमति बनी थी, उनकी भी समीक्षा होगी। समाचार एजेंसी एएनआई ने बताया कि यह बैठक 6 नवंबर को होगी। 
 
संयुक्त बयान जारी कर सकते हैं दोनों देश 
अगस्त के आखिर तक भारतीय सेना ने चुशूल सब सेक्टर में पैट्रोलिंग पॉइंट्स से आगे जाकर एडवांस्ड पोजिशंस पर अपनी पकड़ बना ली है। इससे चीन का रुख बदला हुआ है। ऐसे में दोनों देशों ने इस बातचीत के बाद संयुक्त बयान जारी करने का फैसला किया है। इसे सकारात्मक पक्ष माना जा रहा है। 
 
इन इलाकों में अब भारत का दबदबा
हाल ही में मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि अब पैंगोंग के दक्षिण इलाके में भारत का दबदबा है। क्योंकि ना सिर्फ यहां से भारत स्‍पांगुर गैप पर बल्कि मोल्‍दो में चीनी टुकड़ियों पर भी नजर बना पा रहा है। इसे देखते हुए चीन के तेवर बदले हुए हैं। उन्होंने कहा था, ताजा बातचीत में वे चाहते हैं कि भारत दक्षिण तट पर चोटियां खाली करें। वहीं, भारत ने साफ कर दिया है कि दोनों सेनाएं एक साथ झील के किनारों से पीछे हटें।

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प्रस्ताव पर हुई चर्चा
बताया जा रहा है कि चुशूल वार्ता के प्रमुख बिंदुओं पर सरकार की तरफ से गठित उच्च स्तरीय चाइना स्टडी ग्रूप की बैठक भी हो चुकी है। इसमें चीन की तरफ से सैनिकों की वापसी के लिए जो प्रस्ताव दिया गया है, उस पर भी चर्चा हो चुकी है। भारत अपने रुख पर कायम है कि एलएसी पर मई 2020 से पहले वाली स्थिति बहाल होनी चाहिए।

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