मजबूत आर्थिक स्थिति में भारत: वैश्विक मंदी के बावजूद देश 2029 तक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आगे बढ़ रहा-विनीता हरिहरन

दुनिया के प्रमुख देशों के अर्थव्यवस्थाओं के साथ तुलनात्मक मूल्यांकन में, भारत सबसे मजबूत स्थिति में है। इस संबंध में कुछ आंकड़े हैं: 2022 में भारत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि 7.4% थी, जबकि चीन ने 3.3%, यूएसए ने 2.3% ने वृद्धित दर्ज की थी।

Dheerendra Gopal | Published : Jan 31, 2023 5:25 PM IST / Updated: Feb 01 2023, 07:12 AM IST

लेखक-विनीता हरिहरन(पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट). Indian Economy Growth amid Global slowdown: महामारी, Ukraine-Russia war, विकसित देशों में मौद्रिक तंगी से प्रभावित ग्लोबल इकोनॉमी में मंदी के बावजूद भारत की अर्थव्यवस्था वित्त वर्ष 2023 के लिए 6.8% अनुमानित वार्षिक जीडीपी विकास दर के साथ सबसे तेजी से बढ़ रही है। यही नहीं भारतीय अर्थव्यवस्था तीसरे स्थान पर पहुंचने के लिए तैयार है। 2014 में 10वें स्थान पर रहने वाली अर्थव्यस्था पीएम नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में 2029 तक सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर आगे बढ़ रही है।

भारतीय अर्थव्यवस्था सबसे मजबूत स्थिति में...

दुनिया के प्रमुख देशों के अर्थव्यवस्थाओं के साथ तुलनात्मक मूल्यांकन में, भारत सबसे मजबूत स्थिति में है। इस संबंध में कुछ आंकड़े हैं: 2022 में भारत की वार्षिक जीडीपी वृद्धि 7.4% थी, जबकि चीन ने 3.3%, यूएसए ने 2.3% ने वृद्धित दर्ज की थी। विकसित अर्थव्यवस्थाओं ने बड़े पैमाने पर 2.5% की वृद्धि दर्ज की और विकासशील अर्थव्यवस्था सिर्फ 3.6% की थी। 2023 में भारत के लिए 6.1% विकास का अनुमान है तो चीन के लिए 4.6%, यूएसए के लिए 1% के विकास अनुमान है। एक रिपोर्ट के अनुसार विकसित अर्थव्यवस्थाओं के लिए 1.4% और विकासशील अर्थव्यवस्थाएं 3.9% के विकास का अनुमान है।

भोजन, आश्रय और उर्जा के मोर्च पर भी भारत सफल रहा

2021-22 के बीच भोजन, आश्रय और ऊर्जा के उत्तरजीविता संकेतकों पर करीब से नज़र डालने से पता चलता है कि भारत अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी से बेहतर प्रदर्शन कर रहा है। खाद्य कीमतों पर, जबकि यूएस, यूके और जर्मनी जैसे देशों ने क्रमशः 25%, 18% और 35% वृद्धि दर्ज की तो भारत ने वृद्धि को केवल 12% पर नियंत्रित किया। इसी तरह आश्रय की कीमतों पर जहां अमेरिका, जर्मनी और ब्रिटेन में 21% और 30% की वृद्धि देखी गई, वहीं भारत में केवल 6% की वृद्धि दर्ज की गई। इसी तरह की प्रवृत्ति ऊर्जा की कीमतों में देखी गई जहां यूके और जर्मनी ने 93% और 62% की उच्च वृद्धि दर्ज की जबकि भारत में केवल 16% की वृद्धि देखी गई।

