भारत में तीसरी कक्षा से ही बच्चों को पढ़ाई जाएगी आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, मोदी सरकार का अहम फैसला

Published : Oct 11, 2025, 10:49 AM ISTUpdated : Oct 11, 2025, 10:51 AM IST
AI education For Class 3 students In India

सार

AI education For Class 3 students In India: भारत में अब तीसरी कक्षा से बच्चों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पढ़ाई जाएगी। सरकार ने इसे अगले शैक्षणिक साल से लागू करने का फैसला किया है।

AI education For Class 3 students In India: भारत में अब बच्चों को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पढ़ाई जाएगी। सबसे खास बात यह है कि यह पढ़ाई तीसरी कक्षा से शुरू होगी। केंद्र सरकार ने अगले शैक्षणिक साल से स्कूलों में कक्षा 3 से ही AI की पढ़ाई लागू करने का फैसला किया है। इसका मकसद भविष्य में बच्चों को AI के लिए तैयार करना है। स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने बताया कि शिक्षकों को AI उपकरणों का इस्तेमाल करके पाठ तैयार करना सिखाने के लिए पहले ही एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया जा चुका है। कुछ CBSE स्कूलों में AI पहले से ही पढ़ाया जा रहा है।

तीसरी कक्षा से पढ़ाया जाएगा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

शिक्षा मंत्रालय अगले साल यानी कि 2026-27 से कक्षा 3 और उसके आगे के सभी छात्रों के लिए स्कूल पाठ्यक्रम में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस को शामिल करने जा रहा है। स्कूल शिक्षा सचिव संजय कुमार ने बताया कि CBSE AI पढ़ाई को सभी कक्षाओं में शामिल करने का प्लान बना रहा है। उन्होंने कहा कि देशभर में एक करोड़ से ज्यादा शिक्षकों को AI पढ़ाने के लिए तैयार करना आसान नहीं होगा। हमें जल्दी काम करना होगा ताकि अगले 2-3 साल में शिक्षक और छात्र दोनों इस तकनीक के साथ पूरी तरह तैयार हो जाएं।

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80 लाख नई नौकरियों का अवसर

संजय कुमार ने बताया कि एक पायलट प्रोजेक्ट पहले से चल रहा है, जिसमें शिक्षकों को AI टूल्स का इस्तेमाल करके लेसन प्लान तैयार करना सिखाया जा रहा है। उनका कहना है कि सरकार का लक्ष्य सिर्फ छात्रों को ही नहीं बल्कि शिक्षकों को भी डिजिटल भविष्य के लिए तैयार करना है। फिलहाल देश के 18,000 से ज्यादा CBSE स्कूलों में कक्षा 6 से 12 तक AI को एक स्किल सब्जेक्ट के रूप में पढ़ाया जा रहा है। कक्षा 6 से 8 में यह 15 घंटे का मॉड्यूल होता है, जबकि कक्षा 9 से 12 में इसे वैकल्पिक विषय के रूप में पढ़ाया जाता है।

यह घोषणा नीति आयोग की AI और रोजगार रिपोर्ट के दौरान की गई। इस रिपोर्ट में बताया गया कि आने वाले समय में लगभग 20 लाख पारंपरिक नौकरियां खत्म हो सकती हैं, लेकिन अगर सही व्यवस्था बनाई जाए तो 80 लाख नई नौकरियां भी पैदा हो सकती हैं।

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