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ब्रह्मोस से लेकर प्रचंड तक, ये हैं भारत के 10 स्वदेशी हथियार, इनके भय से कांप जाता है दुश्मन का कलेजा
नई दिल्ली। गुजरात के गांधीनगर में DefExpo2022 लगा है। इसमें प्रदर्शित किया गया है कि भारत किस तरह रक्षा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होने के साथ ही बड़ा निर्यातक बनने की दिशा में बढ़ रहा है। अफ्रीका, एशिया और मध्य पूर्व के करीब 70 देशों के प्रतिनिधी डिफेंस एक्सपो में आए हैं। वे अपनी जरूरत के लिए भारत से हथियार खरीदने के बारे में बातचीत कर रहे हैं। भारत के पास ब्रह्मोस और प्रचंड से लेकर अग्नि तक ऐसे स्वदेशी हथियार हैं, जिसके खौफ से दुश्मन का कलेजा कांप जाता है। आइए डालते हैं इन 10 खास हथियारों पर एक नजर...
| Published : Oct 20 2022, 02:07 PM IST
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ब्रह्मोस एक सुपरसोनिक क्रूज मिसाइल है। इसे रूस और भारत द्वारा मिलकर विकसित किया गया है। ब्रह्मोस मिसाइल के जमीन से जमीन, जमीन से समुद्र और हवा से जमीन पर मार करने वाले वैरिएंट हैं। ब्रह्मोस को पहले समुद्री युद्धपोत को नष्ट करने के लिए बनाया गया था। इसके बाद इसके जमीन पर हमला करने वाले वैरिएंट बनाए गए। शुरुआत में ब्रह्मोस का रेंज 290 किलोमीटर था। अब 500 किलोमीटर रेंज वाले ब्रह्मोस को भी विकसित किया गया है। भारतीय वायु सेना ने अपने सुखोई 30 एमकेआई विमान को ब्रह्मोस के हवा से जमीन या समुद्र पर मौजूद टारगेट को नष्ट करने वाले वैरिएंट से लैस किया है। इससे भारतीय वायु सेना को हिंद महासागर में दुश्मन के युद्धपोत को दूर से ही नष्ट करने की ताकत मिल गई है।
प्रचंड भारत का स्वदेशी अटैक हेलिकॉप्टर है। इसे हाल ही में वायु सेना में शामिल किया गया था। इसे वायु सेना के साथ ही थल सेना द्वारा भी इस्तेमाल किया जाएगा। हिमालय के ऊंचे पहाड़ी इलाके में जंग के दौरान यह हेलिकॉप्टर अहम भूमिका निभा सकता है। यह दुनिया का एकमात्र हेलिकॉप्टर है जो अपने पूरे हथियारों के साथ 5000 मीटर ऊंचे इलाके में लैंड और टेकऑफ कर सकता है। इसे हवा से हवा और हवा से जमीन पर मार करने वाले मिसाइलों, रॉकेट्स और 20 एमएम के गन से लैश किया गया है। यह 6,500 मीटर की ऊंचाई तक उड़ सकता है और इसका रेंज 700 किलोमीटर है। एलएसी, करगिल और सियाचिन जैसे ऊंचे इलाके में यह खास रोल निभाएगा।
तेजस भारत का स्वदेशी फाइटर प्लेन है। छोटा आकार और कम्पोजिट मटेरियल से बने होने के चलते इसे राडार द्वारा पकड़ पाने में परेशानी होती है। डेल्टा विंग डिजाइन इस फाइटर प्लेन को बेहद फुर्तीला बनाता है। एक इंजन वाले इस विमान का मार्क वन वैरिएंट भी बनाया गया है। इसके मार्क टू वैरिएंट पर काम चल रहा है। तेजस मार्क वन जहां लाइट वेट कैटेगरी का विमान है वहां मार्क टू मीडियम वेट कैटेगरी का विमान होगा। इस विमान को खरीदने के लिए कई देश रुचि दिखा रहे हैं। यह मल्टिरोल फाइटर प्लेन है। हवा से हवा में लड़ाई हो या जमीन पर हमला यह विमान हर तरह के मिशन को अंजाम दे सकता है।
जमीन से जमीन पर मार करने वाले मिसाइलों के मामले में भारत काफी हद तक आत्मनिर्भर है। भारत के पास पृथ्वी और अग्नि सीरीज के घातक मिसाइल हैं, जिनसे परमाणु हमला भी किया जा सकता है। अग्नि मिसाइल के पांच वैरिएंट हैं, जिन्हें अग्नि वन, अग्नि टू, अग्नि थ्री, अग्नि फोर और अग्नि फाइव के नाम से जाना जाता है। अग्नि 5 मिसाइल का रेंज 5000 किलोमीटर से भी अधिक है। यह 1500 किलोग्राम तक परमाणु हथियार ले जा सकता है। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार यह इंटर कॉन्टिनेंटल मिसाइल 8000 किलोमीटर तक मार कर सकता है। अग्नि 5 एक बार में एक से अधिक वारहेड ले जा सकता है। इसका मतलब है कि एक मिसाइल से कई परमाणु बम दागे जा सकते हैं। हाइपरसोनिक रफ्तार और एक से अधिक वारहेड के चलते इसके हमले को नाकाम बनाना बेहद कठिन है।
