भारत ने रूस से फिर कहा-युद्ध समाधान नहीं बातचीत से ही निकलेगा हल, यूक्रेन से बातचीत की हो पहल

यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक रणनीतियां बदल चुकी है। पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है। हालांकि, भारत लगातार एक संतुलन बनाए हुए है। भारत और रूस विभिन्न स्तरों पर मजबूत और निरंतर संपर्क बनाए हुए हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में सितंबर में समरकंद में मुलाकात की।

India-Russia Dialogue: भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने मंगलवार को रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव से मुलाकात की है। जयशंकर ने यूक्रेन-रूस युद्ध पर कहा कि दोनों देशों को बातचीत के जरिए ही कोई रास्ता निकालना चाहिए। युद्ध किसी भी समस्या का समाधान नहीं हो सकता। भारत पूर्व में भी बातचीत की सलाह दे रहा था, अभी भी स्पष्ट रूप से अपनी बातों पर कायम है। भारत की ओर से बताया गया है कि यूक्रेन युद्ध के दौरान भी भारत और रूस युद्ध के अलावा विशिष्ट क्षेत्रीय चिंताओं और वैश्विक स्थिति पर चर्चा करेंगे। 

क्या कहा जयशंकर ने?

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भारत के विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने कहा कि कोविड महामारी, वित्तीय दबाव और व्यापार संबंधी कठिनाइयों ने वैश्विक अर्थव्यवस्था पर असर डाला है। इससे अंतरराष्ट्रीय स्थितियों में काफी फेरबदल हुए हैं। यूक्रेन युद्ध का भी प्रभाव वैश्विक है। इन सब मुद्दों पर दोनों देशों के बीच लगातार बातचीत हो रही है। आतंकवाद और जलवायु परिवर्तन का मुद्दा भी है जो प्रगति व समृद्धि में विघटनकारी प्रभाव डालते हैं। ऐसे में दोनों देशों ने वैश्विक स्थिति पर चर्चा के साथ ही विशिष्ट क्षेत्रीय चिंताओं पर भी चर्चा की है।

विभिन्न स्तरों पर मजबूत संबंध दोनों देशों के बीच

यूक्रेन युद्ध के बाद वैश्विक रणनीतियां बदल चुकी है। पश्चिमी देशों ने रूस के खिलाफ मोर्चा खोल लिया है। हालांकि, भारत लगातार एक संतुलन बनाए हुए है। भारत और रूस विभिन्न स्तरों पर मजबूत और निरंतर संपर्क बनाए हुए हैं। प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने हाल ही में सितंबर में समरकंद में मुलाकात की। उधर, भारत अभी भी रूस से तेल खरीद रहा है। जबकि पश्चिमी देशों ने रूस के साथ व्यापारिक संबंध तोड़ दिए हैं।

रूस से तेल खरीदने में फायदा

पश्चिम द्वारा रूसी तेल खरीद को सीमित करने को कहने पर जयशंकर ने कहा कि विभिन्न वजहों से उर्जा बाजार में वास्तव में तनाव है। तेल और गैस के तीसरे सबसे बड़े उपभोक्ता के रूप में और जहां आय बहुत अधिक नहीं है, हमें किफायती स्रोतों की तलाश करने की जरूरत है। इसलिए भारत-रूस संबंध हमारे लाभ के लिए काम करते हैं। हम इसे जारी रखेंगे। उन्होंने कहा कि भारत और रूस के व्यापारिक समझौते दोनों के लिए लाभप्रद है। 

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