कोरोना : भारत जांच के मामले में पाकिस्तान से पीछे, कम टेस्टिंग बन सकती है मुसीबत; जानिए वजह

भारत में कोरोना संक्रमण के मामले 28 हजार के पास पहुंच चुके हैं। वहीं, अब तक 884 लोगों की मौत हो चुकी है। भले ही भारत की स्थिति दुनिया के अन्य देशों से बेहतर हो, लेकिन आगे आने वाले दिनों में देश की चुनौती बढ़ सकती है। दरअसल,  कोरोना से जंग में टेस्टिंग को अहम हथियार माना जा रहा है। लेकिन इस मामले में हम अभी तक काफी पीछे हैं। 

नई दिल्ली. भारत में कोरोना संक्रमण के मामले 28 हजार के पास पहुंच चुके हैं। वहीं, अब तक 884 लोगों की मौत हो चुकी है। भले ही भारत की स्थिति दुनिया के अन्य देशों से बेहतर हो, लेकिन आगे आने वाले दिनों में देश की चुनौती बढ़ सकती है। दरअसल,  कोरोना से जंग में टेस्टिंग को अहम हथियार माना जा रहा है। लेकिन इस मामले में हम अभी तक काफी पीछे हैं। प्रति 10 लाख टेस्टिंग के मामले में भारत पाकिस्तान और श्रीलंका से भी पीछे हैं। यहां तक की संक्रमित वाले 213 देशों में सिर्फ हमसे 33 देश पीछे हैं। वहीं, 38 का आंकड़ा नहीं मिला है।

अमेरिका ने लक्ष्य रखा है कि हर रोज 2.2 करोड़ टेस्ट किए जाएं, जिससे 2 हफ्तों में पूरे देश की जनसंख्या के टेस्ट हो सकें। वहीं, भारत में अभी भी सिर्फ 50 हजार से भी कम टेस्ट हो रहे हैं। टेस्टिंग ना होने के चलते वायरस तेजी से फैलता है।   

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भारत में कितने टेस्ट हुए?
शुरुआती दिनों की तुलना में भारत में टेस्टिंग में बढ़ोतरी हुई है। पहले जहां सिर्फ 100 लैब में हर रोज 3000-4000 टेस्ट हो रहे थे। अब 325 लैबों में करीब 50 हजार तक टेस्ट हो रहे हैं। भारत में अब तक करीब 6.65 लाख टेस्ट हुए हैं। 10 लाख की आबादी पर टेस्ट का औसत 482 है। जबकि यूएई जैसे देशों में प्रति 10 लाख 1 लाख से ज्यादा टेस्टिंग हो रही हैं। यहां तक की अमेरिका में प्रति 10 लाख पर 16527, वहीं, इटली में 29071 टेस्ट किए जा रहे हैं। भारत प्रति 10 लाख पर टेस्ट के मामले में पड़ोसी पाकिस्तान से भी पीछे है। पाकिस्तान में हर रोज 682 टेस्ट हो रहे हैं। 

भारत ने क्या रखा लक्ष्य?
भारत ने मई आखिर तक हर रोज 1 लाख टेस्ट करने का लक्ष्य रखा है। पिछले 1 महीने में 82 कंपनियों ने आरटी पीसीआर किट के लिए आवेदन किया था। लेकिन इनमें 17 कंपनियों की किट ही सही पाई गईं। भारत ने जांच का दायरा बढ़ाने के लिए 1.07 करोड़ आरटी-पीसीआर टेस्ट किट का टेंडर निकाला है। इसमें 52.25 लाख वीटीएम किट, 25 लाख रीयल टाइल पीसीआर कॉम्बो किट, 30 लाख आरएनए एक्सट्रेक्शन किट शामिल हैं। ये किट मई की शुरुआत में मिलनी शुरू हो जाएंगी। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इन टेस्टिंग किट पर करीब 700 करोड़ का खर्च होगा। 

टेस्ट बढ़ाने की क्यों है जरूरत?
कोरोना वायरस का पता लगाने के लिए टेस्ट सबसे जरूरी है। वहीं, दूसरी ओर भारत में ऐसे भी मरीज मिलने लगे हैं, जिनमें लक्षण नहीं हैं, लेकिन वे कोरोना पॉजिटिव हैं। ऐसे में भारत की मुसीबत और बढ़ सकती है।  ICMR के मुताबिक, भारत में 69 फीसदी मरीज ऐसे हैं जिनमें कोई लक्षण नहीं दिखे। यानी अब स्वस्थ्य लोगों की भी जांच की जरूरत है। 

बिना लक्षण के मरीज भारत के लिए बड़ी चुनौती हैं। हाल ही में महाराष्ट्र में ऐसे 80% लोग मिले, जिनमें कोरोना का कोई लक्षण नहीं था। लेकिन इस समस्या से सिर्फ टेस्टिंग करके ही निपटा जा सकता है। 

कुछ बड़े देशों में टेस्ट का आंकड़ा 

देशकेसकुल मौतें10 लाख पर टेस्ट
अमेरिका9873225541516527 
फ्रांस162100228567103
जर्मनी    157770 597624738
ब्रिटेन152840207329867
रूस8714779420690
भारत27977  884482
पाकिस्तान13328281682
यूएई10349      76106904

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