वित्तीय सशक्तिकरण का लाभ भारत के गरीबों को मिला

देश के आर्थिक विकास की वजह से हमारे वित्तीय सशक्तिकरण कार्यक्रमों का लाभ देश के गरीबों को मिला। 2014 से हमारी प्रति व्यक्ति आय में 57% की वृद्धि हुई है जबकि ब्राजील और जापान जैसे देशों में प्रति व्यक्ति आय में क्रमशः 27% और 11% की गिरावट देखी गई है। वहीं, हमारा पड़ोसी देश श्रीलंका, पाकिस्तान और बांग्लादेश आर्थिक उथल-पुथल में हैं और यह लोग अब सहायता के लिए आईएमएफ की राह देख रहे हैं। जबकि भारत का विदेशी मुद्रा भंडार 550 बिलियन अमरीकी डालर तक बढ़ गया है।

जनसांख्यिकी के संदर्भ में भी भारत अच्छी स्थिति में है। भारत 2050 तक चीन की आबादी को पार कर जायेगा। बढती आबादी के साथ भारत एक मजबूत भविष्य प्रस्तुत कर रहा है। भारत आज दुनिया में सबसे युवा देश है और कामकाजी उम्र वाली आबादी ज्यादा है जिसका लाभ भारत की अर्थव्यवस्था को मिल रहा है और आगे भी मिलेगा।

आने वाले वर्षों में उभरते और विकासशील देशों में आउटपुट और रोजगार क्रमशः 4.3% और 2.6% तक अनुबंधित होने का अनुमान है। मॉर्गन स्टेनली के साथ भारत का उत्पादन और रोजगार बढ़ना जारी है। भारत में जीडीपी का विनिर्माण हिस्सा वर्तमान में 15.6% से बढ़कर 2031 तक 21% हो सकता है। इस प्रक्रिया में भारत के निर्यात बाजार में हिस्सेदारी दोगुनी हो सकती है।

निजी भागीदारी में लगभग 70% की वृद्धि के साथ 2022 में नया निवेश INR 20 ट्रिलियन का था, जबकि 21' और 20' में प्रत्येक में 10 ट्रिलियन था। उच्च सकल घरेलू उत्पाद की वृद्धि के कारण 2022 के अंत तक हमारे घरेलू जीएसटी संग्रह 1.49 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने के साथ उम्मीद से बेहतर कर संग्रह भी हुआ।

भारत की आर्थिक सफलता के पीछे मोदी सरकार की आर्थिक नीति

भारत की इस आर्थिक सफलता के पीछे मुख्य रूप से मोदी सरकार की आर्थिक नीति और अर्थव्यवस्था को उभारने और मजबूत करने के लिए लाई गई विभिन्न कार्यक्रम और सुविधाएं कारण हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना के माध्यम से किफायती आवास में 2015 में 5 मिलियन से कम से 2022 में 25 मिलियन तक की वृद्धि हुई। जल जीवन मिशन और अमृत मिशन जैसे कार्यक्रमों के माध्यम से 2015 में नल के पानी की पहुंच 15% से बढ़कर 2022 में 45% हो गई है। सौभाग्य मिशन के माध्यम से बिजली की पहुंच वाले घरों का कवरेज 52% से बढ़कर लगभग 100% हो गया है। गरीबी रेखा से नीचे की 3. 7 करोड़ से अधिक महिलाओं को लाभान्वित करने वाली सर्वव्यापी उज्ज्वला योजना ने एलपीजी सिलेंडर वाले परिवारों के कवरेज को 2014 में 56% से बढ़ाकर आज 100% कर दिया है। बहुप्रतीक्षित स्वच्छ भारत मिशन जो महिलाओं को सम्मान से जीने का अधिकार देता है और खुले में शौच से देश को मुक्त करने की ओर बड़ा कार्यक्रम है उसमे अच्छी अच्छे परिणाम दर्ज किये गए हैं। आज देश में स्वच्छता का कवरेज 43% से 100% तक पहुंच गया है। इससे देश खुले में शौच से मुक्त हो चुका है।

