चीन की आंखों में कांटे की तरह चुभेगा भारत का यह सबसे ऊंचा एयरबेस, जानें खासियत

Published : Nov 03, 2024, 08:03 AM ISTUpdated : Nov 03, 2024, 08:08 AM IST
Nyoma Advanced Landing Ground

सार

पूर्वी लद्दाख में LAC के पास न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड बनकर तैयार है। 13,700 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह एयरबेस भारत की सामरिक क्षमता को बढ़ाएगा और चीन के लिए चिंता का विषय बनेगा।

नई दिल्ली। चीन से लगी सीमा LAC (Line of Actual Control) पर पूर्वी लद्दाख के मुध-न्योमा में स्थित एयरबेस लगभग तैयार हो गया है। यह देश का सबसे ऊंचा हवाई अड्डा है। इसका सामरिक महत्व इतना अधिक है कि चीन की आंखों में कांटे की तरह चुभेगा।

मुध-न्योमा में बना न्योमा एडवांस्ड लैंडिंग ग्राउंड (ALG) करीब 13,700 फीट की ऊंचाई पर है। यह LAC के करीब स्थित है। अब यहां भारतीय वायु सेना के विमान उतर सकते हैं। इससे भारत LAC पर तेजी से अपने सैनिकों और हथियारों को पहुंचा सकेगा। यह क्षेत्र में भारत की सामरिक क्षमताओं को बढ़ाने में बड़ा रोल निभाएगा।

 

 

तीन किलोमीटर लंबा है न्योमा ALG का रनवे

न्योमा ALG में तीन किलोमीटर का नया रनवे बनाया गया है। यहां सैनिकों और हथियार ढोने वाले बड़े विमान से लेकर लड़ाकू विमान तक उतर पाएंगे। इस परियोजना को 2021 में लगभग 214 करोड़ रुपए के बजट आवंटन के साथ आगे बढ़ाया गया था।

हवाई पट्टी की ऊंचाई और LAC के निकट इसका स्थान इसे रणनीतिक रूप से अहम बनाता है। इससे भारत अपनी उत्तरी सीमाओं पर पहले से कहीं अधिक तेजी से सैनिकों और हथियारों को तैनात कर सकेगा। इससे वायुसेना को सुदूर, पर्वतीय सीमावर्ती क्षेत्रों तक सीधी पहुंच प्राप्त होगी। इस इलाके में सड़क के रास्ते सामान पहुंचाना कठिन है।

चीन से लगी सीमा पर बुनियादी ढांचे पर दिया जा रहा ध्यान

बता दें कि भारत सरकार चीन के साथ लगी सीमा के इलाके में तेजी से बुनियादी ढांचा विकसित करने पर ध्यान दे रही है। इसी के तहत मुध-न्योमा एएलजी का निर्माण किया गया है। चार साल पहले गलवान में एलएसी पर चीन के साथ झड़प होने के बाद लद्दाख और इसके आसपास बुनियादी ढांचे की परियोजनाओं को तेज रफ्तार से आगे बढ़ाया गया है। सीमा के करीब के इलाकों में नई सड़कें, सुरंगों और पुलों का निर्माण हुआ है। इसकी मदद से हर मौसम में रोड संपर्क बनाए रखा जा सकता है।

हाल ही में भारत और चीन के बीच दो विवादित क्षेत्रों डेमचोक और देपसांग में सैन्य वापसी के समझौतों के बाद इस हवाई क्षेत्र का महत्व और बढ़ गया है। सैनिकों की वापसी के बाद इलाके में गश्त फिर से शुरू हो गई है।

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