चीन-पाकिस्तान की हरकत पर नजर रखने के लिए IAF ने तैनात किया यह ड्रोन, कर सकता है हवाई हमला

भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) ने चीन और पाकिस्तान से लगी सीमा की निगरानी के लिए फॉरवर्ड एयर बेस पर हेरॉन मार्क-2 ड्रोन तैनात किया है। यह ड्रोन हवाई हमला भी कर सकता है।

नई दिल्ली। चीन और पाकिस्तान से आने वाली चुनौतियों को देखते हुए भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) ने उत्तरी क्षेत्र के फॉरवर्ड एयर बेस पर हेरॉन मार्क-2 ड्रोन (Heron Mark 2 drones) को तैनात किया है। फॉरवर्ड एयर बेस वे हवाई अड्डे हैं जिन्हें सीमा के बेहद करीब बनाया गया है। हेरॉन मार्क-2 ड्रोन का मुख्य काम चीन और पाकिस्तान की हर हरकत पर नजर रखना है। यह जरूरत पड़ने पर हवाई हमला भी कर सकता है।

वायुसेना ने चार नए हेरॉन मार्क-2 ड्रोन को अपने फॉरवर्ड एयर बेस पर तैनात किया है। यह ड्रोन अपनी एक ही उड़ान में चीन और पाकिस्तान दोनों से लगी सीमा पर नजर रख सकता है। इस ड्रोन को लंबी दूरी तक मार करने वाली और अन्य हथियार प्रणालियों से लैस किया गया है।

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लगातार 36 घंटों तक उड़ान भर सकता है हेरॉन मार्क-2 ड्रोन

हेरॉन मार्क-2 ड्रोन के पास उपग्रह की मदद से कम्यूनिकेट करने की क्षमता है। यह लगातार 45 घंटों तक उड़ान भर सकता है। इससे बहुत बड़े इलाके की निगरानी की जा सकती है। यह ड्रोन टारगेट का पता लगाने के भी काम आता है। जंग की स्थिति में इस ड्रोन से बहुत दूर से टारगेट पर लेजर डाला जा सकता है। इसकी मदद से लड़ाकू विमान दूर से उस टारगेट पर निशाना लगाते हुए मिसाइल फायर कर सकते हैं।

इस ड्रोन की मदद से सीमा क्षेत्र की 24x7 निगरानी की जाएगी। इसे खराब मौसम भी उड़ाया जा सकता है। ड्रोन को जरूरत के अनुसार हवा से जमीन पर हमला करने वाले मिसाइल, एंटी टैंक मिसाइल और बमों से लैस किया जा सकता है।

प्रोजेक्ट चीता पर काम कर रही भारतीय वायुसेना

भारतीय वायुसेना प्रोजेक्ट चीता पर भी काम कर रही है। इसमें भारतीय सशस्त्र बलों के लगभग 70 हेरोन ड्रोन को अपग्रेड किया जाएगा। इससे वे उपग्रह के माध्यम से कम्यूनिकेट कर पाएंगे। इसके साथ ही इन्हें हथियारों से भी लैस किया जाएगा।

आने वाले दिनों में भारतीय सशस्त्र बलों को 31 प्रीडेटर ड्रोन भी मिलने वाले हैं। ये ड्रोन वर्तमान में नौसेना को हिंद महासागर क्षेत्र के बड़े इलाकों को कवर करने में मदद कर रहे हैं। नए खरीदे जा रहे 31 प्रीडेटर ड्रोन में से 15 नौसेना द्वारा ऑपरेट किए जाएंगे। बाकी ड्रोन वायुसेना और थल सेना द्वारा इस्तेमाल किए जाएंगे।

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