भारत की सेना को पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं की निगरानी के लिए 1000 कॉप्टर (हेलिकॉप्टर की तरह उड़ान भरने वाला छोटे आकार का ड्रोन) की जरूरत है। भारत सरकार ने कॉप्टर की खरीद के लिए प्रक्रिया शुरू कर दी है।
नई दिल्ली (Vipin Vijayan)। पाकिस्तान और चीन से लगी सीमाओं की निगरानी और घुसपैठ रोकने के लिए भारतीय सेना को 1 हजार कॉप्टर (हेलिकॉप्टर की तरह उड़ान भरने वाला छोटे आकार का ड्रोन) की जरूरत है। इसकी खरीद के लिए रक्षा मंत्रालय ने आपातकालीन खरीद के तहत फास्ट-ट्रैक प्रक्रिया के माध्यम से आरएफपी (Request for Proposal) जारी किया है। सरकार के अनुसार चीन और पाकिस्तान से लगती सीमा पर इन दिनों बहुत अधिक गतिविधी हो रही है। इसके चलते निगरानी के काम आने वाले कॉप्टर की आपातकालीन खरीद जरूरी है। इसकी मदद से सीमा पर 24 घंटे गहन निगरानी रखी जा सकेगी।
बढ़ेगी सेना की हवाई निगरानी क्षमता
रक्षा मंत्रालय के अधिकारियों ने कहा कि कॉप्टर से भारतीय सेना की हवाई निगरानी क्षमता बढ़ेगी। इसकी मदद से दिन या रात किसी भी समय निगरानी हो सकेगी। ऐसे कॉप्टर की खरीद की जाएगी जो मल्टी-सेंसर सिस्टम से लैस हो और रीयल-टाइम में वीडियो फुटेज कमांड सेंटर को भेज सके। इसकी मदद से दुर्गम इलाकों में चल रही गतिविधी पर भी रीयल-टाइम में नजर रखी जा सकेगी।
निगरानी के साथ ही कॉप्टर का इस्तेमाल जंग के दौरान भी हो सकता है। इसकी मदद से पता लगाया जा सकेगा कि दुश्मन की पोजिशन क्या है? इससे दुश्मन देश के सैनिकों और गाड़ियों की आवाजाही पर नजर रखी जा सकेगी। कॉप्टर द्वारा भेजे जाने वाले हाई रिजॉल्यूशन वीडियो से गाड़ियों की पहचान भी होगी।
10kg से अधिक नहीं होना चाहिए वजन
आरएफपी में रक्षा मंत्रालय ने बताया है कि उसे किस तरह के कॉप्टर की जरूरत है। मंत्रालय ऐसा कॉप्टर चाहता है, जिसे एक सैनिक आसानी से ऑपरेट कर सके और उसे लाना और ले जाना आसान हो। इसके लिए शर्त रखी गई है कि कॉप्टर का वजन 10kg से अधिक नहीं होना चाहिए। कॉप्टर ऐसा होना चाहिए जो ऊंचे पहाड़ी इलाकों में काम कर सके और तेज हवा चलने पर भी उड़ान भरता रहे। कॉप्टर के लिए 22-26 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से बहने वाली हवा का सामना करते हुए उड़ते रहना जरूरी है।
यह भी पढ़ें- ब्रह्मोस से लेकर प्रचंड तक, ये हैं भारत के 10 स्वदेशी हथियार, इनके भय से कांप जाता है दुश्मन का कलेजा
कॉप्टर में एक कलर डे वीडियो कैमरा, एक मोनोक्रोमैटिक नाइट थर्मल सेंसर और दो अतिरिक्त बैटरी होनी चाहिए। कॉप्टर ऐसा होना चाहिए जो 4000 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सके। वह जमीन से कम से कम 500 मीटर ऊपर उड़ने में सक्षम होना चाहिए। इसके साथ ही कॉप्टर को पूरी तरह ऑटोनोमस, मैनुअल, होवर और घर वापसी मोड में काम करने में सक्षम होना चाहिए।
यह भी पढ़ें- Mission LiFE: क्या है मिशन लाइफ, आखिर क्या है इसका मंत्र और मकसद? दुनिया के लिए क्यों है बेहद जरूरी