डिजिटल लेन देन का सबसे बड़ा उदाहरण पेश किया

केंद्र की मोदी सरकार के डिजिटल मिशन के माध्यम से आज देश डिजिटल लेन देन में दुनिया को एक उदाहरण पेश कर रहा है। जिस डिजिटल मिशन को लेकर कई सवाल खड़े किये गए आज वो मिशन एक क्रांति के रूप में विकसित हुआ है। 65 करोड़ से अधिक सक्रिय इंटरनेट उपयोगकर्ताओं के साथ, डिजिटल कवरेज 2014 में केवल 20 प्रति 100 से बढ़कर आज 60 प्रति 100 हो गया है। Mckinsey study के अनुसार, वर्ष 2025 तक मुख्य डिजिटल सेक्टर जैसे आईटी, बिजनेस प्रोसेस मैनेजमेंट आदि अपने सकल घरेलू उत्पाद के स्तर को दोगुना कर 435 बिलियन डॉलर कर सकते हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि, शिक्षा, ऊर्जा, वित्तीय सेवाओं, स्वास्थ्य सेवा, सरकारी सेवाओं और श्रम बाजारों सहित नए डिजिटाइज़िंग क्षेत्रों में से प्रत्येक 2025 में $10 बिलियन से $150 बिलियन का वृद्धिशील आर्थिक मूल्य बना सकता है।

जीरो कार्बन नीति पर आगे बढ़ रहा देश...

रिन्यूवल एनर्जी के क्षेत्र में भी भारत ने यूएनएफसीसी में राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान को मजबूत करते हुए उल्लेखनीय प्रगति की है। हमारी बिजली उत्पादन क्षमता 200 गीगावॉट से बढ़कर 400 गीगावॉट हो गई है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा का हिस्सा 2015 में 25% से बढ़कर लगभग 40% हो गया है। ऊर्जा की मांग में यह वृद्धि और जीवाश्म ईंधन से परिवर्तन निवेश के नए अवसर प्रदान करेगा। CEEW की रिपोर्ट के अनुसार, भारत 280 GW सौर और 140 GW पवन क्षमता स्थापित करके लगभग 3.4 मिलियन नौकरियां (लघु और दीर्घकालिक) बना सकता है क्योंकि यह 2030 तक 500 GW गैर-जीवाश्म बिजली उत्पादन क्षमता के अपने लक्ष्य को पूरा करने की ओर बढ़ रहा है।

विश्व बैंक ने "नेविगेटिंग द स्टॉर्म" शीर्षक वाली एक रिपोर्ट के अनुसार "बिगड़ते अन्तराष्ट्रीय वातावरण का भार भारत की विकास संभावनाओं पर पड़ेगा लेकिन अन्य उभरते बाजारों की तुलना में भारत की अर्थव्यवस्था अपेक्षाकृत अच्छी स्थिति में रहेगी।

हमारी केंद्रीय वित्त मंत्री द्वारा 1 फरवरी, 2023 को वित्त वर्ष 2023-24 के लिए बजट पेश करते समय भारत एक स्थिर आर्थिक स्थिति में होगा। वर्ष 2022-23 का बजट चुस्त दृष्टिकोण पर आधारित था तो 2023-24 का बजट दीर्घकालिक लक्ष्यों को ध्यान में रखकर हो सकता है। पूंजीगत व्यय की गति के आत्म-निर्भर विषय के अनुरूप बढ़ने की उम्मीद के साथ बजट में मैक्रो-इकोनॉमिक स्थिरता और विकास के बीच संतुलन देखने को मिलेगा।

(लेखक विनीता हरिहरन, भारत सरकार के कई प्रमुख कार्यक्रमों के संरचना की हिस्सा रही है और प्रोग्राम्स को लागू करने के लिए नेतृत्व किया है। वह एक पब्लिक पॉलिसी एक्सपर्ट हैं। नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ़ सिंगापुर की ली कुआर यू स्कूल ऑफ पब्लिक पॉलिसी की पूर्व छात्रा हैं। वर्तमान में भाजपा महिला मोर्चा केरल की उपाध्यक्ष हैं और केरल में पार्टी की पॉलिसी व रिसर्च विंग की प्रमुख हैं)

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