ध्रुव एचएएल (Hindustan Aeronautics Limited) को बनाया गया हल्के वजन वाला हेलिकॉप्टर है। इसका इस्तमाल सेना और वायुसेना द्वारा किया जा रहा है। इसे सैनिकों को मोर्चे तक ले जाने और सामान पहुंचाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है। कम वजन के चलते यह अधिक ऊंचे इलाके में भी काम करता है। इसके नेवल वर्जन का इस्तेमाल नौसेना द्वारा किया जा रहा है। हथियारों से लैस कर ध्रुव का एक अटैक वर्जन भी बनाया गया है। कई देशों ने भारत से यह हेलिकॉप्टर खरीदा है। इक्वेडोर ने 2008 में 7 हेलिकॉप्टर खरीदने का ऑडर दिया था। इसके बाद कई देशों से इस हेलिकॉप्टर के लिए ऑर्डर मिले हैं।
आईएनएस विक्रांत भारत का पहला स्वदेशी एयरक्राफ्ट कैरियर है। यह सितंबर को भारतीय नौ सेना में शामिल हुआ है। आईएनएस विक्रांत पर अभी एक MiG 29K लड़ाकू विमान और एक कामोव हेलिकॉप्टर रखे गए हैं। जल्द ही इसपर 18 MiG 29K विमान और 12 हेलिकॉप्टर तैनात किए जाएंगे। आईएनएस विक्रांत का फ्लाइंग डेक 262 मीटर लंबा और 62.4 मीटर चौड़ा है। इतनी बड़ी जगह में फुटबॉल के दो मैदान समा सकते हैं। भारत दुनिया के उन सात चुनिंदा देशों में शामिल है, जिसके पास एयरक्राफ्ट कैरियर है। भारत के अलावा अमेरिका, यूके, फ्रांस, रूस, इटली और चीन की नौसेना एयरक्राफ्ट कैरियर ऑपरेट करती है। विक्रांत अब तक का भारत का सबसे बड़ा युद्धपोत है। इसका वजन 43 हजार टन है।
पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट सिस्टम को डीआरडीओ द्वारा बनाया गया है। पिनाका के एक लॉन्चर में 12 रॉकेट लगते हैं। पिनाका रॉकेट के पहले वर्जन का रेंज 40 किलोमीटर है। यह अपने साथ 100 किलोग्राम विस्फोटक ले जाता है। 40 सेकंड में एक रॉकेट सिस्टम के सभी 12 रॉकेट को फायर किया जा सकता है। पिनाका रॉकेट का एक अपग्रेड वर्जन भी तैयार किया गया है। नया पिनाका रॉकेट गाइडेंस फीचर के साथ आता है। इसका रेंज 70 किलोमीटर है। रॉकेट का इस्तेमाल युद्ध के दौरान एक बड़े इलाके को टारगेट करने के लिए होता है। पिनाका रॉकेट के एक बैटरी में छह लॉन्चर होते हैं। इस तरह एक बैटरी के सभी 72 रॉकेट को मात्र 44 सेकंड में फायर किया जा सकता है।
आकाश मिसाइल को डीआरडीओ द्वारा विकसित किया गया है। यह सतह से हवा में मार करने वाला मिसाइल है। इसका इस्तेमाल एयरफोर्स स्टेशन, कमांड एंड कंट्रोल सेंटर और गोला-बारूद के भंडार जैसे महत्वपूर्ण सैन्य अड्डों की सुरक्षा के लिए होता है। यह हमला करने आ रहे लड़ाकू विमान, क्रूज मिसाइल, बैलिस्टिक मिसाइल, ट्रोन और अन्य हवाई खतरे को हवा में ही नष्ट कर देता है। इस मिसाइल का रेंज 30-35 किलोमीटर है। मिसाइल की अधिकतम रफ्तार 3.5 मैक (4321 किलोमीटर प्रतिघंटा) है। यह 18000 मीटर की ऊंचाई तक मार करता है। फिलीपींस, बेलारूस, मलेशिया, थाईलैंड, संयुक्त अरब अमीरात और वियतनाम ने आकाश मिसाइल प्रणाली खरीदने में रुचि दिखाई है।
अस्त्र हवा से हवा में मार करने वाला मिसाइल है। हवा में लड़ाकू विमानों के बीच होने वाली लड़ाई में इस तरह के मिसाइल काम आते हैं। हवा से हवा में मार करने वाले मिसाइलों के मामले में भारत दूसरे देशों पर निर्भर था। वियॉन्ड विजुअल रेंज वाले मिसाइल की कमी का सामना वायुसेना को करना पड़ रहा था। इसके चलते डीआरडीओ द्वारा अस्त्र मिसाइल को विकसित किया गया। अस्त्र मार्क वन का इस्तेमाल वायु सेना द्वारा किया जा रहा है। वहीं, अस्त्र मार्क टू का विकास किया जा रहा है। अस्त्र मार्क वन का रेंज करीब 110 किलोमीटर है। वहीं, मार्क टू का रेंज 160 किलोमीटर तक होगा।
धनुष भारत का स्वदेशी तोप है। 105 एमएम का यह तोप 45 कैलिबर के राउंड फायर करता है। इस ऑपरेट करने के लिए 6-8 सैनिकों की जरूरत होती है। इस तोप से माइनस 3 डिग्री से लेकर 70 डिग्री के एंगल पर फायर किया जा सकता है। यह मात्र 15 सेकंड में तीन राउंड फायर कर सकता है। एक घंटे में इस तोप से 60 गोले दागे जा सकते हैं। तोप से दागे जाने वाले गोलों का रेंज 38 किलोमीटर है।