भारत देगा UNESCO को 10 लाख डॉलर: विरासत संरक्षण के लिए पीएम मोदी ने किया ऐलान

पीएम मोदी ने कहा कि भारत ग्लोबल हेरिटेज के संरक्षण को अपनी जिम्मेदारी मानता है। इसलिए, न केवल भारत में बल्कि ग्लोबल साउथ के देशों में भी विरासत संरक्षण के लिए सहायता प्रदान कर रहा है।

 

INDIA to give UNESCO 10 lakh dollar: भारत, यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज सेटर को दस लाख डॉलर की सहायता देगा। भारत उसे यह सहायता विशेष रूप से ग्लोबल साउथ देशों में विरासत संरक्षण में सहायता प्रदान करने के लिए देगा। रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूनेस्को के वर्ल्ड हेरिटेज सेंटर को यह डोनेशन देने का ऐलान किया।

यह ऐलान पीएम मोदी ने नई दिल्ली में भारत मंडपम में वर्ल्ड हेरिटेज कमेटी के 46वें सत्र के उद्घाटन के दौरान किया। अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने बताया कि पूर्वोत्तर भारत में एक ऐतिहासिक स्थान को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया है। पूर्वोत्तर भारत के ऐतिहासिक "मैदाम" को यूनेस्को की विश्व धरोहर सूची में शामिल करने का प्रस्ताव है। यह भारत का 43वां विश्व धरोहर स्थल होगा और सांस्कृतिक विश्व धरोहर का दर्जा प्राप्त करने वाला पूर्वोत्तर भारत का पहला धरोहर स्थल होगा।

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ग्लोबल हेरिटेज संरक्षण भारत की जिम्मेदारी

पीएम मोदी ने कहा कि भारत ग्लोबल हेरिटेज के संरक्षण को अपनी जिम्मेदारी मानता है। इसलिए, न केवल भारत में बल्कि ग्लोबल साउथ के देशों में भी विरासत संरक्षण के लिए सहायता प्रदान कर रहा है।

पीएम ने कहा: भारत वैश्विक विरासत के संरक्षण को अपनी जिम्मेदारी मानता है और इसलिए न केवल भारत में बल्कि ग्लोबल साउथ के देशों में भी विरासत संरक्षण के लिए सहायता प्रदान कर रहा है। भारत कंबोडिया में अंगकोर वाट, वियतनाम में चाम मंदिर और म्यांमार में बागान स्तूप जैसी कई विरासतों के संरक्षण में सहायता कर रहा है। इस दिशा में मैं एक घोषणा कर रहा हूँ। भारत यूनेस्को विश्व विरासत केंद्र को दस लाख डॉलर का योगदान देगा। इस अनुदान का उपयोग क्षमता निर्माण, तकनीकी सहायता और विश्व विरासत स्थलों के संरक्षण के लिए किया जाएगा।

वर्ल्ड हेरिटेज मैनेजमेंट प्रोग्राम भी भारत ने किया शुरू

पीएम मोदी ने कहा: युवा पेशेवरों के लिए भारत में विश्व धरोहर प्रबंधन में सर्टिफिकेट प्रोग्राम भी शुरू किया गया है। आज विश्व धरोहर समिति के 46वें सत्र के माध्यम से भारत की अपील है कि हम एक-दूसरे की विरासत को आगे बढ़ाने के लिए साथ आएं। आइए हम मानव कल्याण की भावनाओं के विस्तार के लिए एकजुट हों। दुनिया ने वह समय भी देखा है जब विकास की दौड़ में विरासत को नजरअंदाज किया गया था लेकिन आज का युग कहीं ज्यादा जागरूक है। भारत का विजन विकास और विरासत दोनों है। पिछले 10 वर्षों में भारत ने आधुनिक विकास के नए आयाम छुए हैं और अपनी विरासत पर गर्व करने का संकल्प भी लिया है। चाहे वह काशी में विश्वनाथ कॉरिडोर हो, अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण हो या प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय का आधुनिक परिसर हो। देश भर में ऐसे अनेक कार्य हो रहे हैं। आज आयुर्वेद का लाभ पूरी दुनिया को पहुंच रहा है, लेकिन यह भारत की वैज्ञानिक विरासत है।

केवल इतिहास नहीं विज्ञान भी भारत की विरासत

पीएम मोदी ने कहा कि भारत की विरासत सिर्फ इतिहास नहीं है, बल्कि विज्ञान भी है। भारत की विरासत में बेहतरीन इंजीनियरिंग की शानदार यात्रा देखने को मिलती है। दिल्ली से कुछ सौ किलोमीटर की दूरी पर 3500 मीटर की ऊंचाई पर केदारनाथ मंदिर है। आज भी वह जगह भौगोलिक रूप से इतनी चुनौतीपूर्ण है कि लोगों को बहुत पैदल चलना पड़ता है या हेलीकॉप्टर से जाना पड़ता है। यह आश्चर्यजनक है कि केदारनाथ मंदिर का निर्माण 8वीं शताब्दी में किया गया था। इसकी इंजीनियरिंग में कठोर वातावरण और ग्लेशियरों को ध्यान में रखा गया था। दुनिया में विरासत के कई केंद्र हैं, लेकिन भारत इतना प्राचीन है कि वर्तमान का हर बिंदु गौरवशाली अतीत की कहानी बयां करता है। दुनिया दिल्ली को भारत की राजधानी के तौर पर जानती है लेकिन यह शहर हजारों साल पुरानी विरासत का केंद्र भी है। यहां हर कदम पर आपको ऐतिहासिक विरासत देखने को मिलेगी। यहां से करीब 15 किलोमीटर की दूरी पर कई टन वजनी लौह स्तंभ है। एक ऐसा स्तंभ जो 2000 साल से खुले में खड़ा है, फिर भी उसमें आज तक जंग नहीं लगी है। इससे पता चलता है कि उस समय भी भारत का धातु विज्ञान कितना उन्नत था। यह स्पष्ट है कि भारत की विरासत सिर्फ इतिहास ही नहीं, बल्कि विज्ञान भी है।

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