संसद में राइट टू इंटरनेट प्राइवेट बिल होगा पेश, जानिए खासियत

बिल में प्रस्ताव है कि कोई भी नागरिक किसी प्रकार की फीस या चार्ज या एक्सपेंस देने के लिए जिम्मेदार नहीं होगा जोकि उनको इंटरनेट फैसिलिटी या एक्सेस से रोकता होगा।

Dheerendra Gopal | Published : Jul 21, 2024 3:30 PM IST / Updated: Jul 21 2024, 09:44 PM IST

Right to Free Internet: सरकार ने राइट टू फ्री इंटरनेट प्राइवेट बिल को पेश करने के लिए इजाजत दे दी है। इस बिल में यह प्रावधान किया गया है कि देश के हर नागरिक को इंटरनेट एक्सेस सुनिश्चित किया जाए इसकी परवाह किए बगैर कि वह पिछड़े क्षेत्र या रिमोट इलाका में रहता है। यह विधेयक सभी नागरिकों को इंटरनेट की मुफ्त पहुंच सुनिश्चित करने का प्रस्ताव करता है, विशेष रूप से पिछड़े और रिमोट क्षेत्रों के लोगों को कंपनियों को समान पहुंच सुनिश्चित करना होगा।

विधेयक के अनुसार, कोई भी नागरिक इंटरनेट सुविधाओं तक पहुंचने से रोकने वाले किसी भी प्रकार के शुल्क, खर्च या अन्य बाध्यताओं का भुगतान करने के लिए उत्तरदायी नहीं होगा। इस विधेयक को दिसंबर 2023 में राज्यसभा में सीपीआई(एम) सदस्य वी शिवदासन द्वारा पेश किया गया था।

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राष्ट्रपति की सिफारिश के बाद सरकार ने दी प्राइवेट बिल पेश करने की अनुमति

राज्यसभा के सचिवालय की बुलेटिन के अनुसार, केंद्रीय दूरसंचार मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया ने राज्यसभा के सचिव-जनरल को सूचित किया है कि राष्ट्रपति ने विधेयक के विचार के लिए सिफारिश की है। खर्च की आवश्यकता वाले निजी सदस्यों के विधेयकों के लिए मंत्रालय की अनुमति से राष्ट्रपति की सिफारिश आवश्यक होती है। विधेयक में कहा गया है कि प्रत्येक नागरिक को मुफ्त इंटरनेट का अधिकार होना चाहिए। सरकार सभी नागरिकों को इंटरनेट की यूनिवर्सल एक्सेस सुनिश्चित करते हुए विशेष उपाय करेगी ताकि पिछड़े और दूरस्थ क्षेत्रों के नागरिकों को समान पहुंच प्राप्त हो सके।

डिजिटल विभाजन रोकने और राइट टू स्पीच का विस्तार

प्राइवेट बिल में यह कहा गया है कि संविधान सभी नागरिकों अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के अधिकार को देता है। राइट टू स्पीच का दायरा बढ़ाने की कोशिश इस विधेयक में है। विधेयक के अनुसार, इंटरनेट की पहुंच सभी के लिए मुफ्त होनी चाहिए ताकि समाज में डिजिटल विभाजन को समाप्त किया जा सके। चूंकि, संविधान, अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को सभी नागरिकों का मौलिक अधिकार बनाता है इसलिए उन्हें अपने अभिव्यक्ति और राय की स्वतंत्रता और अन्य मौलिक मानवाधिकारों का उपयोग करने के लिए इंटरनेट तक पहुंच होनी चाहिए।

सीपीएम सांसद वी सिवादासन ने विधेयक में कहा कि केंद्र सरकार या तो सीधे सभी नागरिकों को इंटरनेट की सुविधा प्रदान करे या किसी भी सेवा प्रदाता द्वारा प्रदान की गई सेवाओं को पूरी तरह से सब्सिडी दे ताकि सभी नागरिकों को इंटरनेट की पहुंच सुनिश्चित हो सके।

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