9 साल के अंतराल के बाद, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर SCO समिट में भाग लेने के लिए पाकिस्तान जाएंगे, जो दोनों देशों के बीच सुधरते संबंधों का संकेत देता है। यह कदम क्षेत्रीय स्थिरता और द्विपक्षीय संबंधों के लिए नई संभावनाएं खोलता है।
नई दिल्ली। अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते बेहद खराब हो गए थे। अब ऐसे संकेत मिल रहे हैं कि दोनों देशों के रिश्ते थोड़े सुधर रहे हैं। इसी का परिणाम है कि 9 साल में पहली बार भारत के विदेश मंत्री पाकिस्तान जाने वाले हैं। डॉ. एस जयशंकर SCO समिट में हिस्सा लेने के लिए इस महीने के अंत में पाकिस्तान जाने वाले हैं।
भारत के पास SCO समिट में जूनियर मंत्री को भेजने या वर्चुअली भाग लेने का विकल्प था। इसके बाद भी जयशंकर को भेजने का फैसला किया गया। विदेश मंत्री ने हाल ही में कहा था कि भारत पाकिस्तान को लेकर निष्क्रिय नहीं है। जयशंकर पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार के साथ द्विपक्षीय बैठक करेंगे या नहीं यह अभी तय नहीं है। यह मेजबान देश पर अधिक निर्भर करेगा।
पाकिस्तान के पाले में है गेंद, उठाना चाहिए अवसर का लाभ
पाकिस्तान में भारत के उच्चायुक्त रहे अजय बिसारिया ने कहा कि गेंद पाकिस्तान के पाले में है। भारत ने जयशंकर को भेजकर साहसिक कदम उठाया है। यह अशांत रिश्ते को स्थिर करने की इच्छा का संकेत है। पाकिस्तान को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए। उसे मेजबान के रूप में सार्थक द्विपक्षीय बातचीत का प्रस्ताव रखना चाहिए।"
भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि एस जयशंकर एससीओ की बैठक के लिए पाकिस्तान जाएंगे। इसके बहुत ज्यादा मतलब नहीं निकाले जाने चाहिए। यह यात्रा इस बात को भी रेखांकित करती है कि भारत यूरेशियन ब्लॉक को कितना महत्व देता है।
SCO में चीन का प्रभुत्व है। इसे पश्चिम विरोधी मंच के रूप में स्थापित करने के प्रयास किए गए हैं। इसके बाद भी यह भारत के लिए संसाधन संपन्न मध्य एशिया के साथ संबंध बनाने, क्षेत्रीय सुरक्षा से संबंधित मुद्दों को सुलझाने और अपनी रणनीतिक स्वायत्तता पर जोर देने के लिए एक महत्वपूर्ण मंच है।
बता दें कि जयशंकर विदेश सचिव के रूप में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज के साथ 2015 में हार्ट ऑफ एशिया - इस्तांबुल प्रक्रिया वार्ता के लिए पाकिस्तान गए थे।
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